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वीर मेला 2021: आदिवासी समाज के मेले में शामिल होंगी राज्यपाल - राजा राव पठार

बालोद में आदिवासी समाज के आह्वान पर राजा राव पठार (Raja Rao Plateau) में विराट वीर मेले का आयोजन किया जाएगा. 8,9 और 10 दिसंबर को यहां पर विशाल मेला लगेगा. जिसमें मुख्य अतिथि राज्य पाल अनुसुइया उईके शामिल होंगी.

Veer Mela 2021
वीर मेला 2021
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Published : Dec 7, 2021, 2:18 PM IST

बालोद: आदिवासी समाज के आह्वान पर बालोद जिले के अंतिम छोर में राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से लगे हुए राजा राव पठार (Raja Rao Plateau) में विराट वीर मेले का आयोजन कल से किया जाएगा. 8,9 और 10 दिसंबर को यहां पर विशाल मेला लगेगा. जहां पर बस्तर संभाग सहित छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों से आदिवासी समाज के लोग शामिल होंगे. इस मेले की खासियत यह है कि इस मेले में आदिवासी समाज अपनी महापंचायत का आयोजन करता है. जहां पर समाज से जुड़े कई प्रमुख मुद्दों को राजनेताओं और सरकार के समक्ष रखे जाते हैं. इसके साथ ही यहां पर आदिवासी संस्कृति की विशेष जलक देखने को मिलती है. शहीद वीर नारायण सिंह की याद में इस मेले का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है. प्रथम दिन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उईके (Governor Anusuiya Uikey) शामिल होंगे.

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वीर मेला 2021

आदिवासी संस्कृति की अलौकिक झलक

बालोद जिले का राजा राव पठार (Raja Rao Plateau Fair) मेला आदिवासियों की संस्कृति पहनावा रीति रिवाज तथा अपने इष्ट देवी देवताओं को अर्पित एक अलौकिक सम्मान जो कि आदिवासियों की निष्ठा परंपरा एवं उत्साह को दर्शाता है. यह बहुत ही भव्य एवं उत्साह पूर्ण आदिवासी महासभा को दर्शाता है. यहां आसपास के गांव के सभी आदिवासी ग्रामीण भाई बहन मिलकर इस महोत्सव को मनोरम एवं उत्साह प्रदान करते हैं. यहां वह अपने इष्ट देवी देवताओं को लाते हैं और सभी गांव के देवी देवताओं का मेल मिलाप एवं प्राण प्रतिष्ठा किया जाता है. जोकि आदिवासियों के लिए किसी पर्व से कम नहीं होता है.

बालोद वीर मेला: हम पैसा कमाने में भले पीछे हैं, लेकिन नाचने-गाने में आगे: मंत्री कवासी लखमा

राजनेताओं का रहता है जमावड़ा

वीर महोत्सव में पूरे छत्तीसगढ़ के राजनेता शामिल होते हैं. जिसमें से प्रमुख आदिवासी समाज के राजनेता शामिल रहते हैं. इनके की ओर से आदिवासी समाज से जुड़ी बातों को वर्तमान सरकार के समक्ष रखा जाता है. जिसमें कई सारे ऐसे नियम और कानून है जो आदिवासी समाज को उन्नति की ओर ले जाता हैं. पेशा कानून जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर भी मंथन किया जाता है. एक मंच पर आम आदिवासी समाज से लेकर हर वर्ग नजर आता है.

ट्राइबल डांस की प्रस्तुति

राजा राव पठार (Raja Rao Plateau Fair) में आयोजित वीर महोत्सव में आदिवासी नृत्य की झलक भी दिखाई पड़ती है. यहां पूरी छत्तीसगढ़ से अलग-अलग क्षेत्रों से आए आदिवासी नृत्य समूह की ओर से अपने नृत्य कला की प्रदर्शनी की जाती है. आम लोगों के लिए जैसे यह काफी अलग एहसास होता है. क्योंकि जो संस्कृति दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में देखने को मिलती है. उसकी प्रदर्शनी यही बालोद में ही दिखती है.

राजा राव पठार की भव्यता

राजा राव पठार (Raja Rao Plateau Fair) की भव्यता इस बात से लगाई जा सकती हैं कि यह पूरे संभाग और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है. आसपास के सभी आदिवासियों को आमंत्रण एवं निमंत्रण दिया जाता है. सभी आदिवासी यहां उपस्थित होते हैं. विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और अपने कला संस्कृति एवं परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है. यहां आए सभी आदिवासियों उत्साह एवं रोमांच बहुत ही अद्भुत होता है.

