सरगुजा : प्रदेशभर में कोरोना से बचाव के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी व दुरूपयोग को रोकने के लिए कलेक्टर संजीव कुमार ने नया एक्शन प्लान बनाया है. अब जिले में किसी भी कोरोना मरीज को रेमडेसिविर की दवा तभी मिलेगी जब कलेक्टर की तरफ से गठित तीन सदस्यीय टीम इसकी अनुशंसा करेगी. बिना कमेटी की अनुमति के किसी भी मेडिकल स्टोर से निजी या शासकीय अस्पताल को इंजेक्शन जारी नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही हर सप्ताह इसकी ऑडिट भी की जाएगी कि कितने लोगों को यह इंजेक्शन लगाया गया और क्या मरीज को इंजेक्शन लगाए जाने की जरूरत थी.
हर हफ्ते इंजेक्शन का होगा ऑडिट
कलेक्टर संजीव कुमार ने रेमडेसिविर इंजेक्शन के अलॉटमेंट को लेकर एक टीम बनाई गई है. इस टीम में डॉ. रोशन, डॉ. मनीष व डॉ. अर्पण को शामिल किया गया है. ये तीनों डॉक्टर ही यह तय करेंगे की किस मरीज को इंजेक्शन दिया जाना है. इसके साथ ही कलेक्टर की तरफ से हर हफ्ते इंजेक्शन का ऑडिट भी कराया जाएगा. ऑडिट के दौरान देखा जाएगा कि इंजेक्शन किस-किस व्यक्ति को दिया गया है. इंजेक्शन लगने के बाद उसे क्या राहत मिली और कितना फायदा हुआ. इस बात की भी जांच की जाएगी कि इंजेक्शन जरूरतमंद मरीज को मिली या नहीं.
'कमीशनखोरी के कारण नहीं मिल रहा रेमडेसिविर इंजेक्शन'
निजी अपस्ताल ने खपा दिए 76 डोज
जिले के एक मेडिकल स्टोर को 100 इंजेक्शन अलॉट किए गए थे. जब इस बात की जानकारी शहर के बड़े निजी अस्पताल को लगी तो उसने रातोरात मेडिकल स्टोर के नाम पर आबंटित इंजेक्शन को उठवा लिया. इतने बड़े पैमाने पर इंजेक्शन की हेराफेरी करने का मामला जब प्रकाश में आया तो कलेक्टर संजीव झा ने ड्रग कंट्रोलर व अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. हैरानी की बात तो ये है कि निजी अस्पताल ने एक दिन में 76 लोगों को यह इंजेक्शन लगा भी दिया. इसे लेकर अधिकारी भी हैरान में है. कलेक्टर के निर्देश पर निजी हॉस्पिटल से बाकी बचे इंजेक्शन को सीज कर लिया है.
फिर से मिले 256 डोज
जिले को दोबारा रेमडेसिविर इंजेक्शन के 256 डोज मिले है. फिलहाल यह डोज मेडिकल स्टोर ड्रग प्वाइंट व सूरज मेडिकोज के पास सुरक्षित है. इनका उपयोग अब प्रशासन द्वारा गठित टीम की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकेगा. यदि किसी शासकीय या निजी अस्पताल में भर्ती मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरुरत पड़ती है तो डॉक्टर इसके लिए कलेक्टर द्वारा गठित कमेटी से सम्पर्क करेगा और कमेटी उसे उस मरीज के नाम पर दवा अलॉट करने की अनुमति मेडिकल स्टोर को देगा. इसके बाद दवा किसी अस्पताल प्रबंधन को नहीं बल्कि सीधे मरीज के परिजन तक पहुंचेगा.
मामले में जिले के कलेक्टर संजीव कुमार झा ने बताया की इंजेक्शन का दुरुपयोग ना हो. निजी हॉस्पिटल जिसे चाह रहे है उसे रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा रहे है. एक अस्पताल ने 100 इंजेक्शन रायपुर से ही उठवा लिए और उन्हें जानकारी तक नहीं लगी. अब पूछने पर बता रहे है कि एक दिन में 76 लोगों को इंजेक्शन लगा दिया. इस मामले में भी नोटिस जारी किया गया है. इसलिए यह व्यवस्था बनाई गई है. अब सीधे किसी अस्पताल को इंजेक्शन नहीं मिलेगा. तीन डॉक्टरों की टीम इसके लिए रिकमेंड करेगी. हर सप्ताह इसकी ऑडिटिंग होगी.