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महामाया पहाड़ की जांच में नहीं मिले रोहिंग्या, कांग्रेस ने बीजेपी पार्षद से मांगा इस्तीफा

सरगुजा जिले में महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण का मुद्दा भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने उठाया तो सबकी सद्भावना उनके साथ जुड़ गई. महामाया पहाड़ पर अवैध अतिक्रमण की पुष्टि और किसी भी रोहिंग्या समुदाय की मौजूदगी नहीं होने की पुष्टि के बाद अब राजनीति गरमाती जा रही है.

श्रम कल्याण बोर्ड अध्यक्ष शफी अहमद
श्रम कल्याण बोर्ड अध्यक्ष शफी अहमद
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Published : Feb 16, 2022, 11:37 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: सरगुजा जिले में महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण का मुद्दा भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने उठाया तो सबकी सद्भावना उनके साथ जुड़ गई. भाजपा नेताओं की अगुवाई में एक गैर राजनीतिक आंदोलन शहर में शुरू किया गया. महीने भर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. पार्षद ने पहाड़ पर रोहिंग्या के लोगों की घुसपैठ के भी आरोप लगाये थे. अब प्रशासन की जांच में रोहिंग्या तो नहीं मिले. जांच में पता चला कि कब्जा कई समुदायों ने किया है.

महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण का मुद्दा

यह भी पढ़ें: बिलासपुर रेलवे का कबाड़ से जुगाड़ वाला ऑफिस, 6 सीटर दफ्तर में मिलता ट्रेन-सा मजा, देखिये कैसे


कांग्रेस खेमे में आक्रोश का माहौल
महामाया पहाड़ पर अवैध अतिक्रमण की पुष्टि और किसी भी रोहिंग्या समुदाय की मौजूदगी नहीं होने की पुष्टि के बाद अब राजनीति गरमाती जा रही है. जांच रिपोर्ट में श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शफी अहमद का नाम शामिल होने और उनकी शह पर कब्जा किए जाने की बात को लेकर कांग्रेस खेमे में आक्रोश का माहौल है. इस मामले को लेकर अब कांग्रेस भी मुखर हो गई है. बुधवार को कांग्रेस पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस जांच रिपोर्ट के कुछ बिंदुओं पर सवाल उठाए हैं.


शफी अहमद ने क्या बोला
शफी अहमद ने कहा है कि भाजपा के पार्षद द्वारा आरोप लगाया गया था कि महामाया पहाड़ पर एक समुदाय विशेष के 500 लोगों को अवैध रूप से बसाया गया है. लेकिन प्रशासन की जांच में इस बात का खुलासा हो गया है. साल 2016 में प्रसाशन और वन विभाग की टीम द्वारा किए गए सर्वे में 130 बहुसंख्यक और 88 अल्प संख्यक समाज के लोगों के अतिक्रमण पाए गए हैं. इस हिसाब से भाजपा का आरोप झूठा है.

जांच रिपोर्ट के अनुसार साल 2007 से 2016 के बीच सर्वाधिक अतिक्रमण हुए है. जबकि वे 2015 में उस वार्ड से पार्षद बनकर आए थे और उसके बाद अतिक्रमण के मामलों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि कैम्प लगाकर लोगों के आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी बनाए गए. उन्होंने कहा कि कैम्प लगाने का काम प्रशासन का होता है और हर जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी होती है कि वह शासन की कल्याणकारी योजनाओं की लोगों को जानकारी देने के साथ ही इसका लाभ लोगों को दिलाए. लोगों के पात्रता की जांच करने का जिम्मा प्रशासन का होता है और वे हर आवेदन की जांच के लिए स्वतंत्र है.

ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि क्या अधिकारी जिम्मेदारी का सही तरह से निर्वाहन नहीं कर सके. जांच रिपोर्ट में इस विसंगति को भी उल्लेखित करना था. उन्होंने कहा कि महामाया पहाड़ पर रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने की बात दावे के साथ भाजपा पार्षद द्वारा की गई थी. लेकिन इसका खुलासा हो चुका है और जांच के दौरान महामाया पहाड़ पर एक भी रोहिंग्या शरणार्थी नही मिलें. उन्होंने कहा कि पार्षद ने सनसनी फैलाने और समाज को दूषित करने का काम किया है. इसलिए नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

यह भी पढ़ें: नक्सलियों के चंगुल से रिहाई के बाद इंजीनियर अशोक पवार परिवार से मिले

अतिक्रमण के मामलों में आई कमी
ननि एमआईसी सदस्य शफी अहमद ने कहा कि जब हमारा जन्म भी नहीं हुआ था. उस वक्त से लोग महामाया पहाड़ पर रहे हैं. कांग्रेस का मकसद अतिक्रमण नहीं बल्कि महामाया पहाड़ का संरक्षण है. प्रशासन की जांच में पूर्व में ही यह स्पष्ट हो चुका है कि महामाया पहाड़ पर पहले 3.79 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा था. जबकि वर्तमान में 3.39 हेक्टेयर जमीन पर ही कब्जा है. ऐसे में कांग्रेस शासन काल में महामाया पहाड़ पर कब्जे में कमी आई है.


