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अंबिकापुर का ऑक्सफोर्ड रिटर्न किसान, जिसने खेती किसानी से 40 लोगों को दिया रोजगार

अंबिकापुर के अक्षय ने पढ़ाई तो ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में की, लेकिन उनका देसी मन उन्हें खींच लाया गाय, गोबर और मिट्टी के बीच. आज अक्षय अपनी विलायती पढ़ाई का इस्तेमाल कर पशुपालन और खेती कर रहा है.

A young man studying in Oxford is doing Animal husbandry OR MODERN farming in Ambikapur
ये हैं ऑक्सफोर्ड रिटर्न किसान
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Published : Dec 25, 2020, 8:06 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

अंबिकापुर: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और फिर लंदन से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद गाय, गोबर, मिट्टी के बीच रहना शायद उतना आसान न हो, लेकिन अंबिकापुर के अक्षय ने इसे सच कर दिया है. विदेश में पढ़ाई करने के बाद अक्षय ने अपना भविष्य पशुपालन और खेती में देखा. खास बात ये है कि पशुपालन मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ किया जा रहा है. जिसमें कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने के साथ ही पशुओं की सेहत पर भी खास ध्यान रखा जा रहा है.

अंबिकापुर का ऑक्सफोर्ड रिटर्न किसान

ऑक्सफोर्ड रिटर्न किसान

ETV भारत अक्षय के डेयरी फार्म पहुंचा. अक्षय ने बताया कि उन्हें इस बिजनेस में काफी अच्छा लग रहा है. गायों की सेवा करना और उनके लिए नई रिसर्च करना और बेस्ट चीजें ढूंढना काफी चैलेजिंग है लेकिन इन सब में काफी सुकून मिलता है.

40 लोगों को दिया रोजगार

अक्षय के फार्म में विभिन्न नस्लों की 150 गाय हैं. स्टार्टअप के दौरान ही फार्म में 40 लोगों को रोजगार दिया गया है. जल्द ही इसे रजिस्टर्ड डेयरी प्रोजेक्ट के रूप में भी लॉन्च करने की तैयारी है. जिससे लोगों को शुद्ध और सस्ता दूध और उससे बनने वाले उत्पाद उपलब्ध होंगे.

'साइलेज' चारे का इस्तेमाल

कम कीमत में ज्यादा उत्पादन के लिए अक्षय ने एक नया रिसर्च किया है. साल भर पशुओं को हरा चारा मिले इसके लिए साइलेज चारे का इस्तेमाल किया जा रहा है. मक्के का साइलेज मतलब एक ऐसा पशु आहार जिसमें हरे चारे के साथ पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन और मिनरल पशु को साल भर मिलता है. खास बात ये है कि ये बाकी पशु आहारों से बेहद सस्ता है. जिससे सभी पशुपालक अपना खर्च कम कर दूध की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं. पशु आहार जहां 25 रुपये किलो मिलता है वहीं साइलेज 6 रुपये किलो मिलता है.

कैसे तैयार होता है 'साइलेज' ?

साइलेज को स्थानीय भाषा में सुकटी कहते हैं. छत्तीसगढ़ में मौसमी सब्जियों को घर में सुखाकर स्टोर किया जाता है और साल भर उसका इस्तेमाल होता है. उसी तरह साइलेज को भी इस्तेमाल किया जाता है. 60 दिन में साइलेज तैयार होती है. मक्के के एक पौधे को मक्के सहित एयर टाइट पैकेट में पैक करके सुखाया जाता है. जिसे बाद में पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. पशु आहार के लिये ये अब तक का सबसे बेहतर विकल्प साबित हो रहा है.

पशु चिकित्सक की सलाह

पशु चिकित्सक भी साइलेज की प्रमाणिकता को मानते हैं. इस संबंध में ETV भारत ने वरिष्ठ पशु चिकित्सक चंद्र कुमार मिश्रा से साइलेज के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि पशु को हरा चारा बेहद जरूरी है, लेकिन हरा चारा सालभर मिलना संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में मक्के का साइलेज सबसे बेहतर विकल्प है. इससे मवेशियों को सारे विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं.

