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यूपीआई ने क्यों बढ़ाई साइबर सेल की मुश्किलें ? - Cyber ​​thugs are using UPI

साइबर ठग रोजाना ठगी के नए-नए तरीके इजाद करते हैं. पुलिस कई मामलों को सुलझाकर पीड़ित के पैसे लौटाती है. लेकिन इन दिनों यूपीआई से हो रही ठगी ने पुलिस की चिंता बढ़ा दी है.

cheating through qr code in raipur
यूपीआई ने क्यों बढ़ाई साइबर सेल की मुश्किलें ?
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Published : Jun 23, 2022, 3:09 PM IST

रायपुर : पिछले कुछ सालों में डिजिटलाइजेशन बड़ी तेजी के साथ बढ़ा है. बढ़ते डिजिटलाइजेशन के साथ यूपीआई फ्रॉड के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई (Cyber ​​thugs are using UPI) है. साइबर बदमाश हर बार नए नए तरीकों से लोगों को चूना लगाने की कोशिश करते हैं. कोरोना काल शुरू होने के बाद से यूपीआई ठगी के मामलों में भी तेजी देखने को मिली है. फ्रॉड यूपीआई पिन या क्यूआर कोड स्कैन कराकर ठगी कर रहे हैं. इससे ठगी का पैसा वापस मिलना मुश्किल हो गया है.



यूपीआई का कर रहे इस्तेमाल : शातिर ठग हर दिन नए तरीके से लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं. पहले ठगी की राशि के लिए वॉलेट का इस्तेमाल करते थे. इसके लिए पुलिस बैंक के नोडल अधिकारी से बात कर वॉलेट के पैसे होल्ड करवाकर वापस करवा लेती थी. लेकिन ठगों ने जब से यूपीआई का इस्तेमाल करना शुरू किया है. इससे पुलिस की परेशानी बढ़ गई है. साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से फोन करते (new way of cyber fraud) हैं. इसके लिए वह अपना क्यूआर कोड भेजकर पिन डालने को कहता है. पिन डालते ही खाते की राशि साफ कर लेते हैं. जिसे वापस करवाना मुश्किल होता है. इसके बावजूद पुलिस ने 103 लोगों को ठगी का पैसा वापस दिलाया है. गौर करने वाली बात यह है कि ठगी का शिकार हुए ज्यादातर लोग शिक्षित हैं. इसमें कोई शिक्षक है तो कोई डॉक्टर.

