बलौदा बाजार: भाटापारा कृषि उपज मंडी में लाॅकडाउन में नियम के खिलाफ धान बेचने-खरीदने को मामला गरमा गया है. कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण मंडियां बंद है. बावजूद इसके मंडी सचिव मंडी के मुख्य गेट से ही धान खरीद-बेच रहा था. इसकी जानकारी मजदूरों को लगी. जानकारी के बाद मंडी में काम करने वाले सभी मजदूर सचिव के खिलाफ लामबंद हो गए. इस दौरान मजदूरों ने जमकर हंगामा किया.
मजदूरों ने कहा कि लॉकडाउन के कारण काम बंद होने से 5000 मजदूरों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. मंडी सचिव गलत तरीके से बाहरी मजदूरों से काम करवा रहा है. मजदूरों ने हंगामे की खबर सुनकर तहसीलदार मयंक अग्रवाल पहुंचे. मजदूरों ने अपनी दयनीय स्थिति की जानकारी दी. मजदूरों ने मंडी सचिव के खिलाफ कार्रवाई करने की शिकायत की. तहसीलदार ने कार्रवाई करने को भरोसा दिया. इसके बाद ग्रामीण शांत हुए. मजदूरों ने कहा कि समस्या निराकरण नहीं होने और लाॅकडाउन नहीं खुलने तक मंडी नहीं खुलेगी.
छत्तीसगढ़ में आ रही नमी युक्त हवा से हो रही बारिश
मनमाने तरीके से कम दामों में खरीदने-बेचने का लगाया आरोप
मजदूरों ने मंडी प्रागंड में बैठक ली. जिसमें भाटापारा तहसीलदार मयंक अग्रवाल (Bhatapara Tehsildar Mayank Agarwal) और सहकारिता सीईओ अमरनाथ राठौर (Cooperative CEO Amarnath Rathore) पहुंचे. मजदूरों ने अपनी दयनीय स्थिति की जानकारी दी. मंडी सचिव के नियम के खिलाफ काम के बारे में शिकायत की. साथ ही दलालों द्वारा मंडी के बाहरी बाहर किसानों की उपज को मनमाने तरीके से कम दामों में खरीद-बिक्री और बिचैलियों-व्यापारियों से सांठगांठ कर किसानों को उपज का कम दाम मिलने और राजस्व चुराने का आरोप लगाया. मजदूरों ने लाॅकडाउन में अपने जीवन यापन के लिए तहसीलदार के माध्यम से लिखित में मांग की. मजदूरों ने समस्याओं के निराकरण नहीं होने पर उग्र आंदोलन और मंडी लाॅकडाउन के बाद भी काम बंद रखने की बात कही.