सरगुजा: 'विद्या ददाति विनयम' जैसे अलंकृत वाक्यों के मार्ग पर चलने वाली संस्थाएं भी अब लापरवाही की जद में आ चुकी है. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि सरजुगा संभाग में उच्च शिक्षा का इकलौता केंद्र संत गहिरा गुरु विश्व विद्यालय के कर्मचारी विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद आज तक अनियमित कर्मचारी ईपीएफ की सुविधा से वंचित हैं.
कर्मचारियों के भविष्य को सुरक्षित करने के उद्देश्य से ईपीएफ इस विवि में लागू नहीं हो सका है. कर्मचारी अफसरों के दवाब में इतने दिनों तक अपने हक की आवाज बुलंद नहीं कर सके. जिसके परिणाम स्वरूप विवि में कार्यरत अनियमित कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि की योजना का लाभ नहीं मिल सका. कोरोना काल में मौत और अभाव के दौर से गुजरने के बाद कर्मचारियों में एकता आई और इसके लिए आवाज उठाई गई.
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दिसंबर 2020 के अंत में विवि ने यह निर्णय लिया कि कर्मचारियों के भविष्य निधि का लाभ दिया जायेगा, लेकिन जनवरी 2021 से शुरू हुई योजना 3 महीने में ही फिर एक बार फिर अटक गई है. अब एक नया विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि 10 साल से अधिक का समय बीत चुका था और विवि की नियोक्ता अपना अंशदान दे रहा था. लेकिन 10 से 11 हजार रुपए महीने में काम करने वाला कर्मचारी 10 साल का अंशदान एक साथ कैसे अदा कर सकेगा.
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इसके बाद कर्मचारियों ने अपनी बात विवि कार्यपरिषद के समक्ष रखी. जिसके बाद कार्यपरिषद ने 1 करोड़ 44 लाख रुपए नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के अंशदान की राशि स्वीकृत की, लेकिन स्वीकृति के बाद भी कर्मचारियों के खाते में पैसे नहीं जमा हो सके हैं. इसी बीच संत गहिरा गुरु विवि में बनारस विवि के रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. अशोक सिंह नए कुलपति बनकर आ चुके हैं. कुलपति के आने से अब एक बार फिर अनियमित कर्मचारियों की उम्मीद जगी है. आज वो अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर काफी चिंतित हैं. नये कुलपति से अपने भविष्य निधि की मांग रख चुके हैं.