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वीर मेला 2021

10 दिसंबर को शहादत दिवस

वीर मेले में 10 दिसंबर को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा. जिसमें लोग वीर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए देव स्थल राजा राव बाबा के प्रांगण में सम्मिलित होते हैं. इस साल प्रथम दिवस देव मेला में अधिक से अधिक देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाएगा.

बालोद: आदिवासी समाज के आह्वान पर बालोद जिले के अंतिम छोर में राष्ट्रीय राजमार्ग 30 से लगे हुए राजा राव पठार (Raja Rao Plateau) में विराट वीर मेले का आयोजन कल से किया जाएगा. 8,9 और 10 दिसंबर को यहां पर विशाल मेला लगेगा. जहां पर बस्तर संभाग सहित छत्तीसगढ़ के अलग-अलग क्षेत्रों से आदिवासी समाज के लोग शामिल होंगे. इस मेले की खासियत यह है कि इस मेले में आदिवासी समाज अपनी महापंचायत का आयोजन करता है. जहां पर समाज से जुड़े कई प्रमुख मुद्दों को राजनेताओं और सरकार के समक्ष रखे जाते हैं. इसके साथ ही यहां पर आदिवासी संस्कृति की विशेष जलक देखने को मिलती है. शहीद वीर नारायण सिंह की याद में इस मेले का आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है. प्रथम दिन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उईके (Governor Anusuiya Uikey) शामिल होंगे.

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आदिवासी संस्कृति की अलौकिक झलक

बालोद जिले का राजा राव पठार (Raja Rao Plateau Fair) मेला आदिवासियों की संस्कृति पहनावा रीति रिवाज तथा अपने इष्ट देवी देवताओं को अर्पित एक अलौकिक सम्मान जो कि आदिवासियों की निष्ठा परंपरा एवं उत्साह को दर्शाता है. यह बहुत ही भव्य एवं उत्साह पूर्ण आदिवासी महासभा को दर्शाता है. यहां आसपास के गांव के सभी आदिवासी ग्रामीण भाई बहन मिलकर इस महोत्सव को मनोरम एवं उत्साह प्रदान करते हैं. यहां वह अपने इष्ट देवी देवताओं को लाते हैं और सभी गांव के देवी देवताओं का मेल मिलाप एवं प्राण प्रतिष्ठा किया जाता है. जोकि आदिवासियों के लिए किसी पर्व से कम नहीं होता है.

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राजनेताओं का रहता है जमावड़ा

वीर महोत्सव में पूरे छत्तीसगढ़ के राजनेता शामिल होते हैं. जिसमें से प्रमुख आदिवासी समाज के राजनेता शामिल रहते हैं. इनके की ओर से आदिवासी समाज से जुड़ी बातों को वर्तमान सरकार के समक्ष रखा जाता है. जिसमें कई सारे ऐसे नियम और कानून है जो आदिवासी समाज को उन्नति की ओर ले जाता हैं. पेशा कानून जैसे कई प्रमुख मुद्दों पर भी मंथन किया जाता है. एक मंच पर आम आदिवासी समाज से लेकर हर वर्ग नजर आता है.

ट्राइबल डांस की प्रस्तुति

राजा राव पठार (Raja Rao Plateau Fair) में आयोजित वीर महोत्सव में आदिवासी नृत्य की झलक भी दिखाई पड़ती है. यहां पूरी छत्तीसगढ़ से अलग-अलग क्षेत्रों से आए आदिवासी नृत्य समूह की ओर से अपने नृत्य कला की प्रदर्शनी की जाती है. आम लोगों के लिए जैसे यह काफी अलग एहसास होता है. क्योंकि जो संस्कृति दूरस्थ वनांचल क्षेत्रों में देखने को मिलती है. उसकी प्रदर्शनी यही बालोद में ही दिखती है.

राजा राव पठार की भव्यता

राजा राव पठार (Raja Rao Plateau Fair) की भव्यता इस बात से लगाई जा सकती हैं कि यह पूरे संभाग और छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का एक बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है. आसपास के सभी आदिवासियों को आमंत्रण एवं निमंत्रण दिया जाता है. सभी आदिवासी यहां उपस्थित होते हैं. विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और अपने कला संस्कृति एवं परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है. यहां आए सभी आदिवासियों उत्साह एवं रोमांच बहुत ही अद्भुत होता है.

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वीर मेला 2021

10 दिसंबर को शहादत दिवस

वीर मेले में 10 दिसंबर को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा. जिसमें लोग वीर शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए देव स्थल राजा राव बाबा के प्रांगण में सम्मिलित होते हैं. इस साल प्रथम दिवस देव मेला में अधिक से अधिक देवी-देवताओं को आमंत्रित किया जाएगा.

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