बालोद : जिले के दल्लीराजहरा में बर्ड फ्लू फैलने की आशंका दिखाई पड़ रही है. बीते वर्ष बालोद जिले में बर्ड फ्लू की दस्तक हुई थी. कुसुमकासा क्षेत्र के मुर्गी फार्म में सैकड़ों मुर्गियों की मौत हुई थी. इसके बाद पशुपालन विभाग ने पूरा मोर्चा संभाला था. अब एक बार फिर दल्ली राजहरा क्षेत्र में 3700 मुर्गियों की मौत की बात सामने आई है. इसलिए वन विभाग ने इस क्षेत्र में मुर्गियों की बिक्री में रोक लगा दी है. साथ ही आसपास के क्षेत्रों में भी मुर्गियों के विशेष ध्यान रखने की बात कही जा रही है.
क्यों हो रही मुर्गियों की मौतें : पशुपालन विभाग के उपसंचालक डीके सिहारे ने बताया कि '' मुर्गियों के मौत होने की बात सामने आई. जिसके बाद हमने टीम को रवाना किया था. जिस तरह मुर्गियों की एक साथ मृत्यु हुई है. उसे देखते हुए विशेष जांच के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट के लिए सैंपल लैब भेजे गए हैं. हमें उस लैब रिपोर्ट का इंतजार है.'' बालोद जिले में मुर्गियों की मृत्यु के मामले में अंदेशा लगाया जा रहा है कि वैक्सीन में कुछ त्रुटि हो सकती है. फिर किसी तरह के कोई इंफेक्शन के कारण इस तरह की मुर्गियों की एक साथ मौत हुई है. मुर्गियों के लिए जो वैक्सीन आता है उसका रखरखाव भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. हालांकि आशंकाओं का दौर जारी है.
कब से हो रही है मौतें : दल्लीराजहरा तिवारी पोल्ट्री फार्म और स्वास्थ्य विभाग से जब संयुक्त रूप से जानकारी ली गई तो पता चला कि मुर्गियों की मौत का सिलसिला 2 फरवरी से शुरू हुआ था. पहले इक्के दुक्के मुर्गियों की मौत हुई. इसके बाद मौत का आंकड़ा बढ़ता गया. एक साथ 600 मुर्गियों की मौत हुई और फिर 3700 की संख्या में रखी गई सारी मुर्गियों की मौत हो गई. इसके बाद से विभाग सहित पोल्ट्री संचालकों में हड़कंप मचा है.
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पोल्ट्री फॉर्म संचालकों पर टूटा कहर : बालोद जिले के पोल्ट्री फार्म संचालकों द्वारा संयुक्त रूप से समिति बनाई गई है. जो पोल्ट्री फार्म संचालकों के हित में कार्य करती है. वहां के सदस्य सुरेंद्र देशमुख ने बताया कि ''कोरोना काल के समय से अफवाहों के कारण मुर्गियों की बिक्री में काफी कमी आई थी. व्यापार पूरी तरह चौपट था. उसके बाद बर्ड फ्लू की आमद हुई और अभी यह जो एक संकेत एक साथ इतनी मुर्गियों की मृत्यु के मिले हैं. उसको लेकर बहुत अच्छी खबर पोल्ट्री फार्म संचालकों के लिए नहीं है. अभी हम घाटे से उभरे नहीं हैं. इस तरह एक नई समस्या कहीं न कहीं पोल्ट्री फार्म संचालकों की स्थिति को कमजोर करता है.''