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Sharadiya Navratri: 2021 इस बार शारदीय नवरात्रि की तिथियों में क्या है हेर-फेर? आप भी जानिए...

हिंदू धर्म (Hindu Religion) में हर साल पड़ने वाले शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) को लेकर श्रद्धालुओं (pilgrims) में काफी उत्साह है. तैयारियां लगभग अंतिम चरण में हैं. बहुतेरे श्रद्धालु मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखेंगे. दो तिथियों के एक साथ पड़ने की वजह से तृतीया और चतुर्थी तिथि इस बार एक साथ पड़ रही है. क्या है नवरात्रि में तिथियों का हेर-फेर, खबर में जानिए...

Sharadiya Navratri 2021
शारदीय नवरात्रि 2021
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Published : Oct 3, 2021, 9:46 PM IST

हैदराबाद/रायपुरः हिंदू धर्म (Hindu Religion) में हर साल पड़ने वाले शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) को लेकर तैयारियां लगभग अंतिम दौर में हैं. इसके तहत नौ दिनों तक मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा और अर्चना की जाएगी. श्रद्धालु मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखते हैं. विद्वानों के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) में मां दुर्गा का आगमन पालकी और प्रस्थान हाथी पर हो रहा है.

ज्योतिषाचार्यों (astrologers) के अनुसार इस बार नवरात्रि 9 दिनों की बजाय 8 दिनों का होगा. दो तिथियों के एक साथ पड़ने की वजह से तृतीया और चतुर्थी (Tritiya and Chaturthi) तिथि एक साथ पड़ रही है. पंचांग के अनुसार 9 अक्टूबर को तृतीया तिथि सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक रहेगी. इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी. यह 10 अक्टूबर को सुबह 5 बजे तक रहेगी.

शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. मां का यह रूप देवी पार्वती का विवाहित रूप है. भगवान शिव के साथ विवाह के बाद देवी महागौरी ने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण किया. इसलिए उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. चंद्रघंटा को शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है. मां चंद्रघंटा की विधि पूर्वक पूजन-अर्चन करने से जीवन में उन्नति, धन, स्वर्ण, ज्ञान और शिक्षा की प्राप्ति होगी.

ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजाः

चौकी पर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पीत बिछा कर मां चंद्रघंटा की प्रतिमां को स्‍थापित करें. गंगा जल छिड़क कर इस स्‍थान को शुद्ध करें. वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा का षोडशोपचार पूजा करें. मां को गंगा जल, दूध, दही, घी शहद से स्‍नान कराने के पश्‍चात वस्‍त्र, हल्‍दी, सिंदूर, पुष्‍प, चंदन, रोली, मिष्‍ठान और फल का अर्पण करें.

नौ अक्टूबर को होगी मां के चतुर्थ स्वरूप की पूजा

नवरात्रि में मां के चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा की पूजा 9 अक्टूबर को तृतीया समाप्ति के बाद शुरू हो जाएगा. इस दिन दुर्गा जी के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा और अर्चना की जाएगी. शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था और कोई भी जीव-जंतु नहीं थे तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी. इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा गया है. सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी जाना जाता है.

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ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजन-अर्चन

इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें. हाथों में फूल ले कर देवी को प्रणाम करना चाहिए. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और फिर मां कूष्माण्डा की षोडशोपचार पूजा करें. फिर माता की कथा सुनें. इनके मंत्रों का जाप करते हुए ध्यान करें और अंत में आरती उतार कर प्रसाद वितरण करें.

शारदीय नवरात्रि 2021, तिथिवार

पहला दिन- मां शैलपुत्री की पूजा (07 अक्टूबर)
दूसरा दिन - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (08 अक्टूबर)
तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा (09 अक्टूबर)
चौथा दिन- मां स्कंदमाता की पूजा (10 अक्टूबर)
पांचवां दिन - मां कात्यायनी की पूजा (11अक्टूबर)
छठवां दिन- मां कालरात्रि की पूजा (12अक्टूबर)
सातवां दिन- मां महागौरी की पूजा (13अक्टूबर)
आठवां दिन- मां सिद्धिदात्री की पूजा (14अक्टूबर)
दशहरा (विजयादशमी) 15 अक्टूबर

हैदराबाद/रायपुरः हिंदू धर्म (Hindu Religion) में हर साल पड़ने वाले शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) को लेकर तैयारियां लगभग अंतिम दौर में हैं. इसके तहत नौ दिनों तक मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा और अर्चना की जाएगी. श्रद्धालु मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उपवास भी रखते हैं. विद्वानों के अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) में मां दुर्गा का आगमन पालकी और प्रस्थान हाथी पर हो रहा है.

