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Demand For Independent Village : बालोद में स्वतंत्र पंचायत की मांग, मांग पूरी नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार की धमकी - ग्राम पंचायत चीचा

Demand For Independent Village बालोद के आश्रित गांव गोरकापार के ग्रामीणों ने जिला प्रशासन को अपनी शिकायतों का पर्चा थमाया है. ग्रामीण अपने गांव को स्वतंत्र पंचायत का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं.ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी भी दी है.जिसमें कहा गया है कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो आने वाले विधानसभा चुनाव का वो बहिष्कार करेंगे.Balod News

Demand For Independent Village
बालोद में स्वतंत्र पंचायत की मांग
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 5, 2023, 2:13 PM IST

Updated : Oct 5, 2023, 3:28 PM IST

बालोद में स्वतंत्र पंचायत की मांग, मांग पूरी नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार की धमकी

बालोद : छत्तीसगढ़ में आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं.लेकिन चुनाव से पहले ही कुछ गांवों ने मतदान में हिस्सा लेने से मना किया है. ऐसे ही एक गांव बालोद जिले का गोरकापार है.इस गांव के लोग स्वतंत्र पंचायत का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गोरकापार ग्राम पंचायत चीचा का आश्रित गांव है.जिसके कारण परेशानी हो रही है. ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अपना काम बंद करके सैकड़ों की संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. ग्रामीणों ने अलग पंचायत की मांग पूरी न होने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है.

आश्रित गांव में नहीं हुआ विकास : ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव आदिवासी बाहुल्य गांव है. अनुसूचित जनजातीय वर्ग की उपेक्षा इस गांव में हो रही है. ग्रामीण अनिल मानकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य बने 23 वर्ष हो चुके हैं.लेकिन हमारा गांव आदिवासी बाहुल्य होने के बाद भी विकास कार्यों से कोसों दूर है.ग्राम गोरकापार में आने जाने के लिए एक ही रास्ता है. वह भी जर्जर अवस्था में है. बीच में एक नाला पड़ता है. वह हर वर्ष बरसात के पानी में बह जाता है.जिसके कारण हम काफी परेशान रहते हैं.

''गांव में केवल प्राथमिक स्तर तक ही स्कूल है. उच्च शिक्षा के लिए दूसरे गांव पर आश्रित रहना पड़ता है. आश्रित गांव होने के कारण आदिवासी बाहुल्य लोग होने के कारण यहां पर विकास रुका हुआ है. सिंचाई के लिए नहर नाली की व्यवस्था का भी अभाव है .कृषि उत्पादन में हमारा गांव पिछड़ा हुआ है.'' महाजन सिंह ठाकुर,ग्रामीण

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गांव में कई सुविधाओं की है कमी : हर क्षेत्र में विकास से दूर ग्रामीणों ने बताया कि इन सब पिछड़ेपन और विकास से दूर रहने का एकमात्र कारण आश्रित गांव का होना है.आश्रित गांव गोरकापार में बिजली के खंभे जर्जर होकर टूट रहे हैं. जिस पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है. इसलिए ग्रामीण जिला प्रशासन के पास अपनी समस्याओं को लेकर आए हुए हैं. खेतों में आने-जाने के लिए सड़कें नहीं हैं. मुक्तिधाम में शेड का निर्माण नहीं कराया गया है.

गांव में नहीं आते पटवारी सचिव : ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के पंचायल में सचिव,पटवारी और कृषि विकास अधिकारी दौरा नहीं करते हैं.यही नहीं गांव में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसे इलाज के लिए दूसरे गांव लेकर जाना पड़ता है.साथ ही साथ गौठान भी नहीं है.जिसके कारण आवारा मवेशियों का गांव में जमावड़ा रहता है.

जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं दिया ध्यान : ग्रामीणों ने इस मामले में कलेक्टोरेट में लिखित में शिकायती पत्र दिया है. ग्रामीणों ने अपने पत्र में लिखा कि गांव की समस्या के बार में पूर्व विधायक वीरेंद्र साहू, राजेंद्र राय और वर्तमान विधायक कुंवर सिंह निषाद को भी समस्या से अवगत कराया गया.लेकिन किसी ने भी समस्या का समाधान नहीं किया.अपनी मांगों को लेकर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से शिकायत की है.गांव को स्वतंत्र पंचायत का दर्जा नहीं देने पर चुनाव बहिष्कार की धमकी ग्रामीणों ने दी है.

