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International Sign Language Day 2023: बालोद के मूक बधिर दुष्यंत साहू बने दिव्यांगों के मसीहा, साइन लैंग्वेज में मूक बधिर बच्चों को दे रहे शिक्षा ! - मूक बधिर बच्चों को दे रहे शिक्षा

International Sign Language Day 2023: बालोद के दुष्यंत साहू खुद सुन और बोल नहीं पाते. हालांकि आज वो मूक-बधिर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. अब तक 13 मूक बधिरों को दुष्यंत ने संकेत भाषा के माध्यम से पढ़ाया है. आगे भी वो इसी तरह मूक बधिर बच्चों में शिक्षा की ज्योत जलाएंगे.

Balod Dushyant Sahu
बालोद का दुष्यंत साहू
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Sep 23, 2023, 4:46 PM IST

Updated : Sep 23, 2023, 6:59 PM IST

अंतरराष्ट्रीय संकेत भाषा दिवस 2023

बालोद: आज अंतरराष्ट्रीय संकेत भाषा दिवस है. इस मौके पर ईटीवी भारत आपको ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहा है जो खुद न तो सुन सकते हैं ना ही बोल सकते हैं, लेकिन डीफ कम्युनिटी के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं. उन्हें देखकर कोई ये नहीं कह सकता कि वो खुद ना तो सुन सकते हैं ना ही बोल सकते हैं.दरअसल, हम बात कर रहे हैं बालोद शहर के गुरूर नगर के रहने वाले दुष्यंत साहू की. दुष्यंत साहू बालोद के दिव्यांग स्कूल में मूक बधिर बच्चों को पढ़ाते हैं.

दुष्यंत ने संकेत भाषा में किया डिप्लोमा: बालोद का पारसनाथ दिव्यांग स्कूल, जिले का एकमात्र दिव्यांग स्कूल है. इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चे हर दिन दुष्यंत से कुछ नया सीखते हैं. दुष्यंत साहू के संघर्ष की कहानी अनोखी है. आज उन्हें देखकर कोई ये नहीं बोल सकता कि उन्होंने कितना संघर्ष किया होगा. दुष्यंत के अनुसार उन्हें बचपन में सामान्य लोगों के विद्यालय में दाखिला दिलाया गया था, जहां काफी दिक्कतें हुई. जैसे-जैसे उन्होंने संघर्ष किया और नागपुर गए. वहां साइन लैंग्वेज के बारे में जाना और सीखा. उसके बाद वापस छत्तीसगढ़ आए. इसके बाद इंदौर गए और वहां पर संकेत भाषा के लिए डिप्लोमा की पढ़ाई की. फिर काफी खुश हुए कि अब उनके जीवन में कुछ करने के लिए बेहतर अवसर है. आज के दौर में साइन लैंग्वेज बेहद जरूरी है.

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अब तक 13 बच्चों को सीखा चुके हैं सांकेतिक भाषा: दुष्यंत की मानें तो अब तक वो 13 बच्चों को संकेत की भाषा सीखा चुके हैं. ताकि वह आत्मनिर्भर होकर अपना जीवन जी सके. उन्हें देखकर कोई नहीं बोल सकता कि उनके जीवन में कोई समस्याएं हैं. समस्याएं हो सकती है, परंतु वे आज एक सामान्य लोगों की तरह ही जीवन यापन करते हैं. वाहन चलाते हैं, मोबाइल उपयोग करते हैं, आम जनता से रूबरू होते हैं. उन्होंने अपनी कमियों को कभी अपनी नाकामियों में शामिल नहीं किया.

क्या है साइन लैंग्वेज: जो लोग बोल या सुन नहीं सकते. वे अपनी भावनाओं, आइडियाज और शब्दों को इशारों में समझाते हैं. इन इशारों को समझने के लिए प्रोफेशनल लेवल पर कई संस्थानों में साइन लैंग्वेज कोर्स करवाए जाते हैं. ये मूक-बधिर बच्चों के लिए बेहद जरूरी है. आज बालोद के इस दिव्यांग विद्यालय में ऐसे बच्चे अपने जीवन के लिए उज्जवल भविष्य की नींव रख रहे हैं. उसमें दुष्यंत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है.

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दुष्यंत ने संकेत भाषा में किया डिप्लोमा: बालोद का पारसनाथ दिव्यांग स्कूल, जिले का एकमात्र दिव्यांग स्कूल है. इस स्कूल में पढ़ रहे बच्चे हर दिन दुष्यंत से कुछ नया सीखते हैं. दुष्यंत साहू के संघर्ष की कहानी अनोखी है. आज उन्हें देखकर कोई ये नहीं बोल सकता कि उन्होंने कितना संघर्ष किया होगा. दुष्यंत के अनुसार उन्हें बचपन में सामान्य लोगों के विद्यालय में दाखिला दिलाया गया था, जहां काफी दिक्कतें हुई. जैसे-जैसे उन्होंने संघर्ष किया और नागपुर गए. वहां साइन लैंग्वेज के बारे में जाना और सीखा. उसके बाद वापस छत्तीसगढ़ आए. इसके बाद इंदौर गए और वहां पर संकेत भाषा के लिए डिप्लोमा की पढ़ाई की. फिर काफी खुश हुए कि अब उनके जीवन में कुछ करने के लिए बेहतर अवसर है. आज के दौर में साइन लैंग्वेज बेहद जरूरी है.

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अब तक 13 बच्चों को सीखा चुके हैं सांकेतिक भाषा: दुष्यंत की मानें तो अब तक वो 13 बच्चों को संकेत की भाषा सीखा चुके हैं. ताकि वह आत्मनिर्भर होकर अपना जीवन जी सके. उन्हें देखकर कोई नहीं बोल सकता कि उनके जीवन में कोई समस्याएं हैं. समस्याएं हो सकती है, परंतु वे आज एक सामान्य लोगों की तरह ही जीवन यापन करते हैं. वाहन चलाते हैं, मोबाइल उपयोग करते हैं, आम जनता से रूबरू होते हैं. उन्होंने अपनी कमियों को कभी अपनी नाकामियों में शामिल नहीं किया.

क्या है साइन लैंग्वेज: जो लोग बोल या सुन नहीं सकते. वे अपनी भावनाओं, आइडियाज और शब्दों को इशारों में समझाते हैं. इन इशारों को समझने के लिए प्रोफेशनल लेवल पर कई संस्थानों में साइन लैंग्वेज कोर्स करवाए जाते हैं. ये मूक-बधिर बच्चों के लिए बेहद जरूरी है. आज बालोद के इस दिव्यांग विद्यालय में ऐसे बच्चे अपने जीवन के लिए उज्जवल भविष्य की नींव रख रहे हैं. उसमें दुष्यंत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है.

Last Updated : Sep 23, 2023, 6:59 PM IST
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