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प्रशासन जागरूक करके थका जा रहा है, यहां के लोग जानते ही नहीं कि मतदान कब हैं - इलेक्शन कमीशन

यहां आज तक न तो चुनाव आयोग की तरफ से कोई अधिकारी वोटिंग के बारे में बताने आया और न ही कोई प्रत्याशी वोट मांगने.

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Published : Apr 4, 2019, 7:36 PM IST

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बलौदा बाजार: लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ ही दिन बचे हैं. चुनाव को देखते हुए इलेक्शन कमीशन लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए कई अभियान चला रहा है, लेकिन चुनाव आयोग द्वारा चलाये जा रहे अभियान का फायदा लोगों को मिलता नहीं दिख रहा है.

जांजगीर चांपा लोकसभा क्षेत्र के कसडोल के कई लोग ऐसे हैं, जिनको वोटिंग तो दूर चुनाव की तारीखों का पता तक नहीं है. जब ईटीवी भारत की टीम ग्रामीण इलाकों में लोगों से मतदान को लेकर चलाये जा रहे अभियान के बारे में जानने निकली तो लोगों ने बताया कि, यहां आज तक न तो चुनाव आयोग की तरफ से कोई अधिकारी वोटिंग के बारे में बताने आया और न ही कोई प्रत्याशी वोट मांगने.

हर चुनाव में चुनाव आयोग मतदाता जागरूकता के लिए के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करता है, लेकिन कसडोल के लोगों को देख तो यही लगता है कि, ये सिर्फ फिजूलखर्ची है. 23 अप्रैल को जिले की दो लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. दोनों ही लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. क्योंकि यहां ग्रामीणों का वोट सबसे ज्यादा है, लेकिन यहां प्रत्याशी से लेकर चुनाव आयोग की पहुंच न के बराबर है. ऐसे में लोकतंत्र को मजबूत करने वाले नारे भी आज के दिन बेमानी साबित हो रहे हैं.

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बलौदा बाजार: लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ ही दिन बचे हैं. चुनाव को देखते हुए इलेक्शन कमीशन लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए कई अभियान चला रहा है, लेकिन चुनाव आयोग द्वारा चलाये जा रहे अभियान का फायदा लोगों को मिलता नहीं दिख रहा है.

जांजगीर चांपा लोकसभा क्षेत्र के कसडोल के कई लोग ऐसे हैं, जिनको वोटिंग तो दूर चुनाव की तारीखों का पता तक नहीं है. जब ईटीवी भारत की टीम ग्रामीण इलाकों में लोगों से मतदान को लेकर चलाये जा रहे अभियान के बारे में जानने निकली तो लोगों ने बताया कि, यहां आज तक न तो चुनाव आयोग की तरफ से कोई अधिकारी वोटिंग के बारे में बताने आया और न ही कोई प्रत्याशी वोट मांगने.

हर चुनाव में चुनाव आयोग मतदाता जागरूकता के लिए के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करता है, लेकिन कसडोल के लोगों को देख तो यही लगता है कि, ये सिर्फ फिजूलखर्ची है. 23 अप्रैल को जिले की दो लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. दोनों ही लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. क्योंकि यहां ग्रामीणों का वोट सबसे ज्यादा है, लेकिन यहां प्रत्याशी से लेकर चुनाव आयोग की पहुंच न के बराबर है. ऐसे में लोकतंत्र को मजबूत करने वाले नारे भी आज के दिन बेमानी साबित हो रहे हैं.

Intro:लोकसभा चुनाव की तारीख का ऐलान हुए कई दिन बीत चुके है। वहीं प्रत्याशियों के एलान हुए भी कई हफ्ते बीत गए हैं जांजगीर चांपा लोकसभा के अंतर्गत आने वाले कसडोल क्षेत्र के ऐसे कई गांव है जहा लोगों को मतदान की तारीख का ही पता नहीं है ताज्जुब की बात यह है की प्रत्याशियों की घोषणा हो।गईं है उनका नामांकन भी दाखिल हो चुका है लेकिन अभी तक कोई पार्टी का प्रत्याशी ग्रामीण अंचलों तक नहीं पहुंच पाए हैं।।


मतदाता जागरूकता के लिए निर्वाचन आयोग लाखों करोड़ों रुपए खर्च करती है लेकिन क्या वास्तव में ग्रामीणों तक मतदाता जागरूकता हो रही है???
कहीं ग्रामीण अपने प्रत्याशियों से अवगत नहीं हैं कोई मतदान की तारीख को लेकर भी लोगों सही जानकारी नहीं मिल पाई है।।
निर्वाचन आयोग तरह तरह के माध्यमों का इस्तेमाल कर मतदाता जागरूकता कर रहा है लेकिन क्या वास्तव में ग्रामीण क्षेत्रों में लोग जागरूक हो रहे हैं ..


बलौदा बाजार जिले की चार विधानसभा सीटे है।।जिसमें कसडोल और बिलाईगढ़ विधानसभा जांजगीर-चांपा लोकसभा क्षेत्र में आती है वहीं भाटापारा और बलौदाबाजार विधानसभा रायपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं ।।
23 अप्रैल को जिले की दो लोकसभा सीट पर चुनाव होने है।।यह दोनों ही लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले विधानसभा सीट बेहद ही महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि यहां ग्रामीणों का वोट सबसे अधिक है ।।
और हार जीत का फैसला भी इन्हें क्षेत्रों से होता है।।

बलौदा बाजार जिले के ग्रामीण क्षेत्र अब भी मतदान तिथि और प्रत्याशियों से अवगत नहीं हुए हैं
एक और जिला निर्वाचन द्वारा मतदाता जागरूकता के लिए जगह जगह काम कर रहे हैं।। मतदाता जागरूकता के लिए प्रचार रथ भी चलाया जा रहा है । लेकिन ग्रामीणों को मतदान की तिथि तक नहीं मालूम है.. यह किस प्रकार की जागरूकता है ?????




Body:ग्रामीणजनों के बॉक्स पॉक्स...


Conclusion:
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