यूपीआई ने क्यों बढ़ाई साइबर सेल की मुश्किलें ?
कितनी रकम हुई है वापस : राजधानी रायपुर में साइबर ठगों ने यूपीआई के माध्यम से ठगी की वारदात को अंजाम दिया है. इसके लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. कभी आर्मी अफसर तो कभी बैंक कर्मचारी या लॉटरी का ऑफर देकर लाखों रुपये गटक रहे हैं. जनवरी 2022 से लेकर मई तक राजधानी रायपुर में ऑनलाइन ठगी के 245 मामले दर्ज हुए हैं. इस पूरे मामले में ठगों ने यूपीआई से ठगी की है. जिससे ठगी की राशि वापस कराना मुश्किल होता (Increased problems of Raipur Cyber ​​Cell) है. बावजूद एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट (एसीसीयू) ने ठगी के शिकार हुए 103 लोगों को कुल 12 लाख 50 हजार रुपये वापस कराए हैं. ये लोग अलग अलग तरह से ठगी का शिकार हुए थे. इसमें किसी से 20 हजार तो किसी से 50 हजार तो कोई एक लाख से अधिक की राशि के ठगी के शिकार हुए हैं. केस - 1 छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह की बेटी डॉ अदिति सिंह भी ऑनलाइन ठगी का शिकार हुई है. अदिति से 11 जून ठगों ने खुद को आर्मी का जवान बताकर ठगी की. चर्म रोग संबंधी चेकअप करवाने के नाम पर करीब 3 लाख रुपये की ठगी की थी. ठगों ने ऑनलाइन पेमेंट करवाने के नाम पर पेटीएम के माध्यम से ठगी की वारदात को अंजाम दिया था. केस- 2 सिविल लाइन थाना क्षेत्र की रहने वाली रेणु ठाकुर से भी साइबर ठगों ने ठगी की वारदात को अंजाम दिया था. 30 मई को साइबर ठगों ने बिजली बिल जनरेट करने के नाम पर फोन किया. एक लिंक भेज कर प्ले स्टोर से एक मोबाइल एप डाउनलोड करवाया. फिर 10 रुपये का भुगतान करने कहा. इसके लिए प्रार्थी ने यूपीआई पिन डाला और 10 रुपये का भुगतान करते ही उनके खाते से ठगों ने एक लाख 75 हजार रुपये पार कर दिए. केस- 3 शंकर नगर निवासी एक युवती के मोबाइल में ऑनलाइन कपड़े खरीदने पर 70 फ़ीसदी छूट का ऑफर वाला मैसेज आया. उसमें एक लिंक था. आकर्षक ऑफर देखकर युवती ने उसे क्लिक किया. क्लिक करते ही क्यूआर कोड आया. उसमें पिन डालने कहा गया. पिन डालते ही कुछ देर बाद उनके अकाउंट से 40 हजार पार हो गए. इसके बाद युवती सिविल लाइन थाने में इसकी सूचना दी. यूपीआई से ऐसे होता होता है फ्रॉड : साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू ने टेलीफोनिक बातचीत में बताया कि ''ऑनलाइन ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए एनसीपीआई (नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने पहले ही अलर्ट जारी किया है. एनसीपीआई के अनुसार पैसे हासिल करने के लिए यूपीआई पिन डालने की जरूरत कभी नहीं होती है. यूपीआई पिन का इस्तेमाल अपने अकाउंट से किसी और के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने या फिर मर्चेंट पेमेंट के लिए किया जाता है. साफ है कि यूपीआई पिन का इस्तेमाल करने पर अकाउंट से पैसे कटते हैं न कि अकाउंट में पैसे आते हैं. यदि ठग कभी यूपीआई नंबर मांगे तो समझ लेना की आप ठगी का शिकार हो रहे हैं.''

सायबर ठगों से ऐसे बचें : अंजान नंबर और क्यूआर कोड से दूर रहे. यदि मोबाइल नंबर के जरिये पेमेंट कर रहे हैं तो नंबर की जांच कर लें. पैसे प्राप्त करने के लिए पिन न डाले. ठग पैसे भेजने का नाटक करते है, लेकिन वास्तव में वे पैसे लेने के लिए भेजते हैं. इसलिए ये ठग पैसे प्राप्त करने के लिए पिन डालने को कहते हैं. फर्जी यूपीआई एप से बचे. भले ही ये देखने में असली जैसे ही हैं. लेकिन बहुत से ऐसे एप फर्जी भी होते हैं. किसी से भी अपना पिन शेयर न (cheating through qr code in raipur) करें.


यूपीआई से पैदा हुई मुश्किल : साइबर टीआई गौरव तिवारी ने बताया कि "वर्तमान में कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए यूपीआई सिस्टम है. जिसके माध्यम से कोई भी कस्टमर अपना अमाउंट या किसी भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को यूपीआई से करता है. साइबर फ्रॉड प्रेजेंट में इसी तरह के यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. उसके बाद जब हमें उसका बेनिफिशन निकालना होता है. बेनिफिशन निकलने तक जिसके पास अमाउंट गया है. वो जानकारी मिलने से पहले ठग उस राशि को मूव आउट करवा लेते हैं. ऐसे स्थिति में साइबर सेल को पैसा वापस कराने में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पहले वॉलेट और मर्चेंट का इस्तेमाल होता था. उस दौरान नोडल को फोन कर या मेल के माध्यम से फ्रॉड ट्रांजेक्शन की जानकारी देकर हम कस्टमर को वापस दे देते थे, लेकिन थोड़ी दिक्कत हमें यूपीआई की वजह से हो रही है."


