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अंग्रेजों ने जो चाल चली, बीजेपी कर रही वही खेल: सत्यनारायण शर्मा - बीजेपी कर रही वही खेल

अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री (Minister in undivided Madhya Pradesh) रह चुके छत्तीसगढ़ के कद्दावर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा ने अपने बयानों से बीजेपी (BJP) को बेआबरू करने की कोशिश की है. उन्होंने इस पार्टी के नेताओं के लिए कहा है कि वह रस्सी को सांप बनाने की कोशिश करते हैं. ताकि कांग्रेस पार्टी कमजोर (Congress party weak) हो सके. हिन्दू-मुस्लिम, सिख-ईसाई, हम भाई-भाई, हैं. बीजेपी बांटने की राजनीति कर रही (BJP is doing divisive politics) है.

Satyanarayan Sharma targets BJP
सत्यनारायण शर्मा का बीजेपी पर निशाना
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Published : Nov 26, 2021, 10:06 PM IST

Updated : Nov 26, 2021, 10:56 PM IST

रायपुरः अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रह चुके छत्तीसगढ़ के कद्दावर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की जिसमें उन्होंने कई आश्चर्यजनक खुलासे किए. साथ ही बीजेपी पर जमकर निशाना भी साधा (BJP also targeted). शर्मा ने कई विषयों पर खुलकर अपनी राय रखी. वह अविभाजित मध्यप्रदेश में 1985 में विधानसभा में विधायक (MLA in the assembly) चुने गए. जिसके बाद विधायक बनने का सिलसिला आज तक जारी है. इस दौरान इन्होनें कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री (ministers of important ministries) के रूप में भी कार्य किए. वर्तमान में शर्मा रायपुर ग्रामीण क्षेत्र के विधायक हैं. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा?

बीजेपी लोगों को बांटने का काम कर रही है-सत्यनारायण शर्मा
सवाल: आपने अपनी राजनीतिक सफर (political journey) की शुरुआत कैसे की ?जवाब: बचपन से ही इंदिरा जी से काफी प्रभावित हुआ और अल्पायु में ही कांग्रेस के लिए काम करना शुरू कर दिया. फिर कांग्रेस के बड़े नेता अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह (Big leaders of Congress Arjun Singh and Digvijay Singh) जी के साथ काम करने का अवसर मिला. 1985 में मंदिर हसौद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने मुझे अपना उम्मीदवार बनाया और इसमें मैंने जीत हासिल की. हालांकि पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनीतिक ही रही है. दादाजी, पद्मभूषण से सम्मानित थे. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. जिनसे काफी कुछ सीखने का अवसर मिला और आशीर्वाद भी. लोगों को जोड़ कर रखना हमेशा से ही मेरी कार्यशैली रही है.

सवाल: राजनीति में पहले और अब में आप क्या परिवर्तन देखते हैं?
जवाब : देखिए, हर 20 साल के अंतर पर परिवर्तन जरूर होता है. अब युवाओं को आगे लाने की जरूरत है. हमें नौजवानों को आगे बढ़ाना चाहिए. हम तो सूखे दरख़्त की तरह हैं. नई कोपल को पल्लवित करना हमारा धर्म है. नौजवान देश की सेवा करें. राहुल जी के साथ मिलकर देश में अभी जो विपरीत परिस्थितियां हैं, खुले रूप से भ्रष्टाचार व्याप्त है, आज हर चीज महंगी मिल रही है. जिस पर लगाम लगाने की जरूरत है. इसके लिए सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता (need for strong leadership) है. जिसकी पूर्ति राहुल गांधी कर सकते हैं.

सवाल: आपने अपने उम्र की बात कही, लेकिन सदन के अंदर और आपके हाव-भाव से, आपके चाहने वालों को लगता है कि आप अभी भी नौजवान हैं. आपकी कार्यशैली भी नौजवानों की तरह ही है.
जवाब : राष्ट्रीय नेतृत्व से हमें ऊर्जा मिलती है (We get energy from national leadership). उनकी प्रत्याशा में उन्हें क्या चाहिए, वह काम हम अपने हाथों में लेते हैं और पार्टी के सिद्धांतों के तहत हम उस काम को करते हैं. हालांकि राजनीति में उम्र का कोई सवाल नहीं होता. हम सब मिलकर, एकजुट होकर देश की सेवा करें और अच्छे से काम करने की परंपरा (working tradition) बनाएं. यह हम सबके लिए जरूरी है.

