ETV Bharat / state

सरगुजा: मां महामाया की महिमा है अपार, आखिर क्यों बनाया जाता है शीश हर बार - सरगुजावासियों की आराध्य देवी

ETV भारत आपको प्रदेश के प्रसिद्ध देवी मंदिरों के दर्शन करा रहा है. चलिए ETV भारत के साथ कीजिए सरगुजा की आराध्य देवी मां महामाया के दर्शन.

छिन्नमस्तिका मां महामाया मंदिर
author img

By

Published : Sep 29, 2019, 11:53 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: छत्तीसगढ़ नवरात्र की रौनक देखते ही बनती है. आदिशक्ति मां दुर्गा की भक्ति में उनके सभी भक्त लीन हैं. ETV भारत आपको प्रदेश के प्रसिद्ध देवी मंदिरों के दर्शन करा रहा है. चलिए ETV भारत के साथ कीजिए सरगुजा की आराध्य देवी मां महामाया के दर्शन.

सरगुजा के महामाया मंदिर का इतिहास

सरगुजावासियों की आराध्य देवी महामाया की महिमा अपरंपार है. छिन्नमस्तिका होने के बाद भी मां की दिव्य शक्तियों के आगे लोग यहां श्रद्धा से खिंचे चले आते हैं. क्वार महीने की नवरात्रि में छिन्नमस्तिका मां महामाया के सिर का निर्माण राजपरिवार के कुम्हार हर साल करते हैं. ऐसे कई रहस्य महामाया से जुड़े हैं जिनमें से कुछ हम आप तक पहुंचा रहे हैं.

महामाया मंदिर का इतिहास
सरगुजा के इतिहासकार और राजपरिवार के जानकार गोविंद शर्मा बताते हैं की, महामाया मंदिर का निर्माण सन 1910 में कराया गया. इससे पहले एक चबूतरे में मां सत्यापित थीं और राजपरिवार के लोग जब पूजा करने जाते थे, वहां बाघ बैठे रहते थे. सैनिक जब बाघ को हटाते थे तब जाकर माता का पूजन किया जाता था.

  • आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि जिस प्रतिमा को महामाया के नाम से लोग पूजते हैं दरअसल पहले इनका नाम समलेश्वरी था.
  • महामाया मंदिर में ही दो मूर्तियां स्थापित थी वर्तमान महामाया को बड़ी समलाया कहा जाता था.
  • वर्तमान में समलाया मंदिर में विराजी मां समलाया को छोटी समलाया कहते थे बाद में जब समलाया मंदिर में छोटी समलाया को स्थापित किया गया.
  • तब बड़ी समलाया को महामाया कहा जाने लगा और तभी से अम्बिकापुर के नवागढ़ में विराजी मां महामाया और मोवीनपुर में विराजी मां समलाया की पूजा लोग कर रहे हैं.

महामाया और समलाया मंदिर में दो-दो मूर्तियां होने का कारण
इतिहासकार गोविंद शर्मा ने बताया कि, 'क्योंकि दोनों ही मंदिरों में देवी को जोड़े में रखना था. इसलिए सरगुजा के तत्कालीन महाराज रामानुज शरण सिंह देव की मां और महाराजा रघुनाथ शरण सिंह देव की पत्नी भगवती देवी ने अपने मायके मिर्जापुर से, अपनी कुलदेवी विंध्यवासिनी की मूर्ति की स्थापना इन दोनों मंदिरों में कराई. तब से महामाया और समलाया के बाजू में विंध्यवासिनी को भी पूजा जाता है.'

मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं प्रचलित
अम्बिकापुर की महामाया मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं, माना जाता है कि रतनपुर की महामाया भी इसी मूर्ती का अंश है. संभलपुर की समलाया की मूर्ती और डोंगरगढ़ की मूर्ती का भी संबंध सरगुजा से बताया जाता है.

दरअसल सरगुजा के वनांचल में आपार मूर्तियां यहां-वहां बिखरी हुई थीं और जब सिंहदेव राजपरिवार यहां आया तब इन मूर्तियों को वापस संग्रहित कर पूजा पाठ शुरू किया गया और उसके बाद से ही आस-पास के क्षेत्रों में यहां से मूर्तियां ले जाई गईं.

पढ़ें-नवरात्रिः देखिए मां बम्लेश्वरी की भव्य आरती

श्रद्धा, आस्था और विश्वास के बीच मान्यताओं का अहम योगदान रहा है और ऐसी ही कुछ मान्यताएं अम्बिकापुर की महामाया की है. जिस वजह से यहां निवास करने वाला हर इंसान अपने हर शुभ कार्य की पहली अर्जी महामाया के सामने ही लगाता है और लोगो का अटूट विश्वास है की मां किसी को भी निराश नहीं करती हैं. यही वजह है की न सिर्फ समूचे सरगुजा से बल्कि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों व अन्य प्रदेशों से भी लोग महामाया के दर्शन को आते हैं. नवरात्र में तो भक्तों की भीड़ में घंटों लाइन में लगने के बाद ही मां महामाया के दर्शन संभव होते हैं.

