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पानी को तरसता कसडोल का बकला गांव, ठंड में ऐसे हालात तो गर्मी कैसे कटेगी - पानी को तरसता कसडोल का बकला गांव

बलौदाबाजार के कसडोल के अंतर्गत आने वाला बकला गांव पानी को तरस रहा है. एक छोटे तालाब के सहारे गांव वाले जीने को मजबूर हैं.

Bakla village of Kasdol craving water
पानी को तरसता कसडोल का बकला गांव
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Published : Jan 9, 2020, 1:48 PM IST

Updated : Jan 9, 2020, 5:16 PM IST

बलौदाबाजार: कसडोल जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत बोरसी के ग्राम बकला में इन दिनों ग्रामीण गर्मी के पहले ही पानी की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों के पास निस्तारी के लिए एक छोटा सा तालाब है जिसमें इंसान और जानवर एक साथ नहाते हैं, गंदगी और कीचड़ से भरे इस तालाब में अभी से ही महज घुटनों तक पानी बचा है लिहाजा साफ है कि गर्मी के दिन आते-आते जल स्तर और भी नीचे जाएगा.

ठंड में ऐसे हालात तो गर्मी कैसे कटेगी

लगभग 300 की आबादी वाले इस गांव में तालाब के सूख जाने से गर्मी के दिनों में हालात और ज्यादा खराब हो जाते हैं.

सरकार बदली लेकिन हालात जस के तस
कसडोल जनपद क्षेत्र के बकला गांव में पानी की समस्या पिछले कई सालों से है. पिछले कई दशकों में सरकार बदली लेकिन ग्रामीणों की मुसीबतें और हालात नहीं बदले. बकला गांव में एक बांध है जो पिछले पांच सालों से फूटा हुआ है, जिसकी वजह से बारिश का पानी व्यर्थ ही बह जाता है और ग्रामीणों को इसका लाभ भी नहीं मिल पाता है.

कई बार शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं

ग्रामीणों ने बांध को बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर कई बार शिकायत की लेकिन विभागीय अधिकारियों ने सुध नहीं ली. वहीं अब ग्रामीण चाहते हैं कि 'अगर इस बांध को नहीं बनाया जाता है तो कम से कम वर्तमान में गांव में जो छोटा सा तालाब है उसको ही और गहरा कर दिया जाए ताकि पानी की समस्या का कुछ हद तक निराकरण हो सके.'

चौदहवें वित्त आयोग की राशि का भी नहीं मिला लाभ
छत्तीसगढ़ में गांवों के विकास के लिए पंचायत स्तर पर राशि दी जाती है और चौदहवें वित्त आयोग की राशि भी सरकार की तरफ से गांवों में पेयजल और पानी की आपूर्ति के लिए ही दिया जाता है, लेकिन इन सब के बावजूद भी गांव में पानी की समस्या बनी हुई है.

ग्रामीणों को सरकार से उम्मीद

ग्रामीणों को अब छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी योजना से उम्मीद है. अब देखना होगा कि सरकार कब तक ग्रामीणों की समस्या दूर कर पाती है.

बलौदाबाजार: कसडोल जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत बोरसी के ग्राम बकला में इन दिनों ग्रामीण गर्मी के पहले ही पानी की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं. ग्रामीणों के पास निस्तारी के लिए एक छोटा सा तालाब है जिसमें इंसान और जानवर एक साथ नहाते हैं, गंदगी और कीचड़ से भरे इस तालाब में अभी से ही महज घुटनों तक पानी बचा है लिहाजा साफ है कि गर्मी के दिन आते-आते जल स्तर और भी नीचे जाएगा.

ठंड में ऐसे हालात तो गर्मी कैसे कटेगी

लगभग 300 की आबादी वाले इस गांव में तालाब के सूख जाने से गर्मी के दिनों में हालात और ज्यादा खराब हो जाते हैं.

सरकार बदली लेकिन हालात जस के तस
कसडोल जनपद क्षेत्र के बकला गांव में पानी की समस्या पिछले कई सालों से है. पिछले कई दशकों में सरकार बदली लेकिन ग्रामीणों की मुसीबतें और हालात नहीं बदले. बकला गांव में एक बांध है जो पिछले पांच सालों से फूटा हुआ है, जिसकी वजह से बारिश का पानी व्यर्थ ही बह जाता है और ग्रामीणों को इसका लाभ भी नहीं मिल पाता है.

कई बार शिकायत के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं

ग्रामीणों ने बांध को बनाने के लिए स्थानीय स्तर पर कई बार शिकायत की लेकिन विभागीय अधिकारियों ने सुध नहीं ली. वहीं अब ग्रामीण चाहते हैं कि 'अगर इस बांध को नहीं बनाया जाता है तो कम से कम वर्तमान में गांव में जो छोटा सा तालाब है उसको ही और गहरा कर दिया जाए ताकि पानी की समस्या का कुछ हद तक निराकरण हो सके.'

