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SPECIAL : कहां गए सरकार के दावे, आखिर क्यों रोटी के लिए मजदूर फिर शहरों की ओर भागे

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Published : Sep 11, 2020, 8:00 PM IST

Updated : Sep 11, 2020, 8:35 PM IST

जब मजदूर बालोद जिला पहुंचे तो उन्होंने पहले तो करोना से लड़कर जिंदगी की जंग जीती. फिर उन्होंने भूख से लड़ाई लड़ी, मनरेगा के तहत उन्होंने कामकाज किसी तरह अपने परिवार का पेट पाला. आज हालात फिर वहीं आ गए जहां से वे मजदूर मजबूर हो कर वापस अपने घर से लौटे थे. आज प्रवासी मजदूर फिर एक बार पेट पालने के लिए मजबूर हैं महानगर लौटने को.

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मजबूर फिर मजदूर

बालोद: कोरोना वायरस के संक्रमण में काफी कुछ बदला है. 3 महीने के लिए किए गए लॉकडाउन में बहुत से प्रवासी मजदूर अपने घर लौट आए थे. शुरुआत में राज्य सरकार ने मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिया, ताकि इनकी रोजी रोटी चल सके. अब मजदूर पर रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है. मजदूर एक बार फिर महानगर लौटने को मजबूर हैं. बालोद जिले में प्रशासन का आंकड़ा बताता है कि दीगर राज्यों में काम करने गए 12 हजार 200 मजदूर वापस लौटे चुके हैं. लेकिन अब मजदूरों को रोजगार लालन-पालन का भय सता रहा है.

मजबूर फिर मजदूर

मजदूरों का कहना है कि जब मनरेगा का काम चल रहा था, तब जॉब कार्ड नहीं बना था. आज छोटे-मोटे काम कर गुजारा तो हो रहा है, लेकिन अब वो महानगर वापस लौटना चाहते हैं, ताकि पर्याप्त रोजगार मिल सके. प्रदेश में कोरोना वायरस का आंकड़ा बढ़ता गया तो छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने सारा ठीकरा प्रवासी मजदूरों पर फोड़ दिया, सरकार के मुताबिक ये संक्रमण प्रवासी मजदूरों के लौटने से बढ़ा है. अगर इन मजदूरों को छत्तीसगढ़ में ही पर्याप्त काम दे दिया जाता तो फिर क्यों यह मजदूर गैर राज्यों पर निर्भर रहते. इनके हालात देखकर ऐसा लग रहा है कि, यह मजदूर में एक बार फिर मजबूर नजर आ रहे हैं.

पढ़ें : बचपन पर दलालों का साया, झारखंड का मनातू बना बाल मजदूरी का केंद्र

क्या कहता है प्रशासन

प्रवासी मजदूरों के एक बार फिर महानगर रूख करने पर जिलाधीश जनमेजय महोबे से जब जानकारी ली गई, तो उनका कहना था कि प्रवासी मजदूर जो बाहर काम करने गए थे वह कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से वापस आए. लॉकडाउन खत्म हो चुका है और प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से कार्य दिया गया है और वर्तमान में निकाय क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है. उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें बैंकों के माध्यम से छोटे-छोटे लोन दिलाकर व्यापार शुरू कराया जा रहा है.

बालोद
बालोद

1500 स्ट्रीट वेंडर्स को चिन्ह अंकित

कलेक्टर ने आगे बताया कि राज्य शासन का निर्देश है खासकर स्ट्रीट वेंडर्स के लिए इन्हें कुछ ना कुछ काम दिलाया जाए और जिन कार्यों में यह दक्ष हैं, उन्हें उनके हिसाब से रोजगार मुहैया कराया जाए. इसके लिए 1500 स्ट्रीट वेंडर्स को चिन्ह अंकित भी किया गया है, जिन्हें प्रधानमंत्री की योजना से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. कलेक्टर ने बताया कि सभी बैंकों को निर्देशित किया गया है कि प्रवासी मजदूरों से संबंधित यदि कोई मामला आता है, तो उन्हें हेल्प करें.

पढ़ें : SPECIAL: मजबूर होकर फिर पलायन करने को तैयार हैं मजदूर, क्या रोजगार दे पाएगी सरकार ?

कार्य में दक्ष तो मिलेगा रोजगार

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो जिस कार्य में दक्ष हैं और बाहर जाकर उस दक्षता से रोजगार प्राप्त करते थे, उनके हिसाब से उन्हें जिले में ही रोजगार मिल पाएगा. इसकी व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है. शासकीय विभाग जैसे कि आरईएस लोक निर्माण विभाग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि ऐसे कई विभाग है, जहां निर्माण कार्य चलते हैं. वहां भी प्रमुखता से प्रवासी मजदूरों को कार्य देने निर्देशित किया गया है.

यातायात सेवाएं अभी बंद

मजदूरों का कहना है कि वे अपने महानगर वापस लौटना चाहते हैं, ताकि उन्हें बेहतर रोजगार मिल सके. यातायात सेवाएं अभी बंद हैं. सरकार ने भले यातायात सेवाएं शुरू करने को निर्देश दिए हैं, लेकिन बस संचालक अभी भी अपनी बसों को सड़कों पर नहीं उतार रहे हैं. यदि बस सेवाएं फिर से शुरू होती है तो जाहिर सी बात है पैदल अपने घरों को लौटे यह मजदूर बस या ट्रैन या फिर अन्य माध्यमों से वापस उसी जगह जाएंगे, जहां से वे काम-धाम छोड़कर वापस आए थे.

