बलौदाबाजार: गर्मी और तपिश बढ़ने के साथ ही इलाके में देसी फ्रीज के नाम से मशहूर मटके की बिक्री में अच्छी खासी तेजी देखी जा रही है. शहर के साप्ताहिक बाजार में मटकों की बंपर बिक्री हो रही है.
जगह-जगह पर बिक रहे मटके
मटके का पानी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. घड़े का पानी शरीर को शीतलता देता है. आलम यह है कि शहर में कई जगह आपको मटके बिकते मिल जाएंगे.
दूर-दूर तक है मटकों की मांग
यहां के कुम्हारों की ओर से बनाए गए मटकों की मांग दूर-दूर तक रहती है. कुम्हारों का कहना है कि 'मटकी लेने के लिए आसपास से लोग उनके पास भारी मात्रा में आते जरूर हैं लेकिन उन्हें अपनी मेहनत का सही दाम नहीं मिलता है.
तीन महीने पहले से शुरू कर देते हैं काम
गाताडीह के रहने वाले कुम्हार धरमलाल का कहना है कि 'गर्मी का मौसम आने से तीन महीने पहले ही मटकी बनाने का काम शुरू कर देते हैं. मटकी बनाने से लेकर उसे बाजार में पहुंचाने तक जो मेहनत लगती है उसकी तुलना में इसे बेचने पर जो कीमत मिलती है वो बेहद कम है'.
समय और मेहनत दोनों लगती है
कुम्हारों का कहना है कि 'मिट्टी चालना, उसका गिलाव बनाना, चाक में मिट्टी को मटके का आकार देने से लेकर उसे पकाने में काफी समय और मेहनत लगती है. मटका तैयार होने के बाद उसे कंधे पर या टोकरी के ऊपर रखकर बाजार में लाना पड़ता है, क्योंकि वाहन से लाने पर इसके टूटने का खतरा बना रहता है'.
इस दाम में बिक रहे मटके
बता दें कि इस साल मटकों की कीमत में थोड़ा इजाफा हुआ है. छोटे आकर के मटके 30 से 40 रूपए और बड़े मटके 50 से 60 रूपये में बिक रहा है. सुराही की कीमत इससे भी ज्यादा है, एक सुराही की कीमत 70-90 रूपये में बिक रही है.
गर्मी में इसका सहारा
सूरज ने प्रचंड रूप दिखाना शुरू कर दिया है. दिन की धूप अब लोगों को बर्शाश्त नहीं हो रही है. दिन में घर से बाहर निकलते ही गर्मी और पसीने से लोग परेशान हो रहे है. वहीं घर में बिना कुलर और पंखा से काम नहीं चल रहा है. घर से बाहर निकलने पर गला सूखने या प्यास लगने पर लोग गन्ने या कोल्डड्रिंक का सहारा ले रहे हैं. शहर में कई जगह पर गन्ना के जूस की अस्थाई दुकानें भी लग गई है. गर्मी में शीतल पेय पदार्थो की मांग कई गुना बढ़ जाती है.