रायपुर : पिछले कुछ सालों में डिजिटलाइजेशन बड़ी तेजी के साथ बढ़ा है. बढ़ते डिजिटलाइजेशन के साथ यूपीआई फ्रॉड के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई (Cyber ​​thugs are using UPI) है. साइबर बदमाश हर बार नए नए तरीकों से लोगों को चूना लगाने की कोशिश करते हैं. कोरोना काल शुरू होने के बाद से यूपीआई ठगी के मामलों में भी तेजी देखने को मिली है. फ्रॉड यूपीआई पिन या क्यूआर कोड स्कैन कराकर ठगी कर रहे हैं. इससे ठगी का पैसा वापस मिलना मुश्किल हो गया है.



यूपीआई का कर रहे इस्तेमाल : शातिर ठग हर दिन नए तरीके से लोगों को ठगने का प्रयास कर रहे हैं. पहले ठगी की राशि के लिए वॉलेट का इस्तेमाल करते थे. इसके लिए पुलिस बैंक के नोडल अधिकारी से बात कर वॉलेट के पैसे होल्ड करवाकर वापस करवा लेती थी. लेकिन ठगों ने जब से यूपीआई का इस्तेमाल करना शुरू किया है. इससे पुलिस की परेशानी बढ़ गई है. साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से फोन करते (new way of cyber fraud) हैं. इसके लिए वह अपना क्यूआर कोड भेजकर पिन डालने को कहता है. पिन डालते ही खाते की राशि साफ कर लेते हैं. जिसे वापस करवाना मुश्किल होता है. इसके बावजूद पुलिस ने 103 लोगों को ठगी का पैसा वापस दिलाया है. गौर करने वाली बात यह है कि ठगी का शिकार हुए ज्यादातर लोग शिक्षित हैं. इसमें कोई शिक्षक है तो कोई डॉक्टर.

