बालोद : गुरुर नगर पंचायत में एक बार फिर कांग्रेस का कब्जा हुआ है. नगर पंचायत में अध्यक्ष पद के लिए उपचुनाव हुए थे. जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी महिमा साहू ने जीत का परचम लहराया. जीत दर्ज कराने वाली महिमा साहू ने अपने जीत का श्रेय स्थानीय विधायक संगीता सिन्हा और पूर्व विधायक भैयाराम सिन्हा को दिया है. महिमा साहू ने जीत के बाद बीजेपी पर गंभीर आरोप लगाया है. नवनिर्वाचित अध्यक्ष की माने तो बीजेपी नगर के विकास कार्य में बाधक है. आपको बता दें कि गुरुर पर कब्जा करने के लिए कांग्रेस ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था. बीजेपी ने उपचुनाव में जहां 6 मत हासिल किए वहीं कांग्रेस को 7 मत मिले.
जीत के बाद जश्न का माहौल : गुरुर नगर पंचायत में कांग्रेस का कब्जा होते ही पूरा नगर जश्न में डूब गया. कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने नवनिर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर नगर भ्रमण किया. सैंकड़ों कार्यकर्ता नगर पंचायत के बाहर जीत का जश्न मना रहे थे.वहीं पूर्व विधायक भैयाराम सिन्हा ने नगर पंचायत उपचुनाव का जिम्मा खुद के कंधों पर उठा रखा था.आखिरी गिनती तक वो मौके पर मौजूद रहे और जीत के बाद कार्यकर्ताओं समेत पार्षदों को जीत की बधाई दी.
क्या है गुरुर नगर पंचायत का समीकरण : आपको बता दें कि नगर पंचायत के इस उपचुनाव में बीजेपी ने अपने प्रत्याशी के रूप में कुंती सिन्हा तो वहीं कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी के रूप में महिमा साहू उतारा था. जहां बीजेपी को 6 मत और कांग्रेस को 7 वोट पड़े. वहीं इस उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी टिकेश्वरी साहू भी पहुंची थी.लेकिन लेट आने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया. इस तरह से 6 के मुकाबले 7 मतों से कांग्रेस ने अध्यक्ष पद की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया.उपचुनाव में एक निर्दलीय पार्षद मुकेश साहू ने चुनाव से दूरी बनाकर रखी.
हमारा लक्ष्य केवल नगर का विकास है. जिसे लेकर हमने निरंतर काम किया और करते आ रहे हैं. वहीं भाजपा नगर विकास में बाधक बनकर सामने आ रही है. हर विकास कार्यों का विरोध कर रही है. पर जीत अंततः सत्य की हुई. - भैयाराम सिन्हा, पूर्व विधायक
'' मुख्यमंत्री के सपनों पर नगर विकास के लिए कार्य किया और आगे भी करते रहेंगे. भाजपा लगातार अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रही है. पर हम सब पार्षद एकजुट हैं.'' महिमा साहू,नवनिर्वाचित अध्यक्ष
बीजेपी की रणनीति हुई फेल : पूरे चुनाव में कांग्रेस की एकजुटता देखने को मिली है.वहीं दूसरी तरफ भाजपा विधानसभा चुनाव से पहले अपनी एकजुटता का प्रदर्शन नहीं कर पाई.यही वजह रही कि बिना रणनीति की उतरी भाजपा को अध्यक्ष पद की कुर्सी गंवानी पड़ी.