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रियलिटी चेक: कितना पुख्ता है मुसाफिरों के लिए आश्रय स्थल में इंतजाम ?

अंबिकापुर में मुसाफिरों के लिए ठंड में रात गुजारने की क्या व्यवस्था है ? इसका जायजा लेने ETV भारत की टीम शहर की सड़कों पर निकली. सरगुजा में रात बिताने के इंतजाम को लेकर ETV भारत की टीम ने मुसाफिरों से बातचीत की है.

cold weather in sarguja
अंबिकापुर में मुसाफिरों के लिए इंतजाम
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Published : Dec 29, 2020, 4:51 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: तेज ठंड के लिए मशहूर सरगुजा में इस साल भी ठंड का कहर जारी है. ऐसे में यहां आने वाले मुसाफिरों के लिए ठंड में रात गुजारने की क्या व्यवस्था है ? इसका जायजा लेने ETV भारत की टीम शहर सड़कों पर निकली.

आश्रय स्थल का रियलिटी चेक

ETV भारत की टीम अंबिकापुर के बस स्टैंड पहुंची जहां, हमने लोगों से पूछा कि यहां रात बिताने के क्या इंतजाम हैं ? लोगों ने बताया कि नगर निगम द्वारा संचालित आश्रय स्थल में रहने की सुविधा है. ETV भारत की टीम नगर निगम के आश्रय स्थल पहुंची, जहां महिला और पुरुष दोनों के लिए अलग-अलग डोरमेटरी बनाई गई है. जिसमें करीब 50 लोगों के सोने की व्यवस्था है. पलंग, गद्दा, चादर, तकिया और ठंड से बचने के लिए कंबल उपलब्ध है. पीने के लिए आरओ का पानी, रूम में मनोरंजन के लिए टीवी, फायर सेफ्टी के इंतजाम भी यहा पर हैं. इतना ही नहीं सुरक्षा की दृष्टि से इस कैंपस में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

महिला केयर टेकर भी पदस्थ

आश्रय स्थल में साफ सफाई भी देखने को मिली, यहां एक पुरुष और एक महिला स्टाफ भी ड्यूटी लगी है. महिला स्टाफ इसलिए जरूरी किया गया है, ताकि महिलाओं को यहां रुकने में कोई झिझक न हो, इस आश्रय स्थल में रुकने के लिए प्रति व्यक्ति 24 घंटे के 50 रुपये लिए जाते हैं और छत्तीसगढ़ के निवासियों को गरीबी रेखा के राशन कार्ड दिखाने पर 30 रुपये ही लिया जाता है. वहीं जो लोग पैसे देने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें निशुल्क बेड के साथ फ्री में भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है.

पढ़ें-खबर का असर: जरूरतमंदों को मिथिलांगन परिवार के सदस्यों ने बांटा कंबल

कोरोना की वजह से कैंटीन बंद

आश्रय स्थल महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा चलाया जाता है. समूह की महिला ने बताया की यहां कैंटीन भी समूह के द्वारा संचालित था, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ तब से कैंटीन को बंद करना पड़ा. अबतक कैंटीन शुरू नहीं किया गया है. अभी जो भी खाने की मांग करते हैं उन्हें ये लोग ही खाना बनाकर दे देते हैं, लेकिन नए साल की शुरुआत से कैंटीन फिर से खुल जाएगा. यहां रुकने वाले लोगों को रियायती दर पर घर जैसा भोजन मिल सकेगा.

बिलासपुर: कड़ाके की ठंड में खुले आसमान के नीचे रात गुजारने को मजबूर लोग

आश्रय स्थल के बाहर असुरक्षित माहौल

आश्रय स्थल के अंदर प्रवेश करने पर तो सब कुछ अच्छा था, लेकिन इसके बाहर का नजारा कुछ अजीब था, बाहर की जमीन पर बस मालिकों का कब्जा था, पूरे परिसर में बसें खड़ी रहती हैं और गंदगी का अंबार इन बसों के कारण यहां लगा रहता है. खड़ी हुई बसों की आड़ में लोग नशा करते हैं, जिससे यहां असुरक्षा का माहौल होता है. लिहाजा शहर में संचालित एक अच्छी व्यवस्था की सुरक्षा में प्रशासन सहित पुलिस को भी ध्यान रखने की जरूरत है. ताकि आश्रय स्थल में रहने में महिला और बच्चे यहां खुद को सुरक्षित महसूस करें.

