सरगुजा: छत्तीसगढ़ का शिमला (Shimla of Chhattisgarh) कहे जाने वाले मैनपाट में अब आदिवासी महिलायें अधिक मुनाफे का काम रही हैं. कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) के इस प्रयास से ना सिर्फ आदिवासी महिलाओं की आमदनी के साधन बढ़े हैं. बल्कि कोरोना काल के बस सबसे जरूरी चीज इम्युनिटी बूस्टर का विकल्प (Immunity Booster Options) यहां तैयार किया जा रहा है. जाहिर है की यह काम कई मायनों में फायदेमंद साबित हो सकता है.
फसल की कटाई शुरू, समर्थन मूल्य में खरीदी की अब तक तय नहीं तारीख
60 साल पहले बसे थे तिब्बती
मैनपाट में 60 साल पहले तिब्बती शरणार्थी (Tibetan refugee) आकर बसे और यहां के मौसम के अनुसार उन्होंने यहां टाऊ की खेती शुरू की. तिब्बती नियमित यहां टाऊ की फसल लेते हैं. धीरे-धीरे स्थानीय लोग और आदिवासी समाज (Tribal Society) के लोग भी टाऊ की खेती करने लगे. लेकिन टाऊ के बीज की बिक्री का सही मूल्य इन्हें नहीं मिल पा रहा था. व्यापारी कम दाम में यहां से टाऊ के बीज खरीदकर ले जाते थे और बाहर ले जाकर अधिक मुनाफा कमा कर बेचते थे. अब प्रशासन की पहल से अब मैनपाट में टाऊ की फसल का दाम बढ़ गया है. जिससे स्थानीय लोगों के जीवन मे आर्थिक बदलाव किया सकता है.
टाऊ के आटे के लिए बैंगलोर की कंपनी से एग्रीमेंट
कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) के वैज्ञानिकों के प्रयास से जिला प्रशासन ने यहां टाऊ के आटे का निर्माण आदिवासी महिलाओं के समूह से शुरू कराया और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) की मौजूदगी में बैंगलोर की कंपनी (Bangalore Company) से टाऊ के आटे के लिए एग्रीमेंट किया गया. जिसके बाद यह कंपनी 22- 25 रुपये किलो बिकने वाले टाऊ के बीज को 35 रुपये किलो खरीद रही है. बड़ी बात यह है की 35 रुपये किलो बीज का रेट यह कंपनी सीधे किसान को दे रही है.
1 किलो टाऊ के आटे से 3 किलो कुकीज तैयार
पैकिंग, लोडिंग और ट्रांसपोर्टिंग का सारा खर्च कंपनी खुद वहन करती है. टाऊ का आटा स्थानीय बाजार में 150 से 160 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है. इस आटे से तैयार कुकीज 400 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रही है. 1 किलो टाऊ के आटे से 3 किलो कुकीज तैयार होती है और 1 किलो आटे की कुकीज बनाने का कुल खर्च 325 रुपये करीब आता है. आटे से तैयार हुई 3 किलो कुकीज 400 रुपये की दर से 1200 में बिकती है. मतलब इस फसल को प्रोफेशनल ढंग से करने पर बेहिसाब कमाई की जा सकती है. जहां 35 का बीज आटा बनकर 150 का हो जाता है.
प्रशासन की कोशिशें
वहीं 325 रुपये की लागत से बने कुकीज 1200 में बिकते हैं. जिला प्रशासन धीरे-धीरे महिला समूहों को प्रशिक्षित कर उन्हें संसाधन उपलब्ध कराने की कोशिश कर रहा है ताकि आने वाले समय मे एक बेहतर लघु उद्योग के रूप में इसे विकसित किया जा सके. मैनपाट समेत समस्त सरगुजा के स्थानीय लोग इस व्यवसाय से मुनाफा कमाकर अपने रोजगार का साधन बना सकें.
कृषि विज्ञान केंद्र (Krishi Vigyan Kendra) के वैज्ञनिक डॉ. संदीप बताते हैं कि, उन्होंने टाऊ का क्लीनिकल टेस्ट (Tau clinical test) भी नागपुर, महाराष्ट्र की एक लैब में कराया है. जिससे पता चला कि यह स्वास्थ्य के लिये बेहद फायदेमंद है. इसमें 13% प्रोटीन, 2% फैट, 362 किलो कैलोरी एनर्जी है. 65 से 68 ग्राम कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) पाया जाता है.
इम्युनिटी बूस्टर के लिए टाऊ के कुकीज का सेवन
सूक्ष्म पोषक तत्वों में सोडियम, मैग्नेशियम, पोटेशियम, कैल्शियम के साथ बहुत सारे मिनरल्स भी इसमें पाये जाते हैं. लिहाजा बाजार के जंक फूड, समेत स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले तमाम फ़ूड प्रोडक्ट की तुलना में टाऊ की कुकीज (Tau Cookies) एक इम्युनिटी बूस्टर का काम कर रही है. बड़ी बात यह है की यह कुकीज खाने में भी बेहद स्वादिष्ट है. बस जरूरत है इसके व्यापक प्रचार प्रसार सहित इस योजना को वृहद स्वरूप देने की. क्योंकि अभी यह काम टेस्टिंग प्रोजेक्ट के रूप में ही संचालित है. लेकिन अगर जिला प्रशासन इसे रूरल इंड्रस्ट्रीयल पार्क के साथ जोड़कर शुरू करे तो ना सिर्फ इस योजना को बढ़ावा मिलेगा. बल्कि रूरल इंडस्ट्रीयल पार्क में भी एक सफल उद्योग जुड़ सकेगा.