बालोद: कोरोना वायरस के संक्रमण में काफी कुछ बदला है. 3 महीने के लिए किए गए लॉकडाउन में बहुत से प्रवासी मजदूर अपने घर लौट आए थे. शुरुआत में राज्य सरकार ने मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिया, ताकि इनकी रोजी रोटी चल सके. अब मजदूर पर रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है. मजदूर एक बार फिर महानगर लौटने को मजबूर हैं. बालोद जिले में प्रशासन का आंकड़ा बताता है कि दीगर राज्यों में काम करने गए 12 हजार 200 मजदूर वापस लौटे चुके हैं. लेकिन अब मजदूरों को रोजगार लालन-पालन का भय सता रहा है.

मजबूर फिर मजदूर

मजदूरों का कहना है कि जब मनरेगा का काम चल रहा था, तब जॉब कार्ड नहीं बना था. आज छोटे-मोटे काम कर गुजारा तो हो रहा है, लेकिन अब वो महानगर वापस लौटना चाहते हैं, ताकि पर्याप्त रोजगार मिल सके. प्रदेश में कोरोना वायरस का आंकड़ा बढ़ता गया तो छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने सारा ठीकरा प्रवासी मजदूरों पर फोड़ दिया, सरकार के मुताबिक ये संक्रमण प्रवासी मजदूरों के लौटने से बढ़ा है. अगर इन मजदूरों को छत्तीसगढ़ में ही पर्याप्त काम दे दिया जाता तो फिर क्यों यह मजदूर गैर राज्यों पर निर्भर रहते. इनके हालात देखकर ऐसा लग रहा है कि, यह मजदूर में एक बार फिर मजबूर नजर आ रहे हैं.

पढ़ें : बचपन पर दलालों का साया, झारखंड का मनातू बना बाल मजदूरी का केंद्र

क्या कहता है प्रशासन

प्रवासी मजदूरों के एक बार फिर महानगर रूख करने पर जिलाधीश जनमेजय महोबे से जब जानकारी ली गई, तो उनका कहना था कि प्रवासी मजदूर जो बाहर काम करने गए थे वह कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से वापस आए. लॉकडाउन खत्म हो चुका है और प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से कार्य दिया गया है और वर्तमान में निकाय क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है. उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें बैंकों के माध्यम से छोटे-छोटे लोन दिलाकर व्यापार शुरू कराया जा रहा है.

बालोद
बालोद

1500 स्ट्रीट वेंडर्स को चिन्ह अंकित

कलेक्टर ने आगे बताया कि राज्य शासन का निर्देश है खासकर स्ट्रीट वेंडर्स के लिए इन्हें कुछ ना कुछ काम दिलाया जाए और जिन कार्यों में यह दक्ष हैं, उन्हें उनके हिसाब से रोजगार मुहैया कराया जाए. इसके लिए 1500 स्ट्रीट वेंडर्स को चिन्ह अंकित भी किया गया है, जिन्हें प्रधानमंत्री की योजना से जोड़कर रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. कलेक्टर ने बताया कि सभी बैंकों को निर्देशित किया गया है कि प्रवासी मजदूरों से संबंधित यदि कोई मामला आता है, तो उन्हें हेल्प करें.

पढ़ें : SPECIAL: मजबूर होकर फिर पलायन करने को तैयार हैं मजदूर, क्या रोजगार दे पाएगी सरकार ?

कार्य में दक्ष तो मिलेगा रोजगार

साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो जिस कार्य में दक्ष हैं और बाहर जाकर उस दक्षता से रोजगार प्राप्त करते थे, उनके हिसाब से उन्हें जिले में ही रोजगार मिल पाएगा. इसकी व्यवस्था सुनिश्चित की जा रही है. शासकीय विभाग जैसे कि आरईएस लोक निर्माण विभाग प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि ऐसे कई विभाग है, जहां निर्माण कार्य चलते हैं. वहां भी प्रमुखता से प्रवासी मजदूरों को कार्य देने निर्देशित किया गया है.

यातायात सेवाएं अभी बंद

मजदूरों का कहना है कि वे अपने महानगर वापस लौटना चाहते हैं, ताकि उन्हें बेहतर रोजगार मिल सके. यातायात सेवाएं अभी बंद हैं. सरकार ने भले यातायात सेवाएं शुरू करने को निर्देश दिए हैं, लेकिन बस संचालक अभी भी अपनी बसों को सड़कों पर नहीं उतार रहे हैं. यदि बस सेवाएं फिर से शुरू होती है तो जाहिर सी बात है पैदल अपने घरों को लौटे यह मजदूर बस या ट्रैन या फिर अन्य माध्यमों से वापस उसी जगह जाएंगे, जहां से वे काम-धाम छोड़कर वापस आए थे.

Last Updated : Sep 11, 2020, 8:35 PM IST
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