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SPECIAL REPORT : वादा...हर महिला को रोजगार, खर्च 10 करोड़ रुपये, हकीकत शून्य

250 एकड़ में रेशम उत्पादन के लिए लगाए गए पौधे खराब हो गए हैं. हालात ये हैं कि रेशम उत्पादन का काम करने वाली महिलाएं दो वक्त की रोटी के लिए भी मोहताज हैं. महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए रेशम उत्पादन पर दस करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर दिए गए हैं, लेकिन इससे गांव की एक महिला को भी रोजगार नहीं मिला है

Women suffer from silk farming-in-balrampur
रेशम की खेती से नुकसान
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Published : Sep 12, 2020, 4:24 PM IST

बलरामपुर : धंधापुर ग्राम पंचायत में महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए रेशम उत्पादन पर दस करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई, लेकिन इससे गांव की एक भी महिला को रोजगार नहीं मिला है. पूरी योजना आज भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिख रही है. गांव में 250 एकड़ में रेशम उत्पादन के लिए पौधे लगाए गए थे, लेकिन सब बेकार हो गए हैं. आज हालात ये हैं कि महिलाएं इस योजना को कोसते नजर आ रही हैं और कह रही हैं कि सपने तो बहुत दिखाए गए, लेकिन उन सपनों को पूरा करने से पहले ही तोड़ दिया गया. मामला जब मीडिया में आया तो एसडीएम अब जांच की बात कर रहे हैं.

रेशम की खेती से नुकसान

दरअसल, धंधापुर में फॉरेस्ट और राजस्व विभाग को मिलाकर एनजीओ की मदद से लगभग 250 एकड़ में 90 हजार पौधे लगाए गए थे. गांव की महिलाओं को समूह के माध्यम से इन पौधों को लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी. महिलाओं को यह कहा गया था कि इससे उन्हें काफी लाभ मिलने वाला है और उनकी जिंदगी संवर जाएगी, लिहाजा महिलाओं ने बड़े ही उत्साह के साथ रेशम के पौधे लगाए और काफी मेहनत भी की, लेकिन महिलाओं की मेहनत आज बेकार हो गई है. पौधे फुट में तब्दील हो गए हैं और उन्हें पैसे के नाम पर कुछ भी नहीं मिला है. महिलाओं ने बताया कि उस दौरान जो उन्होंने काम किया था उसका पैसा भी उन्हें नहीं दिया गया है, जिससे वे काफी निराश हैं.

नहीं मिल मेहनत का फल

लगभग 250 एकड़ में जब पौधे लगाए गए थे, तो इसमें गांव के महिलाओं की मदद के लिए पुरुष वर्ग के लोगों को भी शामिल किया गया था. कुछ पुरुषों ने भी पौधे पर मेहनत की थी और उन्हें उम्मीद थी कि बेहतर कमाई होगी, लेकिन आज पौधों की हालत देखकर वे भी बेहद दुखी हैं. उन्होंने कहा कि पौधे लगाए जाने के बाद कभी भी न तो एनजीओ के आदमी आए और ना ही अधिकारियों ने उनकी मदद की.

जांच के बाद होगी कार्रवाई

इस मामले में एनजीओ से बात की गई तो उनका कहना है कि महिलाओं को कभी भी पैसे की कमी नहीं हुई थी और उन्हें पूरी मजदूरी दी गई है. एनजीओ के मुताबिक क्षेत्र में अभी प्लांटेशन खत्म नहीं हुआ है. वहीं इस मामले में एसडीएम जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे हैं.

पूरे प्रदेश का यही हाल

एनजीओ की मदद से छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर ऐसे प्लांटेशन और रोजगार के काम किए गए हैं, जिसमें करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन एनजीओ के काम में कहीं से भी यह खबर नहीं सामने आती है कि किसी वर्ग को या समूह को कोई फायदा हुआ हो. ऐसे में कभी किसी एनजीओ को पर कार्रवाई भी नहीं हुई है. इसलिए इनके हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं. बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में जिस तरह से सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है, प्रशासन उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करती है.

बलरामपुर : धंधापुर ग्राम पंचायत में महिलाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए रेशम उत्पादन पर दस करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च की गई, लेकिन इससे गांव की एक भी महिला को रोजगार नहीं मिला है. पूरी योजना आज भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती दिख रही है. गांव में 250 एकड़ में रेशम उत्पादन के लिए पौधे लगाए गए थे, लेकिन सब बेकार हो गए हैं. आज हालात ये हैं कि महिलाएं इस योजना को कोसते नजर आ रही हैं और कह रही हैं कि सपने तो बहुत दिखाए गए, लेकिन उन सपनों को पूरा करने से पहले ही तोड़ दिया गया. मामला जब मीडिया में आया तो एसडीएम अब जांच की बात कर रहे हैं.

रेशम की खेती से नुकसान

दरअसल, धंधापुर में फॉरेस्ट और राजस्व विभाग को मिलाकर एनजीओ की मदद से लगभग 250 एकड़ में 90 हजार पौधे लगाए गए थे. गांव की महिलाओं को समूह के माध्यम से इन पौधों को लगाने की जिम्मेदारी दी गई थी. महिलाओं को यह कहा गया था कि इससे उन्हें काफी लाभ मिलने वाला है और उनकी जिंदगी संवर जाएगी, लिहाजा महिलाओं ने बड़े ही उत्साह के साथ रेशम के पौधे लगाए और काफी मेहनत भी की, लेकिन महिलाओं की मेहनत आज बेकार हो गई है. पौधे फुट में तब्दील हो गए हैं और उन्हें पैसे के नाम पर कुछ भी नहीं मिला है. महिलाओं ने बताया कि उस दौरान जो उन्होंने काम किया था उसका पैसा भी उन्हें नहीं दिया गया है, जिससे वे काफी निराश हैं.

नहीं मिल मेहनत का फल

लगभग 250 एकड़ में जब पौधे लगाए गए थे, तो इसमें गांव के महिलाओं की मदद के लिए पुरुष वर्ग के लोगों को भी शामिल किया गया था. कुछ पुरुषों ने भी पौधे पर मेहनत की थी और उन्हें उम्मीद थी कि बेहतर कमाई होगी, लेकिन आज पौधों की हालत देखकर वे भी बेहद दुखी हैं. उन्होंने कहा कि पौधे लगाए जाने के बाद कभी भी न तो एनजीओ के आदमी आए और ना ही अधिकारियों ने उनकी मदद की.

जांच के बाद होगी कार्रवाई

इस मामले में एनजीओ से बात की गई तो उनका कहना है कि महिलाओं को कभी भी पैसे की कमी नहीं हुई थी और उन्हें पूरी मजदूरी दी गई है. एनजीओ के मुताबिक क्षेत्र में अभी प्लांटेशन खत्म नहीं हुआ है. वहीं इस मामले में एसडीएम जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कर रहे हैं.

पूरे प्रदेश का यही हाल

एनजीओ की मदद से छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर ऐसे प्लांटेशन और रोजगार के काम किए गए हैं, जिसमें करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, लेकिन एनजीओ के काम में कहीं से भी यह खबर नहीं सामने आती है कि किसी वर्ग को या समूह को कोई फायदा हुआ हो. ऐसे में कभी किसी एनजीओ को पर कार्रवाई भी नहीं हुई है. इसलिए इनके हौसले लगातार बुलंद होते जा रहे हैं. बहरहाल, अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में जिस तरह से सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया है, प्रशासन उनके खिलाफ क्या कार्रवाई करती है.

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