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बलौदाबाजार : फर्जीवाड़ा कर 2 साल से खाली पड़े पद का वेतन डकारते रहे अधिकारी

शिक्षा विभाग में दो लोगों ने मिलकर पिछले 2 वर्षो से खाली पड़े स्वीपर के पद का वेतन अफसर विभाग से ऐंठते रहे.

Case of fraud in education department in Kasdol
प्राथमिक शाला अमोदी
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Published : Dec 3, 2019, 11:35 AM IST

Updated : Dec 3, 2019, 7:52 PM IST

बलौदाबाजार : कसडोल में शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, जहां स्कूल में स्वीपर पद में किसी के नियुक्त नहीं होने बावजूद उसका वेतन लगातार विभाग में आ रहा है. विभाग के ही लोग आपस में मिलीभगत कर दो वर्षों तक वेतन डकारते रहे. मामला सामने आने पर विभाग ने सारी रकम प्रशासन के खाते में वापस डाल दी.

फर्जीवाड़ा कर 2 साल से खाली पड़े पद का वेतन डकारते रहे अधिकारी

प्राथमिक शाला अमोदी में चंदराम यादव स्वीपर के पद पर पदस्थ था, जिसने 2017 में इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद से ही स्कूल में स्वीपर की नियुक्ति नहीं हुई थी, लेकिन इस पद से लिए वेतन लगातार आता रहा,जिसे बाबू दिनेश अनंत और तात्कालिक बीईओ केएन वर्मा ने साठ-गांठ कर दो साल तक ये रकम लेते रहे. स्कूल प्रबंधन ने 2018 में स्वीपर की नियुक्ति के लिए पत्र लिखा था, जिस पर कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गई थी. बरहाल स्कूल के बच्चे ही मजबूरन सफाई के काम में जुट गए थे.

पढ़ें : रायगढ़ : अवैध कोयला उत्खनन पर पुलिस की कार्रवाई, सौ टन कोयला जब्त
मामले का खुलासा होने पर विभाग ने बाबू को बचाने के लिए चालान के माध्यम से तीन महीने के वेतन की रकम प्रशासन के खाते में लौटा दी थी, इस पूरे मामले पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने जांच कर दोषियों पर उचित कार्रवाई किए जाने की बात कही है.

बलौदाबाजार : कसडोल में शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, जहां स्कूल में स्वीपर पद में किसी के नियुक्त नहीं होने बावजूद उसका वेतन लगातार विभाग में आ रहा है. विभाग के ही लोग आपस में मिलीभगत कर दो वर्षों तक वेतन डकारते रहे. मामला सामने आने पर विभाग ने सारी रकम प्रशासन के खाते में वापस डाल दी.

फर्जीवाड़ा कर 2 साल से खाली पड़े पद का वेतन डकारते रहे अधिकारी

प्राथमिक शाला अमोदी में चंदराम यादव स्वीपर के पद पर पदस्थ था, जिसने 2017 में इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद से ही स्कूल में स्वीपर की नियुक्ति नहीं हुई थी, लेकिन इस पद से लिए वेतन लगातार आता रहा,जिसे बाबू दिनेश अनंत और तात्कालिक बीईओ केएन वर्मा ने साठ-गांठ कर दो साल तक ये रकम लेते रहे. स्कूल प्रबंधन ने 2018 में स्वीपर की नियुक्ति के लिए पत्र लिखा था, जिस पर कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की गई थी. बरहाल स्कूल के बच्चे ही मजबूरन सफाई के काम में जुट गए थे.

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मामले का खुलासा होने पर विभाग ने बाबू को बचाने के लिए चालान के माध्यम से तीन महीने के वेतन की रकम प्रशासन के खाते में लौटा दी थी, इस पूरे मामले पर विकासखंड शिक्षा अधिकारी ने जांच कर दोषियों पर उचित कार्रवाई किए जाने की बात कही है.