शफी अहमद ने कहा कि महामाया पहाड़ के अतिरिक्त शहर के विभिन्न इलाकों में अवैध कब्जा हुआ है. यदि लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है तो इसे रोकना प्रशासन की जिम्मेदारी है. फिर भी उन्हें विस्थापित करना है तो किसी के साथ भेदभाव ना किया जाए.

सरगुजा: सरगुजा जिले में महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण का मुद्दा भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने उठाया तो सबकी सद्भावना उनके साथ जुड़ गई. भाजपा नेताओं की अगुवाई में एक गैर राजनीतिक आंदोलन शहर में शुरू किया गया. महीने भर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. पार्षद ने पहाड़ पर रोहिंग्या के लोगों की घुसपैठ के भी आरोप लगाये थे. अब प्रशासन की जांच में रोहिंग्या तो नहीं मिले. जांच में पता चला कि कब्जा कई समुदायों ने किया है.

महामाया पहाड़ पर अतिक्रमण का मुद्दा

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कांग्रेस खेमे में आक्रोश का माहौल
महामाया पहाड़ पर अवैध अतिक्रमण की पुष्टि और किसी भी रोहिंग्या समुदाय की मौजूदगी नहीं होने की पुष्टि के बाद अब राजनीति गरमाती जा रही है. जांच रिपोर्ट में श्रम कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष शफी अहमद का नाम शामिल होने और उनकी शह पर कब्जा किए जाने की बात को लेकर कांग्रेस खेमे में आक्रोश का माहौल है. इस मामले को लेकर अब कांग्रेस भी मुखर हो गई है. बुधवार को कांग्रेस पदाधिकारियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस जांच रिपोर्ट के कुछ बिंदुओं पर सवाल उठाए हैं.


शफी अहमद ने क्या बोला
शफी अहमद ने कहा है कि भाजपा के पार्षद द्वारा आरोप लगाया गया था कि महामाया पहाड़ पर एक समुदाय विशेष के 500 लोगों को अवैध रूप से बसाया गया है. लेकिन प्रशासन की जांच में इस बात का खुलासा हो गया है. साल 2016 में प्रसाशन और वन विभाग की टीम द्वारा किए गए सर्वे में 130 बहुसंख्यक और 88 अल्प संख्यक समाज के लोगों के अतिक्रमण पाए गए हैं. इस हिसाब से भाजपा का आरोप झूठा है.

जांच रिपोर्ट के अनुसार साल 2007 से 2016 के बीच सर्वाधिक अतिक्रमण हुए है. जबकि वे 2015 में उस वार्ड से पार्षद बनकर आए थे और उसके बाद अतिक्रमण के मामलों में कमी आई है. उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट में लिखा गया है कि कैम्प लगाकर लोगों के आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी बनाए गए. उन्होंने कहा कि कैम्प लगाने का काम प्रशासन का होता है और हर जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी होती है कि वह शासन की कल्याणकारी योजनाओं की लोगों को जानकारी देने के साथ ही इसका लाभ लोगों को दिलाए. लोगों के पात्रता की जांच करने का जिम्मा प्रशासन का होता है और वे हर आवेदन की जांच के लिए स्वतंत्र है.

ऐसे में यह सवाल भी उठता है कि क्या अधिकारी जिम्मेदारी का सही तरह से निर्वाहन नहीं कर सके. जांच रिपोर्ट में इस विसंगति को भी उल्लेखित करना था. उन्होंने कहा कि महामाया पहाड़ पर रोहिंग्या शरणार्थियों को बसाने की बात दावे के साथ भाजपा पार्षद द्वारा की गई थी. लेकिन इसका खुलासा हो चुका है और जांच के दौरान महामाया पहाड़ पर एक भी रोहिंग्या शरणार्थी नही मिलें. उन्होंने कहा कि पार्षद ने सनसनी फैलाने और समाज को दूषित करने का काम किया है. इसलिए नैतिकता के आधार पर उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए.

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अतिक्रमण के मामलों में आई कमी
ननि एमआईसी सदस्य शफी अहमद ने कहा कि जब हमारा जन्म भी नहीं हुआ था. उस वक्त से लोग महामाया पहाड़ पर रहे हैं. कांग्रेस का मकसद अतिक्रमण नहीं बल्कि महामाया पहाड़ का संरक्षण है. प्रशासन की जांच में पूर्व में ही यह स्पष्ट हो चुका है कि महामाया पहाड़ पर पहले 3.79 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा था. जबकि वर्तमान में 3.39 हेक्टेयर जमीन पर ही कब्जा है. ऐसे में कांग्रेस शासन काल में महामाया पहाड़ पर कब्जे में कमी आई है.


शफी अहमद ने कहा कि महामाया पहाड़ के अतिरिक्त शहर के विभिन्न इलाकों में अवैध कब्जा हुआ है. यदि लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है तो इसे रोकना प्रशासन की जिम्मेदारी है. फिर भी उन्हें विस्थापित करना है तो किसी के साथ भेदभाव ना किया जाए.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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