ज्योतिषाचार्यों (astrologers) के अनुसार इस बार नवरात्रि 9 दिनों की बजाय 8 दिनों का होगा. दो तिथियों के एक साथ पड़ने की वजह से तृतीया और चतुर्थी (Tritiya and Chaturthi) तिथि एक साथ पड़ रही है. पंचांग के अनुसार 9 अक्टूबर को तृतीया तिथि सुबह 07 बजकर 48 मिनट तक रहेगी. इसके बाद चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी. यह 10 अक्टूबर को सुबह 5 बजे तक रहेगी.

शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी. मां का यह रूप देवी पार्वती का विवाहित रूप है. भगवान शिव के साथ विवाह के बाद देवी महागौरी ने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण किया. इसलिए उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा. चंद्रघंटा को शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है. मां चंद्रघंटा की विधि पूर्वक पूजन-अर्चन करने से जीवन में उन्नति, धन, स्वर्ण, ज्ञान और शिक्षा की प्राप्ति होगी.

ऐसे करें मां चंद्रघंटा की पूजाः

चौकी पर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पीत बिछा कर मां चंद्रघंटा की प्रतिमां को स्‍थापित करें. गंगा जल छिड़क कर इस स्‍थान को शुद्ध करें. वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा का षोडशोपचार पूजा करें. मां को गंगा जल, दूध, दही, घी शहद से स्‍नान कराने के पश्‍चात वस्‍त्र, हल्‍दी, सिंदूर, पुष्‍प, चंदन, रोली, मिष्‍ठान और फल का अर्पण करें.

नौ अक्टूबर को होगी मां के चतुर्थ स्वरूप की पूजा

नवरात्रि में मां के चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा की पूजा 9 अक्टूबर को तृतीया समाप्ति के बाद शुरू हो जाएगा. इस दिन दुर्गा जी के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा और अर्चना की जाएगी. शास्त्रों के अनुसार सृष्टि की उत्पत्ति से पूर्व जब चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था और कोई भी जीव-जंतु नहीं थे तो मां दुर्गा ने इस अंड यानी ब्रह्मांड की रचना की थी. इसी कारण उन्हें कूष्मांडा कहा गया है. सृष्टि की उत्पत्ति करने के कारण इन्हें आदिशक्ति नाम से भी जाना जाता है.

शारदीय नवरात्र 2021: पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित, होती है हर मनोकामनाएं पूरी

ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजन-अर्चन

इस दिन सुबह जल्दी उठ कर स्नान करें. हाथों में फूल ले कर देवी को प्रणाम करना चाहिए. इसके बाद व्रत, पूजन का संकल्प लें और फिर मां कूष्माण्डा की षोडशोपचार पूजा करें. फिर माता की कथा सुनें. इनके मंत्रों का जाप करते हुए ध्यान करें और अंत में आरती उतार कर प्रसाद वितरण करें.

शारदीय नवरात्रि 2021, तिथिवार

पहला दिन- मां शैलपुत्री की पूजा (07 अक्टूबर)
दूसरा दिन - मां ब्रह्मचारिणी की पूजा (08 अक्टूबर)
तीसरा दिन- मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा (09 अक्टूबर)
चौथा दिन- मां स्कंदमाता की पूजा (10 अक्टूबर)
पांचवां दिन - मां कात्यायनी की पूजा (11अक्टूबर)
छठवां दिन- मां कालरात्रि की पूजा (12अक्टूबर)
सातवां दिन- मां महागौरी की पूजा (13अक्टूबर)
आठवां दिन- मां सिद्धिदात्री की पूजा (14अक्टूबर)
दशहरा (विजयादशमी) 15 अक्टूबर

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