बलौदाबाजार: कोरोना संकट और लॉकडाउन के कारण हर वर्ग के लोग परेशान हैं. लॉकडाउन ने मजदूर परिवारों की कमर तोड़कर रख दी है, लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर कोरोना वायरस से जान बचाने अपने गांव वापस आए हैं, लेकिन मजदूरों को काम नहीं मिलने की वजह से वे फिर दूसरे प्रदेश में काम की तलाश में जाने को मजबूर हैं. मजदूरों ने शासन-प्रशासन से रोजगार देने के लिए मदद की गुहार लगाई है.
बलौदाबाजार जिले में मजदूरों का हाल बेहाल है. शासन की ओर से मजदूरों को काम देने की बात कही जा रही है, लेकिन पड़ताल में पता चला कि मजदूरों को यहां किसी भी तरह का रोजगार नहीं मिल रहा है. परिवार आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है. मनरेगा के तहत मजदूरों को 1 से 2 सप्ताह काम दिया गया, लेकिन उसके बाद वह भी बंद हो गया. जिससे मजदूर परिवारों का घर चलाना मुश्किल हो रहा है.
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बलौदाबाजार के श्रम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में लॉकडाउन की अवधि में 80 हजार 820 प्रवासी मजदूर लौटे थे. जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं. मनरेगा के तहत 51 हजार 230 मजदूरों को काम दिया गया है.
सरकार से रोजगार की मांग
प्रवासी मजदूरों का कहना है कि उन्हें गांव में किसी भी तरीके से काम या रोजगार नहीं मिल रहा है. जिसकी वजह से वे काम की तलाश में दूसरे प्रदेश जाने को मजबूर हो रहे हैं. इन मजदूर परिवारों ने शासन प्रशासन से गुहार भी लगाई है कि उन्हें रोजगार दिया जाए ताकि वह अपने प्रदेश में रहकर परिवार का पालन पोषण कर सके.