रायपुरः छत्तीसगढ़ के निलंबित IPS जीपी सिंह को कोर्ट ने दो दिनों की रिमांड पर भेज दिया है. EOW ने कोर्ट से जीपी सिंह की 7 दिन की रिमांड मांगी थी. लेकिन कोर्ट ने दो दिन की रिमांड अभी दी है. अदालत में जाने से पहले जीपी सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मुझे फंसाया गया है. मेरे खिलाफ जो भी सबूत दिखाए गए हैं वह फब्रीकेटेड है. जीपी सिंह को रिमांड पर देने की बहस करीब 45 मिनट तक अदालत में चली. दिल्ली से जीपी सिंह को रायपुर लाने के बाद सबसे पहले उनका कोरोना टेस्ट किया गया. फिर उनसे EOW और एसीबी के ऑफिस में एक घंटे से ज्यादा देर तक पूछताछ की गई.
रायपुर पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली से सटे गुरुग्राम से जीपी सिंह की गिरफ्तारी की थी. जीपी सिंह को उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह अपने वकील से चैंबर से बाहर निकल रहे थे. गिरफ्तारी के बाद उन्हें सड़क मार्ग से रायपुर लाया गया. बताया जा रहा है कि रायपुर लाने के बाद जब उनसे EOW और एसीबी ने पूछताछ की तो उन्होंने पूछताछ में सहयोग नहीं किया जीपी सिंह जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. उन्हें कई बार नोटिस भी दिया गया था. लेकिन वह हाजिर नहीं हुए. उसके बाद मामला कोर्ट में गया. वहां से भी जीपी सिंह को राहत नहीं मिली. उसके बाद EOW और एसीबी ने उन्हें गिरफ्तार किया.
छापे के बाद दर्ज हुए थे जीपी सिंह पर कई मामले
ईओडब्ल्यू और एसीबी ने जीपी सिंह के पुलिस लाइन स्थित सरकारी बंगले पर 1 जुलाई की सुबह 6 बजे छापा मारा था. इस दौरान राजनांदगांव, उड़ीसा समेत 15 अन्य ठिकानों पर एक साथ एसीबी की टीम ने छापामार कार्रवाई की थी. करीब 68 घंटे तक चली कार्रवाई के दौरान 10 करोड़ से अधिक की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले के पीछे गटर से कई अहम दस्तावेज मिले थे. इन्हीं को राजद्रोह का साक्ष्य माना गया था. छापे से मिली संपत्ति के आधार पर उन पर एसीबी ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई. इसके आधार पर शासन ने 5 जुलाई को उन्हें सस्पेंड किया. उसके बाद 8 जुलाई की रात जीपी सिंह के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ कोतवाली थाने में राजद्रोह और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया गया.
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कोर्ट में जीपी सिंह के खिलाफ 400 पन्ने का चालान
आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह के मामले में फंसे निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के खिलाफ कोतवाली पुलिस 19 अगस्त को बिना गिरफ्तारी के कोर्ट पहुंच गई थी. न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायाधीश ओम प्रकाश साहू की अदालत में उस दिन पुलिस ने 400 पन्नों का चालान पेश किया था. कोर्ट में पेश किए गए चालान में पुलिस ने दावा किया था कि आईपीएस के रायपुर स्थित सरकारी बंगले पर प्रदेश के सभी विधानसभाओं की सर्वे रिपोर्ट मिली है.
जीपी सिंह ने छापे के दौरान 12 पन्ने फाड़कर फेंके
निलंबित आईपीएस अफसर जीपी सिंह के घर एसीबी ने 1 जुलाई को छापा मारा था. चालान में पुलिस ने दावा किया है कि बंगले से 46 पन्ने और डायरी मिले हैं. इसमें ज्यादार पन्नों में जाति और समुदाय का जिक्र किया गया है. इसके अलावा जीपी सिंह ने 12 पन्नों को छापे के दौरान वह दौड़ते हुए पीछे की ओर गए दीवार के उस पार गटर में दस्तावेजों को फेंका. जीपी को दस्तावेज फेंकते हुए एसीबी के दो कर्मचारियों ने देखा है. वे तुरंत पीछे गए और गटर से दस्तावेज निकाले. सभी दस्तावेज फटे हुए मिले. जिसे पुलिस ने एक-एक टुकड़े को पढ़ने लायक बनाया. उसमें आम जनता को भड़काने के बारे में लिखा है.
विभिन्न धर्मों और जातियों में घृणा भड़काने का आरोप
पुलिस के द्वारा कोर्ट में पेश किए गए चालान में लिखा है कि जीपी सिंह के बंगले से मिले दस्तावेज और डायरियो में विभिन्न धर्मों और जातियों के बीच घृणा व शत्रुता फैलाने के आरोप हैं. इसके साथ ही उन पर अपने करीबियों के माध्यम से शत्रुता, घृणा-वैमनस्य और नफरत भी फैलाने के आरोप हैं. जिस पर पुलिस ने निलंबित अफसर जीपी सिंह के खिलाफ धारा 505 (2) को अतिरिक्त जोड़ा है. कहा जा रहा है कि इस मामले में भी जीपी सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती है.
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1994 बैच के अफसर हैं जीपी सिंह
एफआईआर दर्ज होने के बाद जीपी सिंह ने हाईकोर्ट की शरण ली है।. जीपी सिंह ने रिट याचिका दायर करते हुए पूरे मामले में स्वतंत्र एजेंसी सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग की है. मामले की जांच शुरू होने तक राज्य के पुलिस की जांच पर भी रोक लगाने की मांग की थी. जीपी सिंह भारतीय पुलिस सेवा के 1994 बैच के अधिकारी रहे हैं. वह राज्य पुलिस अकादमी के निर्देशक थे. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद एसीबी के प्रमुख भी रहे थे. राज्य सरकार ने उन्हें पिछले वर्ष जून माह में हटा दिया था.
जीपी सिंह पर ऐसे हुई थी कार्रवाई
- 1 जुलाई की सुबह 6:00 बजे यूपी के सरकारी बंगले पर छापा
- राजनांदगांव, भिलाई, उड़ीसा समेत 15 ठिकानों पर करीब 68 घंटे लगातार चली कार्रवाई
- 10 करोड़ की अघोषित संपत्ति के साथ बंगले से कई अहम दस्तावेज मिले
- 5 जुलाई को ईओडब्ल्यू ने भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई
- एफआईआर के बाद देर रात शासन ने 5 जुलाई को जीपी सिंह को सस्पेंड किया
- 8 जुलाई को जीपी के घर से मिले दस्तावेज के आधार पर उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया
- 9 जुलाई को जीपी में हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की जिसमें सीबीआई जांच की मांग की थी
- जीतू की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस ने पिछले दिनों कई ठिकानों में छापे मारे
- इसके बाद पूछताछ के लिए थाने आकर बयान दर्ज कराने तीन बार नोटिस जारी किया
- उसके बाद कोतवाली पुलिस ने रायपुर कोर्ट में 19 अगस्त को 400 पन्नों का चालान पेश किया