सरगुजा: संत गहिरा गुरु यूनिवर्सिटी ने पीएचडी के लिए कोर्स वर्क शुरू करने का निर्णय लिया है और 21 मई से इसका शुभारंभ भी किया जा रहा है. दरअसल देश की सभी विश्वविद्यालयों के लिए यूजीसी ने 2009 और 2016 में कुछ बड़े बदलाव किए हैं.
राजभवन ने खड़े किए थे सवाल
नए बदलाव के तहत पीएचडी कराने के लिए विश्वविद्यालयों को नए नियमों का पालन करना था, लेकिन अमूमन कई विश्वविद्यालयों में ऐसा होता नहीं था. इसके परिणाम स्वरूप छात्रों की डिग्रियों पर राजभवन ने भी सवाल खड़े किए थे.
छात्रों को मिलेगा नया अनुभव
नए नियम लागू होने के बाद संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय में शोध करने वाला हर छात्र एक अलग पहचान और अनुभव के साथ पीएचडी की डिग्री लेगा. हालांकि यूनिवर्सिटी के इस फैसले से पीएचडी के कोर्स में दाखिले की जटिलता तो जरूर बढ़ जाएगी लेकिन असल मायने में शोधकर्ता सामने आएंगे.
बुलाए जाएंगे नामी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर
संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय ने 21 मई से कोर्स वर्क शुरू किया है, इसमें देश की प्रसिध्द यूनिवर्सिटी से प्रोफेसर सरगुजा आएंगे. जेएनयू, बीएचयू, एएमयू, डीयू जैसी यूनिवर्सिटी से प्रोफेसरों को सरगुजा बुलाने की तैयारी विश्वविद्यालय प्रबंधन कर रहा है.
परीक्षा करनी होगी पास
वहीं अब पीएचडी करने के लिए कोर्स वर्क पूरा करने के बाद अभ्यर्थियों को फील्ड और लैब में नियमित शोध करना होगा और इसके बाद एक परीक्षा को पास करने के बाद ही पीएचडी करने की मिलेगी अनुमति.
छात्रों को मिलेगा नया मुकाम
विभाग के प्रमुख डॉ. अनिल सिन्हा कहते हैं कि 'किसी भी विश्वविद्यालय की पहचान उसके शोध से होती है, इसलिए यूजीसी के नियमों का पालन कर कोर्स वर्क शुरू किया जा रहा है और इससे यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा और ख्याति बढ़ने के साथ-साथ यहां से निकलने वाले शोधार्थियों को एक अलग मुकाम मिलेगा'.