सरगुजा: छत्तीसगढ़ में एक बेहद गंभीर मामले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव (health minister ts singhdeo) खुलकर एक दूसरे खिलाफ दिखे. हालांकि ऐसे कई मामले पहले भी चर्चा का विषय रहे लेकिन इस बार स्वास्थ्य मंत्री ने खुलकर बयान दे दिया कि वो इसके पक्षधर नही हैं. हम बात कर रहे हैं उस बात की जब सरकार ने यह कह दिया कि प्रदेश की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में निजी अस्पतालों को लाया जायेगा. जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने इसका विरोध किया और खुलकर कहा की वो इसके समर्थन में नहीं है.
क्या निजी अस्पताल निशुल्क करेंगे इलाज ?
दरअसल सरकार के जन सम्पर्क विभाग ने यह बताया कि अब सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पताल खोलने के लिए अनुदान देगी. जिससे बड़े शहरों के निजी अस्पतालों का लोड कम होगा और गांव में ही लोगों को बेहतर इलाज मिल सकेगा. मतलब सीधा है कि अब सरकार निजी लोगों को पैसा देकर इलाज कराने का प्लान बना रही है. इस फैसले के विरोध में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव का बयान आया और उन्होंने इसे गलत फैसला करार दिया. सिंहदेव ने कहा की निजी क्षेत्र को पैसा क्यों देना, वहीं पैसा हम शासकीय अस्पतालों में लगाकर संसाधन बढ़ा सकते हैं. आगे उन्होंने कहा कि हम जनता के ही टैक्स के पैसे को अनुदान के रूप में देंगे और फिर निजी अस्पताल दोबारा जनता से पैसे लेकर इलाज करेंगे. अगर निजी अस्पताल निशुल्क सेवा देंगे तो बढ़िया है वरना वो इस फैसले के पक्ष में नहीं है.
ETV भारत ने की पड़ताल
उहापोह की इस स्थिति के बीच ETV भारत ने जाना कि क्या वाकई छत्तीसगढ़ की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी नकारा है कि निजी अस्पतालों को अनुदान देकर अब लोगों तक बेहतर इलाज पहुंचाना पड़ेगा. तो ETV भारत की तीन अलग अलग पड़तालों में जो तस्वीर सामने आई है वो राहत देने वाली है. सरगुजा की ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में लगातार सुधार हुए हैं, कोरोना की जंग में भी ग्रामीण अस्पतालों ने क्षमता से कहीं अधिक बेहतर परिणाम दिये हैं.
सबसे बड़े अस्पताल परीक्षण में अव्वल
सरगुजा के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो यहां PHC यानी कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद रिकॉर्ड दर्ज कर चुके हैं. वह अस्पताल जिसकी परिकल्पना ही सिर्फ प्राथमिक उपचार के लिये की गई है, वहां गंभीर बीमारियों तक का इलाज किया जा रहा है. सुविधाओं की क्वॉलिटी में भी एनक्वास (नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस स्टैंडर्ड) में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक हासिल करने वाले दो PHC सरगुजा के ही थे. भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का यह परीक्षण बेहद कठिन और पेचीदा होता है. परीक्षण में सरगुजा के रघुनाथपुर और लुंड्रा PHC ने अपना नाम दर्ज किया. जिसके हिसाब से ये दोनों ही ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र प्रदेश के सबसे बेहतर स्वास्थ्य केंद्र कहलाये.
प्रदेश के लिए मॉडल
ETV भारत ने पहले भी कई ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति का जायजा लिया है. सरगुजा में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था बेहतर मिली है. इस बार रघुनाथपुर PHC की कहानी इसलिए बता रहे हैं क्योंकि ऐसे अस्पताल आदर्श हैं. पूरे प्रदेश के लिये और सरकार को इन्हें आदर्श मानकर ऐसी व्यवस्था पूरे प्रदेश में अनिवार्य कर देनी चाहिये. जिससे खुद ब खुद ग्रामीण क्षेत्रों से रेफरल की समस्या खत्म हो जायेगी और इसके लिये किसी अनुदान और बजट की जरूरत भी नहीं होगी.