सरगुजा: छत्तीसगढ़ नवरात्र की रौनक देखते ही बनती है. आदिशक्ति मां दुर्गा की भक्ति में उनके सभी भक्त लीन हैं. ETV भारत आपको प्रदेश के प्रसिद्ध देवी मंदिरों के दर्शन करा रहा है. चलिए ETV भारत के साथ कीजिए सरगुजा की आराध्य देवी मां महामाया के दर्शन.

सरगुजा के महामाया मंदिर का इतिहास

सरगुजावासियों की आराध्य देवी महामाया की महिमा अपरंपार है. छिन्नमस्तिका होने के बाद भी मां की दिव्य शक्तियों के आगे लोग यहां श्रद्धा से खिंचे चले आते हैं. क्वार महीने की नवरात्रि में छिन्नमस्तिका मां महामाया के सिर का निर्माण राजपरिवार के कुम्हार हर साल करते हैं. ऐसे कई रहस्य महामाया से जुड़े हैं जिनमें से कुछ हम आप तक पहुंचा रहे हैं.

महामाया मंदिर का इतिहास
सरगुजा के इतिहासकार और राजपरिवार के जानकार गोविंद शर्मा बताते हैं की, महामाया मंदिर का निर्माण सन 1910 में कराया गया. इससे पहले एक चबूतरे में मां सत्यापित थीं और राजपरिवार के लोग जब पूजा करने जाते थे, वहां बाघ बैठे रहते थे. सैनिक जब बाघ को हटाते थे तब जाकर माता का पूजन किया जाता था.

  • आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि जिस प्रतिमा को महामाया के नाम से लोग पूजते हैं दरअसल पहले इनका नाम समलेश्वरी था.
  • महामाया मंदिर में ही दो मूर्तियां स्थापित थी वर्तमान महामाया को बड़ी समलाया कहा जाता था.
  • वर्तमान में समलाया मंदिर में विराजी मां समलाया को छोटी समलाया कहते थे बाद में जब समलाया मंदिर में छोटी समलाया को स्थापित किया गया.
  • तब बड़ी समलाया को महामाया कहा जाने लगा और तभी से अम्बिकापुर के नवागढ़ में विराजी मां महामाया और मोवीनपुर में विराजी मां समलाया की पूजा लोग कर रहे हैं.

महामाया और समलाया मंदिर में दो-दो मूर्तियां होने का कारण
इतिहासकार गोविंद शर्मा ने बताया कि, 'क्योंकि दोनों ही मंदिरों में देवी को जोड़े में रखना था. इसलिए सरगुजा के तत्कालीन महाराज रामानुज शरण सिंह देव की मां और महाराजा रघुनाथ शरण सिंह देव की पत्नी भगवती देवी ने अपने मायके मिर्जापुर से, अपनी कुलदेवी विंध्यवासिनी की मूर्ति की स्थापना इन दोनों मंदिरों में कराई. तब से महामाया और समलाया के बाजू में विंध्यवासिनी को भी पूजा जाता है.'

मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं प्रचलित
अम्बिकापुर की महामाया मंदिर को लेकर कई मान्यताएं हैं, माना जाता है कि रतनपुर की महामाया भी इसी मूर्ती का अंश है. संभलपुर की समलाया की मूर्ती और डोंगरगढ़ की मूर्ती का भी संबंध सरगुजा से बताया जाता है.

दरअसल सरगुजा के वनांचल में आपार मूर्तियां यहां-वहां बिखरी हुई थीं और जब सिंहदेव राजपरिवार यहां आया तब इन मूर्तियों को वापस संग्रहित कर पूजा पाठ शुरू किया गया और उसके बाद से ही आस-पास के क्षेत्रों में यहां से मूर्तियां ले जाई गईं.

पढ़ें-नवरात्रिः देखिए मां बम्लेश्वरी की भव्य आरती

श्रद्धा, आस्था और विश्वास के बीच मान्यताओं का अहम योगदान रहा है और ऐसी ही कुछ मान्यताएं अम्बिकापुर की महामाया की है. जिस वजह से यहां निवास करने वाला हर इंसान अपने हर शुभ कार्य की पहली अर्जी महामाया के सामने ही लगाता है और लोगो का अटूट विश्वास है की मां किसी को भी निराश नहीं करती हैं. यही वजह है की न सिर्फ समूचे सरगुजा से बल्कि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों व अन्य प्रदेशों से भी लोग महामाया के दर्शन को आते हैं. नवरात्र में तो भक्तों की भीड़ में घंटों लाइन में लगने के बाद ही मां महामाया के दर्शन संभव होते हैं.

Intro:सरगुजा से महामाया स्पेशल का पैकेज अगर ना बना हो तो इस पीटीसी को भी एड कर लेंगे।

Body:देश दीपक सरगुजाConclusion:
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.