रायपुर: छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है. राजधानी रायपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थिति चंदखुरी को माता कौशल्या की जन्मस्थली माना जाता है. बघेल सरकार ने अपने दो साल पूरे होने का जश्न यहीं मनाया था. लेकिन अब प्रदेश की सियासत चंदुखरी पर गरमाई हुई है. पूर्व मंत्री और कुरूद विधायक अजय चंद्राकर ने कहा है कि चंदखुरी में माता कौशल्या का मंदिर है, उनका जन्मस्थान नहीं. अजय ने कहा कि मां कौशल्या का जन्मस्थान कोसला में है. इस पर मंत्री शिव डहरिया ने पलटवार किया है. डहरिया ने कहा कि चंदखुरी माता कौशल्या की नगरी रही है. किसी के कहने से कुछ बदल नहीं जाएगा.
अजय चंद्राकर की मानसिक स्थिति ठीक नहीं: डहरिया
नगरीय प्रशासन मंत्री शिव कुमार डहरिया ने कहा है कि अजय चंद्राकर की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. उन्होंने पहले कहा था कि यदि कांग्रेस सरकार कर्जमाफी कर देगी तो मैं इस्तीफा दे दूंगा, लेकिन उन्होंने आज तक इस्तीफा नहीं दिया है. ऐसे में उन्हें पहले अपना वादा निभा लेना चाहिए. पूर्व संस्कृति मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा था कि कांग्रेस राम के नाम पर राजनीति कर रही है.
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कितने चरणों, कितनी राशि में होगा मंदिर निर्माण ?
चदंखुरी राम वन गमन पथ परियोजना में शामिल है. इसके तहत चंदखुरी में मंदिर के सौंदर्यीकरण और परिसर विकास का कार्य दो चरणों में कार्य पूरा किया जाना है. पहले चरण में 6 करोड़ 70 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे. जबकि दूसरे चरण में 9 करोड़ 8 लाख रुपए खर्च होंगे. योजना के मुताबिक चंदखुरी को पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित किया जाना है. प्राचीन कौशल्या माता मंदिर के सौंदर्यीकरण के साथ-साथ नागरिक सुविधाओं का विकास भी किया जा रहा है.
यहां मां कौशल्या की गोद में बैठे भगवान राम
चंदखुरी भगवान श्रीराम की माता कौशल्या की जन्मस्थली मानी जाती है. यह स्थान रायपुर से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर चंदखुरी में स्थित है. करीब 126 तालाब वाले इस गांव में सात तालाबों से घिरे जलसेन तालाब के बीच प्राचीन द्वीप पर यह मंदिर बना है. यहां भगवान श्रीराम की माता कौशल्या की प्रतिमा स्थापित है और रामलला उनकी गोद में विराजमान हैं.
हरियाली और मंदिरों से घिरा है क्षेत्र
मंदिर में एक ही पत्थर पर उभरी माता कौशल्या और भगवान श्रीराम की प्रतिमा गांव के जलसेन तालाब से ही निकली है, जो आठवीं शताब्दी की है. पुरातत्व विभाग भले ही इसे प्रमाणित नहीं करता है, लेकिन लोगों की आस्था ने इस स्थान को मनोरम और पूजनीय बना दिया है. कौशल्या माता का मंदिर हरियाली और मंदिरों से घिरा हुआ है. भगवान शिव और नंदी की विशाला प्रतिमा यहां स्थित है. द्वीप के द्वार पर हनुमान जी विराजमान हैं. दशरथ का दरबार यहां लगा है.