सरगुजा: तेज ठंड के लिए मशहूर सरगुजा में इस साल भी ठंड का कहर जारी है. ऐसे में यहां आने वाले मुसाफिरों के लिए ठंड में रात गुजारने की क्या व्यवस्था है ? इसका जायजा लेने ETV भारत की टीम शहर सड़कों पर निकली.

आश्रय स्थल का रियलिटी चेक

ETV भारत की टीम अंबिकापुर के बस स्टैंड पहुंची जहां, हमने लोगों से पूछा कि यहां रात बिताने के क्या इंतजाम हैं ? लोगों ने बताया कि नगर निगम द्वारा संचालित आश्रय स्थल में रहने की सुविधा है. ETV भारत की टीम नगर निगम के आश्रय स्थल पहुंची, जहां महिला और पुरुष दोनों के लिए अलग-अलग डोरमेटरी बनाई गई है. जिसमें करीब 50 लोगों के सोने की व्यवस्था है. पलंग, गद्दा, चादर, तकिया और ठंड से बचने के लिए कंबल उपलब्ध है. पीने के लिए आरओ का पानी, रूम में मनोरंजन के लिए टीवी, फायर सेफ्टी के इंतजाम भी यहा पर हैं. इतना ही नहीं सुरक्षा की दृष्टि से इस कैंपस में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.

महिला केयर टेकर भी पदस्थ

आश्रय स्थल में साफ सफाई भी देखने को मिली, यहां एक पुरुष और एक महिला स्टाफ भी ड्यूटी लगी है. महिला स्टाफ इसलिए जरूरी किया गया है, ताकि महिलाओं को यहां रुकने में कोई झिझक न हो, इस आश्रय स्थल में रुकने के लिए प्रति व्यक्ति 24 घंटे के 50 रुपये लिए जाते हैं और छत्तीसगढ़ के निवासियों को गरीबी रेखा के राशन कार्ड दिखाने पर 30 रुपये ही लिया जाता है. वहीं जो लोग पैसे देने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें निशुल्क बेड के साथ फ्री में भोजन भी उपलब्ध कराया जाता है.

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कोरोना की वजह से कैंटीन बंद

आश्रय स्थल महिला स्वयं सहायता समूह के द्वारा चलाया जाता है. समूह की महिला ने बताया की यहां कैंटीन भी समूह के द्वारा संचालित था, लेकिन जब से लॉकडाउन हुआ तब से कैंटीन को बंद करना पड़ा. अबतक कैंटीन शुरू नहीं किया गया है. अभी जो भी खाने की मांग करते हैं उन्हें ये लोग ही खाना बनाकर दे देते हैं, लेकिन नए साल की शुरुआत से कैंटीन फिर से खुल जाएगा. यहां रुकने वाले लोगों को रियायती दर पर घर जैसा भोजन मिल सकेगा.

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आश्रय स्थल के बाहर असुरक्षित माहौल

आश्रय स्थल के अंदर प्रवेश करने पर तो सब कुछ अच्छा था, लेकिन इसके बाहर का नजारा कुछ अजीब था, बाहर की जमीन पर बस मालिकों का कब्जा था, पूरे परिसर में बसें खड़ी रहती हैं और गंदगी का अंबार इन बसों के कारण यहां लगा रहता है. खड़ी हुई बसों की आड़ में लोग नशा करते हैं, जिससे यहां असुरक्षा का माहौल होता है. लिहाजा शहर में संचालित एक अच्छी व्यवस्था की सुरक्षा में प्रशासन सहित पुलिस को भी ध्यान रखने की जरूरत है. ताकि आश्रय स्थल में रहने में महिला और बच्चे यहां खुद को सुरक्षित महसूस करें.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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