बालोद में स्वतंत्र पंचायत की मांग, मांग पूरी नहीं होने पर चुनाव बहिष्कार की धमकी

बालोद : छत्तीसगढ़ में आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं.लेकिन चुनाव से पहले ही कुछ गांवों ने मतदान में हिस्सा लेने से मना किया है. ऐसे ही एक गांव बालोद जिले का गोरकापार है.इस गांव के लोग स्वतंत्र पंचायत का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गोरकापार ग्राम पंचायत चीचा का आश्रित गांव है.जिसके कारण परेशानी हो रही है. ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अपना काम बंद करके सैकड़ों की संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. ग्रामीणों ने अलग पंचायत की मांग पूरी न होने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है.

आश्रित गांव में नहीं हुआ विकास : ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव आदिवासी बाहुल्य गांव है. अनुसूचित जनजातीय वर्ग की उपेक्षा इस गांव में हो रही है. ग्रामीण अनिल मानकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य बने 23 वर्ष हो चुके हैं.लेकिन हमारा गांव आदिवासी बाहुल्य होने के बाद भी विकास कार्यों से कोसों दूर है.ग्राम गोरकापार में आने जाने के लिए एक ही रास्ता है. वह भी जर्जर अवस्था में है. बीच में एक नाला पड़ता है. वह हर वर्ष बरसात के पानी में बह जाता है.जिसके कारण हम काफी परेशान रहते हैं.

''गांव में केवल प्राथमिक स्तर तक ही स्कूल है. उच्च शिक्षा के लिए दूसरे गांव पर आश्रित रहना पड़ता है. आश्रित गांव होने के कारण आदिवासी बाहुल्य लोग होने के कारण यहां पर विकास रुका हुआ है. सिंचाई के लिए नहर नाली की व्यवस्था का भी अभाव है .कृषि उत्पादन में हमारा गांव पिछड़ा हुआ है.'' महाजन सिंह ठाकुर,ग्रामीण

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गांव में कई सुविधाओं की है कमी : हर क्षेत्र में विकास से दूर ग्रामीणों ने बताया कि इन सब पिछड़ेपन और विकास से दूर रहने का एकमात्र कारण आश्रित गांव का होना है.आश्रित गांव गोरकापार में बिजली के खंभे जर्जर होकर टूट रहे हैं. जिस पर कोई ध्यान देने वाला नहीं है. इसलिए ग्रामीण जिला प्रशासन के पास अपनी समस्याओं को लेकर आए हुए हैं. खेतों में आने-जाने के लिए सड़कें नहीं हैं. मुक्तिधाम में शेड का निर्माण नहीं कराया गया है.

गांव में नहीं आते पटवारी सचिव : ग्रामीणों का आरोप है कि गांव के पंचायल में सचिव,पटवारी और कृषि विकास अधिकारी दौरा नहीं करते हैं.यही नहीं गांव में यदि कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है तो उसे इलाज के लिए दूसरे गांव लेकर जाना पड़ता है.साथ ही साथ गौठान भी नहीं है.जिसके कारण आवारा मवेशियों का गांव में जमावड़ा रहता है.

जनप्रतिनिधियों ने भी नहीं दिया ध्यान : ग्रामीणों ने इस मामले में कलेक्टोरेट में लिखित में शिकायती पत्र दिया है. ग्रामीणों ने अपने पत्र में लिखा कि गांव की समस्या के बार में पूर्व विधायक वीरेंद्र साहू, राजेंद्र राय और वर्तमान विधायक कुंवर सिंह निषाद को भी समस्या से अवगत कराया गया.लेकिन किसी ने भी समस्या का समाधान नहीं किया.अपनी मांगों को लेकर ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से शिकायत की है.गांव को स्वतंत्र पंचायत का दर्जा नहीं देने पर चुनाव बहिष्कार की धमकी ग्रामीणों ने दी है.

Last Updated : Oct 5, 2023, 3:28 PM IST
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