जांजगीर चांपा लोकसभा क्षेत्र के कसडोल के कई लोग ऐसे हैं, जिनको वोटिंग तो दूर चुनाव की तारीखों का पता तक नहीं है. जब ईटीवी भारत की टीम ग्रामीण इलाकों में लोगों से मतदान को लेकर चलाये जा रहे अभियान के बारे में जानने निकली तो लोगों ने बताया कि, यहां आज तक न तो चुनाव आयोग की तरफ से कोई अधिकारी वोटिंग के बारे में बताने आया और न ही कोई प्रत्याशी वोट मांगने.
हर चुनाव में चुनाव आयोग मतदाता जागरूकता के लिए के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च करता है, लेकिन कसडोल के लोगों को देख तो यही लगता है कि, ये सिर्फ फिजूलखर्ची है. 23 अप्रैल को जिले की दो लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. दोनों ही लोकसभा सीट बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. क्योंकि यहां ग्रामीणों का वोट सबसे ज्यादा है, लेकिन यहां प्रत्याशी से लेकर चुनाव आयोग की पहुंच न के बराबर है. ऐसे में लोकतंत्र को मजबूत करने वाले नारे भी आज के दिन बेमानी साबित हो रहे हैं.