चौदहवें वित्त आयोग की राशि का भी नहीं मिला लाभ
छत्तीसगढ़ में गांवों के विकास के लिए पंचायत स्तर पर राशि दी जाती है और चौदहवें वित्त आयोग की राशि भी सरकार की तरफ से गांवों में पेयजल और पानी की आपूर्ति के लिए ही दिया जाता है, लेकिन इन सब के बावजूद भी गांव में पानी की समस्या बनी हुई है.

ग्रामीणों को सरकार से उम्मीद

ग्रामीणों को अब छत्तीसगढ़ सरकार की नरवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी योजना से उम्मीद है. अब देखना होगा कि सरकार कब तक ग्रामीणों की समस्या दूर कर पाती है.

Intro:कसडोल जनपद पंचायत क्षेत्र के ग्राम पंचायत बोरसी के आश्रित ग्राम बकला में इन दिनों ग्रामीण गर्मी के पहले ही पानी की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं,ग्रामीणों के पास निस्तारी के लिए एक छोटा सा तालाब है जिसमें इंसान और जानवर एक साथ नहाते हैं,गंदगी और कीचड़ से भरे इस तालाब में अभी से ही घुटनों तक ही पानी बचा है जो गर्मी के दिनों में सूख जाता है,इस छोटे से तालाब के सूख जाने से गर्मी के दिनों में गांव के तीन सौ की आबादी के सामने निस्तारी की समस्या उतपन्न हो जाती है।

Body:नरूवा,गरुवा,घुरवा,बाड़ी छत्तीसग़ढ के चार चिन्हारी,छत्तीसगढ़ सरकार की इसी महत्वकांक्षी योजना के अनुसार ही इस बार गांव और ग्रामीणों का विकास होना है,कसडोल जनपद क्षेत्र के बकला गांव में पानी की समस्या पिछले कई वर्षो से बनी हुई है,पिछले कई दशकों में सत्ता बदली सरकार बदली लेकिन ग्रामीणों की मुसीबतें नहीं बदली, इस बार कांग्रेस की भूपेष सरकार ने छत्तीसगढ़ में नरूवा, गरूवा, घुरवा,बाड़ी जैसी महत्वकांक्षी योजना छत्तीसगढ़ में संचालित कर रही है जिसमे सूखे हुए नालों को फिर से जीवित करने के लिए चिन्हांकित किया जा रहा है,अगर कसडोल जनपद क्षेत्र के बकला गांव में इस योजना के अनुसार गांव के फूटे बाँध को फिर से मरम्मत कर बांध दिया जाता है तो इस गांव की निस्तारी की समस्या दूर हो जाएगी,गौरतलब है कि बकला गांव में एक बांध है जो पिछले पांच सालों से फूटे होने की वजह से बरसात का पानी व्यर्थ ही बह जाता है और ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल पाता,ग्रामीणों ने इस फूटे हुए बांध को बनाने की गुहार स्थानीय स्तर पर कई बार की लेकिन विभागीय अधिकारियों ने इस बांध को बनाने की सुध नहीं ली,अब ग्रामीण चाहते हैं कि अगर इस बांध को नहीं बनाया जाता है तो कम से कम वर्तमान में गांव में जो छोटा सा तालाब है जिसमें ग्रामीणों के द्वारा निस्तारी की जाती है अगर उसे ही ब्लास्टिंग कर बड़ा और गहरा कर दिया तो भी उनकी समस्याओं का समाधान हो जाएगा।

छत्तीसगढ में गांवों के विकास के लिए पंचायत स्तर पर राशि दिया जाता है और चौदहवें वित्त की राशि भी सरकार के द्वारा गांवों में पेयजल और पानी की आपूर्ति के लिए ही दिया जाता है लेकिन इन सब के बावजूद इस गांव में पानी की समस्या बनी हुई है जो गांव में हुए भ्रष्टाचार के अंदेशे को जन्म देती है और यहां पर सवाल ये उठते हैं कि अगर ग्राम पंचायत ने चौदहवें वित्त की राशि को ग्रामीणों के विकास में किया होता तो शायद इन ग्रामीणों के पास नहाने के पर्याप्त साधन होते,अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा संचालित नरूवा, गरूवा, घुरवा,बाड़ी योजना का कितना लाभ इन ग्रामीणों को मिल पाता है और इनकी समस्या कब तक दूर हो पाती है।
Conclusion:बाइट - आजू राम पैकरा ग्रामीण ( जैकेट और सिर पर टोपी लागये हुए )


बाइट - बैसाखू राम कंवर ग्रामीण (‌ स्वेटर पहने हुए हरे दीवाल के सामने )


बाइट - शिव प्रसाद पैकरा ग्रामीण (‌ गले में गमछा लटकाये हुए )
Last Updated : Jan 9, 2020, 5:16 PM IST
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