अक्षय जैसे नौजवान युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श का काम कर रहे हैं. किसी भी कम में जब लगन और मेहनत के साथ इनोवेशन जुड़ता है तो उसकी अलग ही पहचान होती है.

अंबिकापुर: ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन और फिर लंदन से बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद गाय, गोबर, मिट्टी के बीच रहना शायद उतना आसान न हो, लेकिन अंबिकापुर के अक्षय ने इसे सच कर दिया है. विदेश में पढ़ाई करने के बाद अक्षय ने अपना भविष्य पशुपालन और खेती में देखा. खास बात ये है कि पशुपालन मॉडर्न टेक्नोलॉजी के साथ किया जा रहा है. जिसमें कम खर्च में उत्पादन बढ़ाने के साथ ही पशुओं की सेहत पर भी खास ध्यान रखा जा रहा है.

अंबिकापुर का ऑक्सफोर्ड रिटर्न किसान

ऑक्सफोर्ड रिटर्न किसान

ETV भारत अक्षय के डेयरी फार्म पहुंचा. अक्षय ने बताया कि उन्हें इस बिजनेस में काफी अच्छा लग रहा है. गायों की सेवा करना और उनके लिए नई रिसर्च करना और बेस्ट चीजें ढूंढना काफी चैलेजिंग है लेकिन इन सब में काफी सुकून मिलता है.

40 लोगों को दिया रोजगार

अक्षय के फार्म में विभिन्न नस्लों की 150 गाय हैं. स्टार्टअप के दौरान ही फार्म में 40 लोगों को रोजगार दिया गया है. जल्द ही इसे रजिस्टर्ड डेयरी प्रोजेक्ट के रूप में भी लॉन्च करने की तैयारी है. जिससे लोगों को शुद्ध और सस्ता दूध और उससे बनने वाले उत्पाद उपलब्ध होंगे.

'साइलेज' चारे का इस्तेमाल

कम कीमत में ज्यादा उत्पादन के लिए अक्षय ने एक नया रिसर्च किया है. साल भर पशुओं को हरा चारा मिले इसके लिए साइलेज चारे का इस्तेमाल किया जा रहा है. मक्के का साइलेज मतलब एक ऐसा पशु आहार जिसमें हरे चारे के साथ पर्याप्त प्रोटीन, विटामिन और मिनरल पशु को साल भर मिलता है. खास बात ये है कि ये बाकी पशु आहारों से बेहद सस्ता है. जिससे सभी पशुपालक अपना खर्च कम कर दूध की उत्पादकता बढ़ा सकते हैं. पशु आहार जहां 25 रुपये किलो मिलता है वहीं साइलेज 6 रुपये किलो मिलता है.

कैसे तैयार होता है 'साइलेज' ?

साइलेज को स्थानीय भाषा में सुकटी कहते हैं. छत्तीसगढ़ में मौसमी सब्जियों को घर में सुखाकर स्टोर किया जाता है और साल भर उसका इस्तेमाल होता है. उसी तरह साइलेज को भी इस्तेमाल किया जाता है. 60 दिन में साइलेज तैयार होती है. मक्के के एक पौधे को मक्के सहित एयर टाइट पैकेट में पैक करके सुखाया जाता है. जिसे बाद में पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. पशु आहार के लिये ये अब तक का सबसे बेहतर विकल्प साबित हो रहा है.

पशु चिकित्सक की सलाह

पशु चिकित्सक भी साइलेज की प्रमाणिकता को मानते हैं. इस संबंध में ETV भारत ने वरिष्ठ पशु चिकित्सक चंद्र कुमार मिश्रा से साइलेज के बारे में बात की तो उन्होंने बताया कि पशु को हरा चारा बेहद जरूरी है, लेकिन हरा चारा सालभर मिलना संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में मक्के का साइलेज सबसे बेहतर विकल्प है. इससे मवेशियों को सारे विटामिन और मिनरल्स मिलते हैं.

अक्षय जैसे नौजवान युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श का काम कर रहे हैं. किसी भी कम में जब लगन और मेहनत के साथ इनोवेशन जुड़ता है तो उसकी अलग ही पहचान होती है.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST
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