सरगुजा: नींद न आना या बीच में नींद खुलने के बाद दोबारा नींद न आना एक गंभीर समस्या है. आजकल अधिकतर लोग इस समस्या के शिकार हैं. खासकर युवा पीढ़ी, जो देर रात तक मोबाइल और इंटरनेट की दुनिया से घिरे रहती है. अब यह केवल एक समस्या न रहकर गंभीर बीमारी का रूप ले चुकी है. इसकी सबसे बड़ी वजह हमारी अनियमित और अनुशासनहीन जीवनशैली है.
क्या कहते हैं मनोरोग विशेषज्ञ: मनोरोग विभाग के क्लीनिकल फीजियोलॉजिस्ट डॉ सुमन कहते हैं "साइकोलॉजी की थ्योरी में 10 तरह की पर्सनालिटी होती है. इसमें एक तरह का व्यक्तित्व एंगसियस पर्सनालिटी होती है. इन लोगों के साथ छोटी छोटी बातों में घबरा जाना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, हल्की सी आहट में नींद खुल जाना, इन लोगों की पर्सनालिटी जब एब्नॉर्मल होने लगती है, तो बाद में वो एंजायटी का रूप ले लेती है."
लोगों में सिर दर्द की बढ़ी समस्या: अम्बिकापुर में अनिद्रा से परेशान एक मरीज बताते हैं "शुरुआत में हल्की सी आहट पर नींद खुल जाती थी और रात में नींद खुलने के बाद फिर दोबारा नींद आने में मुश्किल होती था. धीरे धीरे सिर में दर्द रहने लगा. पेट भी अक्सर खराब रहता था. यह साधारण उपचार से ठीक हो जाता, लेकिन समस्या बनी रही. लंबा समय बीतने के बाद समस्या बढ़ने लगी. फिर मनोरोग विभाग में संपर्क किया. यहां करीब 1 साल इलाज चला. अब काफी आराम है."
गहरी नींद मतलब अच्छी मेंटल हेल्थ: मसला नींद से जुड़ा है. नींद अगर पूरी और गहरी नहीं ली गई, तो वो कई तरह की गंभीर बीमारियों को जन्म देगी. जो लोग गहरी नींद में सोते हैं, शोर शराबे से जिनकी नींद नहीं खुलती, वो निश्चिंत रहें." डॉ सुमन बताते हैं "गहरी नींद में सोना अच्छी बात है क्योंकि लोग आज कल नींद के लिये तरसते हैं. अच्छी नींद होना तो अच्छे मेन्टल हेल्थ की निशानी है."
इन उपायों से मिलेगा आराम: सीनियर नर्सिंग ऑफिसर सृष्टि चौरसिया कहती हैं "अनिद्रा को लोग शुरुआत में नार्मल सझते हैं. जब तकलीफ बढ़ने लगती है तब वो यहां पर आते हैं. यहां से जो इलाज किया जा रहा है, उससे उनको आराम मिलता है. तभी वो बार बार फॉलोअप के लिये आ रहे हैं. सबसे जरूरी है, सुबह वर्कआउट करना चाहिये. योग, मेडिटेशन के जरिये दिमाग को शांत रखने की सलाह भी हम लोग देते हैं. बेहतर है कि रात का खाना जल्दी खा लें, खाने के बाद टहलें, सोने से आधे घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस खुद से दूर रख दें"
अनिद्रा ने बढ़ाई मुसीबत: लंबे समय से अनिद्रा से जूझ रहे एक ग्रामीण मरीज बताते हैं " लगातार अनिद्रा के कारण मानसिक स्थिति बिगड़ गई थी. अजीब हरकतें करने लगा था. अभी करीब डेढ़ साल से इलाज चल रहा है. डाक्टरों ने 15 से 16 बार दवाइयों का डोज दिया है. इसके साथ ही जीवन शैली में परिवर्तन किया. टाइम पर सोना, टाइम पर खाना, योगा करना, लाइट म्यूजिक सुनना. अब बहुत हद तक आराम है अब डाक्टर दवाईयां बन्द करने को कह रहे हैं."
विश्व प्रसिद्ध थेरेपी का इस्तेमाल: डॉ सुमन यह भी कहते हैं " जब तक यह प्रॉब्लम बढ़ती नहीं है तब तक उनकी पर्सनालिटी मोडिफिकेशन किया जा सकता है. साइको थेरेपी में एक पद्धति है, जिसको पर्सनालिटी मोडिफिकेशन बोलते हैं. इसमें उसकी पर्सनालिटी को रिलैक्स कराते हैं. जैसे योगा, मेडिटेशन. विश्व स्तरीय थेरेपी है, जेकेबशन प्रोग्रेसिव मसल्स रिलैक्सेशन थैरेपी, माइंड फुलनेस. इस तरह की थेरेपी देने से पर्शनलिटी में सुधार होता है"
फिजिकल वर्क आउट बहुत जरूरी: साइकोलॉजी विभाग के डॉ सुमन कहते हैं " आज कल अनिद्रा की समस्या बढ़ी है क्योंकि लोग फिजिकल वर्कआउट नहीं करते हैं. सबसे पहले हमें साइंटिफिक तरीके से वर्क आउट करना चाहिये. पसीना बहाने जैसी एक्सरसाइज करना चाहिये या फुटबॉल खेलना चाहिये. आजकल लोगों का रुझान फिजिकल वर्कआउट से हट रहा है. इसका कारण है मोबाइल. इसके अलावा भी लोगों को बहुत सारी ऐसी टेंशन होती है, जिसके कारण उन्हें नींद नहीं आती है."