Intro:बलौदाबाजार जिले के कसडोल में शिक्षा विभाग की काली करतूत सामने आई है जहां शिक्षा विभाग के द्वारा चंद रुपयों की खातिर ईमान बेच दिया गया,दरअसल 30 अप्रैल 2011 में कसडोल विकासखण्ड के अमोदी प्राथमिक शाला में चंद राम यादव नामक व्यक्ति की नियुक्ति स्वीपर के पद पर हुई थी और चंद राम यादव ने पंचायत चुनाव लड़ने के लिए 06 दिसम्बर 2017 में स्वीपर पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद स्वीपर से सरपंच बने चंद राम यादव का वेतन बाबू दिनेश अनंत और तात्कालिक बीईओ के एन वर्मा के द्वारा साठगांठ कर दो सालों तक शासन की आंखों में धूल झोंककर आहरण किया जाता रहा,गौरतलब हो कि शिक्षा विभाग में बाबू के द्वारा ही वेतन बनाया जाता है और बीईओ के द्वारा हस्ताक्षर करने के बाद ही वेतन पास होता है वहीं इस मामले के खुलासे के बाद शिक्षा विभाग के द्वारा आरोपी बाबू को बचाने के लिए तीन माह का वेतन वापिस शासन के खाते में चालान के माध्यम से डाला गया।


Body:शिक्षा विभाग एक ऐसा विभाग है जहां शिक्षकों के द्वारा ना केवल बच्चों को स्कूली ज्ञान दिया जाता है बल्कि नैतिकता का पाठ भी पढ़ाया जाता है लेकिन बलौदाबाजार जिले में इन दिनों शिक्षा विभाग अपनी काली करतूतों की वजह से सुर्खियां बटोर रहा है, कभी स्कूली बच्चों के साथ छेड़छाड़ की बात को लेकर हो या फिर बिना स्कूल आये वेतन लेने की बात हो,जिस शिक्षा के मंदिर में ज्ञान बांटने वाले शिक्षकों का दाईत्व बच्चों के भविष्य को गढ़ने का हो उसी शिक्षा विभाग में इन दिनों भरष्टचार की दास्तान लिखी जा रही है,अमोदी प्राथमिक शाला में बतौर स्वीपर के पद पर चंद राम यादव के द्वारा इस्तीफे के बाद भी शासन से वेतन लेता रहा,इस पूरे मामले में हैरानी की बात यह है कि इन दो सालों के बीच स्कूल के बच्चे स्कूल में साफ सफाई का कार्य करते रहे लेकिन किसी भी अधिकारी ने इस स्कूल में बिना कार्य के वेतन ले रहे स्वीपर के खिलाफ किसी प्रकार की कोई कार्यवाही की जहमत उठाई हो,शिक्षा विभाग की इस करतूत से यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि तरबूज कटा और सबमें बराबर बराबर बटा तभी तो एक इंसान इस्तीफे के बाद भी बेख़ौफ़ होकर दो सालों तक वेतन लेता रहा और उसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई,वहीं इस मामले के खुलासे के बाद वर्तमान बीईओ का कहना हैं की मामला संज्ञान में आया है जल्दी इसमें कार्यवाही की जाएगी,जबकि अमोदी स्कूल में पदस्थ स्वीपर ने 2017 में इस्तीफा दिया था और नए स्वीपर की भर्ती सितंबर 2019 में कई गयी यानी अमोदी स्कूल में दो सालों तक बच्चों ने साफ सफाई का बीड़ा उठाया था,अमोदी स्कूल के प्रधानपाठक का कहना हैं कि उनके द्वारा स्कूल में स्वीपर की व्यवस्था के लिए जून 2018 में शिक्षा विभाग को पत्र लिखा गया था जिसके बाद भी स्कूल में स्वीपर की व्यवस्था नहीं की गई थी इस दौरान बच्चों ने ही स्कूल में साफ सफाई की,बहरहाल अमोदी स्कूल में जिस तरीके से चंद रुपयों के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाई गयी उससे यह साफ हो जाता कि अधिकारियों को कुर्सी में बैठे बैठे सिर्फ पैसा चाहिए चाहे ये पैसा कहीं से भी कैसे भी आये,अब इस मामले के खुलासे के शिक्षा विभाग दोषियों पर कार्यवाही की बात तो कर रहा है लेकिन कब तक और क्या कार्यवाही होगी ये देखना दिलचस्प होगा।

Conclusion:बाइट - पुष्पेंद्र साहू प्रधानपाठक अमोदी स्कूल ( बैगनी शर्ट में )

बाइट - के के गुप्ता बीईओ कसडोल ( सफेद शर्ट में चश्मा लागये हुए )

बाइट - छात्रा
Last Updated : Dec 3, 2019, 7:52 PM IST
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