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साइंस डे पर जानिए इस युवा साइंटिस्ट की कहानी - अम्बिकापुर के इस युवा साइंटिस्ट योगेश की कहानी

अंबिकापुर के केदारपुर में रहने वाले योगेश प्रताप सिंह ने देश-विदेश में ही नहीं जिला का भी नाम रोशन किया है. योगेश ने डीआरडीओ ने पहली बार में चयनित कर लिया था. उनहोंने प्रदेश के पहले छात्र हैं जिन्हें इतनी अधिक स्कॉलरशिप मिली है.

national science day special story of ambikapur
योगेश प्रताप सिंह, युवा साइंटिस्ट
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Published : Feb 29, 2020, 12:10 AM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

सरगुजा: होनहार बिरवान के होत चिकने पात... अंबिकापुर के युवा वैज्ञानिक योगेश प्रताप सिंह ने इसे सच साबित किया है. महज 24 साल की उम्र में योगेश को डीआरडीओ ने उनके शोध के लिए सम्मानित किया है. अंबिकापुर के केदारपुर में रहने वाले योगेश प्रताप सिंह के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह कन्या महाविद्यालय में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत हैं. योगेश ने अपनी 12 वीं कक्षा तक की पढ़ाई अंबिकापुर के होलीक्रॉस स्कूल से की थी. एनआईटी रायपुर से बीटेक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने साल 2018 में ही प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप जीतकर आईआईएससी बैंगलोर में पीएचडी की पढ़ाई शुरू की.

एयरक्राफ्ट के साथ युवा साइंटिस्ट

उनके इस प्रोजेक्ट को डीआरडीओ ने पहली बार में चयनित कर लिया था. योगेश प्रदेश के पहले छात्र हैं जिन्हें इतनी अधिक स्कॉलरशिप मिली है. साथ ही बीटेक के बाद बिना एमटेक किए ही सीधे पीएचडी करने वाले भी वो प्रदेश के पहले छात्र हैं. योगेश के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह गर्ल्स कॉलेज में लैब टेक्नीशियन हैं. लेकिन उन्होंने बचपन से ही अपने दोनों बच्चों को खूब पढ़ाया है. योगेश की पढ़ाई के लिए उन्हें कर्ज तक लेना पड़ा. माता पिता के सपने को योगेश ने पूरा किया और उन्हें कभी निराश नहीं किया.

national science day special story of ambikapur
योगेश प्रताप सिंह, युवा साइंटिस्ट

योगेश के शोध को इसरो और डीआरडीओ ने किया स्वीकार

योगेश ने बताया कि 'बैंगलोर में रहकर उसने इसरो के साथ मिलकर भारतीय रॉकेट GSLV में 500 किलोग्राम का वजन कम करने का फार्मूला पेश किया था. जिसे इसरो और डीआरडीओ दोनों ने स्वीकार किया है. योगेश के इस शोध से GSLV रॉकेट के निर्माण की लागत में 38 करोड़ रुपए तक की कमी आएगी. इससे देश पर पड़ने वाले आर्थिक भार में काफी राहत मिलेगी.

national science day special story of ambikapur
एयरक्राफ्ट के साथ युवा साइंटिस्ट

योगेश को मिल चुका है डीआरडीओ का सम्मान

महज 24 साल की उम्र में योगेश प्रताप सिंह को 2019 में बैंगलोर में आयोजित DRDO के अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बेस्ट रिसर्च पेपर के लिए सम्मानित भी किया गया था. इस कॉन्फ्रेंस में देश भर के युवा वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल हुए थे. योगेश को यह अवार्ड इसरो के पूर्व डायरेक्टर और पद्मश्री सम्मानित बीएन सुरेश ने प्रदान किया था.

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योगेश प्रताप सिंह, युवा साइंटिस्ट

सरगुजा: होनहार बिरवान के होत चिकने पात... अंबिकापुर के युवा वैज्ञानिक योगेश प्रताप सिंह ने इसे सच साबित किया है. महज 24 साल की उम्र में योगेश को डीआरडीओ ने उनके शोध के लिए सम्मानित किया है. अंबिकापुर के केदारपुर में रहने वाले योगेश प्रताप सिंह के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह कन्या महाविद्यालय में लैब टेक्नीशियन के रूप में कार्यरत हैं. योगेश ने अपनी 12 वीं कक्षा तक की पढ़ाई अंबिकापुर के होलीक्रॉस स्कूल से की थी. एनआईटी रायपुर से बीटेक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने साल 2018 में ही प्रधानमंत्री रिसर्च फेलोशिप जीतकर आईआईएससी बैंगलोर में पीएचडी की पढ़ाई शुरू की.

एयरक्राफ्ट के साथ युवा साइंटिस्ट

उनके इस प्रोजेक्ट को डीआरडीओ ने पहली बार में चयनित कर लिया था. योगेश प्रदेश के पहले छात्र हैं जिन्हें इतनी अधिक स्कॉलरशिप मिली है. साथ ही बीटेक के बाद बिना एमटेक किए ही सीधे पीएचडी करने वाले भी वो प्रदेश के पहले छात्र हैं. योगेश के पिता सोमेंद्र प्रताप सिंह गर्ल्स कॉलेज में लैब टेक्नीशियन हैं. लेकिन उन्होंने बचपन से ही अपने दोनों बच्चों को खूब पढ़ाया है. योगेश की पढ़ाई के लिए उन्हें कर्ज तक लेना पड़ा. माता पिता के सपने को योगेश ने पूरा किया और उन्हें कभी निराश नहीं किया.

national science day special story of ambikapur
योगेश प्रताप सिंह, युवा साइंटिस्ट

योगेश के शोध को इसरो और डीआरडीओ ने किया स्वीकार

योगेश ने बताया कि 'बैंगलोर में रहकर उसने इसरो के साथ मिलकर भारतीय रॉकेट GSLV में 500 किलोग्राम का वजन कम करने का फार्मूला पेश किया था. जिसे इसरो और डीआरडीओ दोनों ने स्वीकार किया है. योगेश के इस शोध से GSLV रॉकेट के निर्माण की लागत में 38 करोड़ रुपए तक की कमी आएगी. इससे देश पर पड़ने वाले आर्थिक भार में काफी राहत मिलेगी.

national science day special story of ambikapur
एयरक्राफ्ट के साथ युवा साइंटिस्ट

योगेश को मिल चुका है डीआरडीओ का सम्मान

महज 24 साल की उम्र में योगेश प्रताप सिंह को 2019 में बैंगलोर में आयोजित DRDO के अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में बेस्ट रिसर्च पेपर के लिए सम्मानित भी किया गया था. इस कॉन्फ्रेंस में देश भर के युवा वैज्ञानिक और शोधकर्ता शामिल हुए थे. योगेश को यह अवार्ड इसरो के पूर्व डायरेक्टर और पद्मश्री सम्मानित बीएन सुरेश ने प्रदान किया था.

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योगेश प्रताप सिंह, युवा साइंटिस्ट
Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST
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