यूपीआई ने क्यों बढ़ाई साइबर सेल की मुश्किलें ?
कितनी रकम हुई है वापस : राजधानी रायपुर में साइबर ठगों ने यूपीआई के माध्यम से ठगी की वारदात को अंजाम दिया है. इसके लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं. कभी आर्मी अफसर तो कभी बैंक कर्मचारी या लॉटरी का ऑफर देकर लाखों रुपये गटक रहे हैं. जनवरी 2022 से लेकर मई तक राजधानी रायपुर में ऑनलाइन ठगी के 245 मामले दर्ज हुए हैं. इस पूरे मामले में ठगों ने यूपीआई से ठगी की है. जिससे ठगी की राशि वापस कराना मुश्किल होता (Increased problems of Raipur Cyber ​​Cell) है. बावजूद एंटी क्राइम एंड साइबर यूनिट (एसीसीयू) ने ठगी के शिकार हुए 103 लोगों को कुल 12 लाख 50 हजार रुपये वापस कराए हैं. ये लोग अलग अलग तरह से ठगी का शिकार हुए थे. इसमें किसी से 20 हजार तो किसी से 50 हजार तो कोई एक लाख से अधिक की राशि के ठगी के शिकार हुए हैं. केस - 1 छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्य सचिव अजय सिंह की बेटी डॉ अदिति सिंह भी ऑनलाइन ठगी का शिकार हुई है. अदिति से 11 जून ठगों ने खुद को आर्मी का जवान बताकर ठगी की. चर्म रोग संबंधी चेकअप करवाने के नाम पर करीब 3 लाख रुपये की ठगी की थी. ठगों ने ऑनलाइन पेमेंट करवाने के नाम पर पेटीएम के माध्यम से ठगी की वारदात को अंजाम दिया था. केस- 2 सिविल लाइन थाना क्षेत्र की रहने वाली रेणु ठाकुर से भी साइबर ठगों ने ठगी की वारदात को अंजाम दिया था. 30 मई को साइबर ठगों ने बिजली बिल जनरेट करने के नाम पर फोन किया. एक लिंक भेज कर प्ले स्टोर से एक मोबाइल एप डाउनलोड करवाया. फिर 10 रुपये का भुगतान करने कहा. इसके लिए प्रार्थी ने यूपीआई पिन डाला और 10 रुपये का भुगतान करते ही उनके खाते से ठगों ने एक लाख 75 हजार रुपये पार कर दिए. केस- 3 शंकर नगर निवासी एक युवती के मोबाइल में ऑनलाइन कपड़े खरीदने पर 70 फ़ीसदी छूट का ऑफर वाला मैसेज आया. उसमें एक लिंक था. आकर्षक ऑफर देखकर युवती ने उसे क्लिक किया. क्लिक करते ही क्यूआर कोड आया. उसमें पिन डालने कहा गया. पिन डालते ही कुछ देर बाद उनके अकाउंट से 40 हजार पार हो गए. इसके बाद युवती सिविल लाइन थाने में इसकी सूचना दी. यूपीआई से ऐसे होता होता है फ्रॉड : साइबर एक्सपर्ट मोहित साहू ने टेलीफोनिक बातचीत में बताया कि ''ऑनलाइन ठगी के बढ़ते मामलों को देखते हुए एनसीपीआई (नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने पहले ही अलर्ट जारी किया है. एनसीपीआई के अनुसार पैसे हासिल करने के लिए यूपीआई पिन डालने की जरूरत कभी नहीं होती है. यूपीआई पिन का इस्तेमाल अपने अकाउंट से किसी और के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करने या फिर मर्चेंट पेमेंट के लिए किया जाता है. साफ है कि यूपीआई पिन का इस्तेमाल करने पर अकाउंट से पैसे कटते हैं न कि अकाउंट में पैसे आते हैं. यदि ठग कभी यूपीआई नंबर मांगे तो समझ लेना की आप ठगी का शिकार हो रहे हैं.''

सायबर ठगों से ऐसे बचें : अंजान नंबर और क्यूआर कोड से दूर रहे. यदि मोबाइल नंबर के जरिये पेमेंट कर रहे हैं तो नंबर की जांच कर लें. पैसे प्राप्त करने के लिए पिन न डाले. ठग पैसे भेजने का नाटक करते है, लेकिन वास्तव में वे पैसे लेने के लिए भेजते हैं. इसलिए ये ठग पैसे प्राप्त करने के लिए पिन डालने को कहते हैं. फर्जी यूपीआई एप से बचे. भले ही ये देखने में असली जैसे ही हैं. लेकिन बहुत से ऐसे एप फर्जी भी होते हैं. किसी से भी अपना पिन शेयर न (cheating through qr code in raipur) करें.


यूपीआई से पैदा हुई मुश्किल : साइबर टीआई गौरव तिवारी ने बताया कि "वर्तमान में कैशलेस ट्रांजेक्शन के लिए यूपीआई सिस्टम है. जिसके माध्यम से कोई भी कस्टमर अपना अमाउंट या किसी भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को यूपीआई से करता है. साइबर फ्रॉड प्रेजेंट में इसी तरह के यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं. ये पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. उसके बाद जब हमें उसका बेनिफिशन निकालना होता है. बेनिफिशन निकलने तक जिसके पास अमाउंट गया है. वो जानकारी मिलने से पहले ठग उस राशि को मूव आउट करवा लेते हैं. ऐसे स्थिति में साइबर सेल को पैसा वापस कराने में थोड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पहले वॉलेट और मर्चेंट का इस्तेमाल होता था. उस दौरान नोडल को फोन कर या मेल के माध्यम से फ्रॉड ट्रांजेक्शन की जानकारी देकर हम कस्टमर को वापस दे देते थे, लेकिन थोड़ी दिक्कत हमें यूपीआई की वजह से हो रही है."


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