एक PHC में इतनी सुविधाएं
रघुनाथपुर PHC में महिलाओं का प्रसव पूर्व जांच, प्रसव पूर्व इलाज, प्रसव की व्यवस्था, शिशु केयर की व्यवस्था, टीकाकरण की व्यवस्था, नर्सिंग, OPD, ड्रेसिंग, 24 घंटे OPD, यूनानी चिकित्सा, आयुर्वेदिक चिकित्सा, होम्योपैथी चिकित्सा, नेत्र रोग विभाग की व्यवस्था है. इसके साथ ही पर्याप्त स्टाफ व दवाइयों का स्टॉक रहता है. हर एक उपकरण यहां डिस्प्ले किया गया है. इस छोटे से अस्पताल के पास अपना खुद का कांफ्रेंस हाल है. पोस्टमार्टम घर ऐसा है की आप देखकर हैरान रह जायेंगे. पहली बार ऐसी मरचुरी देखी जिसमे ना तो गंदगी थी. ना मक्खी और ना ही दुर्गंध. पोस्टमार्टम करने वाले प्लेटफार्म को ऐसा डिजाइन किया गया है कि उसे तुरंत ही आसानी से साफ किया जा सकता है. प्लेटफार्म में पानी का बेहतर आउटपुट है, और दो स्प्रिंकलर लगे हुए हैं. जैसा कि घर के वेस्टन टॉयलेट में होता है.
डेडिकेशन से हुआ संभव
बड़ी बात यह है की इतना सब कुछ करने के लिये इस अस्पताल ने शासन से बहुत ज्यादा अनुदान नहीं लिया. बल्कि खुद के इलाज के दम पर केंद्र सरकार से मिलने वाले इंसेंटिव से ज्यादातर सेटअप तैयार किया गया है.
इंदौर छोड़ सरगुजा चुना
अस्पताल की इंचार्ज डॉ रेहला और उनकी टीम की मेहनत का परिणाम ना सिर्फ इस अस्पताल में दिखता है, बल्कि कायाकल्प और एनक्वास जैसे खिताब पाकर इस अस्पताल ने साबित कर दिया है की यह सर्वश्रेष्ठ PHC है. सरगुजा से लगभग 950 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश के इंदौर की रहने वाली डॉ रेहला ने सरगुजा में सेवा देने का फैसला किया. बडे शहर की आराम दायक नौकरी व अपने परिवार को छोड़ डॉ रेहला ने सरगुजा में अपनी सेवा देने का फैसला किया और पिछले कई सालों से वो यहां के ग्रामीण अस्पताल में सेवा दे रही हैं.
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आंकड़ों पर नजर
साल 2014 में यहां 3 हजार ओपीडी, 160 आईपीडी और महज 100 प्रसव हुये थे. लेकिन साल 2019 में 12 हजार ओपीडी, 600 आईपीडी और 5 सौ से अधिक प्रसव हुए. साल 2020 में यह आंकड़े कोरोना की वजह से प्रभावित जरूर हुए. लेकिन फिर भी बहुत हैं. इस वर्ष 8 हजार OPD और 335 प्रसव हुए, साल 2021 में अब तक 6 महीने में ही 5270 ओपीडी और 127 सुरक्षित प्रसव इस अस्पताल में हो चुके हैं. इतना ही नहीं कोरोना काल में इस अस्पताल ने कोविड टेस्ट लगातार चालू रखा और वेक्सिनेशन में भी जिले में रिकॉर्ड दर्ज करने वाला पहला PHC रहा. इसी पीएचसी के गांव पुरकेला में सबसे पहले 100% टीकाकरण किया गया.
खजाने पर बोझ या ऐसे मॉडल
बहरहाल इस अस्पताल की स्थिति और इलाज के आंकड़े ETV भारत सिर्फ इसलिए दिखा रहे हैं कि यह भी इसी प्रदेश में संभव हुआ और यह कोई चमत्कार नहीं है. बस कुछ लोगों का छोटा सा प्रयास है. जो इतनी बेहतर सेवाएं बिना अधिक अतिरिक्त बजट के दे रहा है.ऐसे ही प्रयास पूरे प्रदेश में किये जा सकते हैं. हालांकि निर्णय सरकार को करना है कि वो ऐसे अस्पतालों को मॉडल बनाकर बिना अतिरिक्त खर्च के ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा बेहतर करना चाहती है या फिर निजी लोगों को अनुदान देकर अपने खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ाना चाहती है.