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सवाल: अविभाजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Chhattisgarh) के तौर पर आपकी पहचान थी. आम लोगों के बीच यह चर्चा का विषय भी हुआ करता था. क्या आपको लगता है कि राज्य बनने के बाद विकास की अवधारणा (concept of development) को लेकर, जिस छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था, वह विकास दिखाई दे रहा है?
जवाब : देखिए, मुख्यमंत्री तो किसी भी सूबे का एक ही होता है. लेकिन जो काम करता है, उसका नाम भी हो जाता है. मैंने मध्यप्रदेश के समय में जनता की सेवा की. उसका जनता ने मुझे आशीर्वाद दिया और यह उसी का प्रतिफल है कि मैं लगातार चुनाव जीतते आ रहा हूं. छत्तीसगढ़ बनने के बाद विकास की संभावनाएं अच्छी रही हैं. हमारे राज्य में विकास (development in the state) भी हुआ है, लेकिन 15 सालों में जो ठहराव की स्थिति आ गई थी, उस दौरान, किसानों की बातों को अनदेखा किया गया. मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. नौजवानों के लिए कोई योजनाएं नहीं बनाई गई. महिलाओं के लिए कोई काम नहीं था लेकिन अब कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार ने लगातार इस दिशा में काम किया और इसी कड़ी में उन्होंने गोधन योजना और गौठान योजना की शुरुआत की. यह सबसे बड़ी सफलता है.

सवाल: आप जैसे अनुभवी विधायक को मंत्री पद (Ministerial post to experienced MLA) देकर प्रदेश के विकास को और गति दिया जा सकता था, लेकिन मंत्रिमंडल में आपको शामिल नहीं किया गया, इसकी क्या वजह मानते हैं?
जवाब : इसके पीछे कोई वजह नहीं है. यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वह जिस विधायक से जो काम लेना चाहें, ले सकते हैं. इसमें किसी को, किसी तरह की, एतराज नहीं होनी चाहिए. हम पार्टी के लिए काम करते हैं, और जो भी काम दिया जाएगा करते रहेंगे.

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सवाल: क्या मंत्री पद ना मिलने की बात को लेकर दिल में कोई टीस रहती है?
जवाब : नहीं-नहीं, मैंने इस मामले को लेकर कभी कोई बात नहीं की. ना कभी किसी को बताया और ना ही किसी को एहसास होने दिया. अपने पार्टी की नेताओं के प्रति सम्मान रखना यह मेरी फितरत रही है. मैं अपना काम कर रहा हूं और सब के प्रति स्नेह का भावना मेरे मन में आज भी है.

सवाल: भारतीय जनता पार्टी जिन विषयों को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है, क्या लगता है कि धर्म आधारित कोई मुद्दा (any issue based on religion) प्रदेश में है?
जवाब: भारतीय जनता पार्टी रस्सी को सांप बनाने की कोशिश कर रही है. जिससे कांग्रेस पार्टी कमजोर हो सके. लेकिन हिन्दू-मुस्लिम, सिख-ईसाई, हम हैं भाई-भाई के पदचिन्हों पर हम चलना जानते हैं. बीजेपी बांटने की राजनीति करती है. हम जोड़ने की बात करते हैं. जो चाल फिरंगियों ने चली थी, वही खेल बीजेपी कर रही है. इसलिए इस प्रदेश में इन्हें कोई जगह नहीं मिलेगी. जनता इन पर विश्वास नहीं करेगी. देश के किसान भी इन पर विश्वास नहीं कर रहे हैं. एमएसपी की मांग जब तक नहीं मानी जाती, तब तक प्रदेश और देश का किसान संतुष्ट नहीं होगा. हमारी पार्टी ने अन्नदाताओं की सेवा की है. हमारे सभी नेता भी इस काम को बखूबी कर रहे हैं.

सवाल: कवर्धा मामले को लेकर पिछले दिनों बीजेपी ने मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया था. क्या यह भी राजनीति से प्रेरित है?
जवाब : यह राजनीतिक चालें हैं. बीजेपी हिंदू धर्म की आड़ में विवाद करवाना चाहती है, जिंदा रहना चाहती है. छत्तीसगढ़ में इसका कोई असर नहीं होने वाला. मैं कहना चाहता हूं कि कवर्धा में इतने ज्यादा बाहरी लोगों की जरूरत क्या थी? अगर विवाद था तो दोनों समुदाय के लोग मिल बैठकर उसे सुलझा सकते थे. विधायक ही मामले को निपटा सकते थे. लेकिन तूल देने का बीजेपी का स्वभाव हो गया है. बाकी यह कोई विवाद का मुद्दा ही नहीं था. प्रदेश में न तो धर्मांतरण मामले को कोई जगह है और ना संप्रदायिकता को कोई जगह है. हमारा प्रदेश शांति का टापू है. हर आदमी शांति से रहना चाहता है. उनकी शांति में कोई दखल ना डाले यह हमें देखना पड़ेगा. यह हम सबका काम है और हमारी सरकार इस काम को बखूबी कर रही है.

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सवाल: बीजेपी के पास क्या मुद्दों की कमी है जिसकी वजह से उनके नेता आपकी पार्टी के अंदर क्या हो रहा है, उस पर ज्यादा नजर रखते हैं. कब टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनेंगे? कब मुख्यमंत्री पद छोड़ेंगे? क्या कभी, किसी विपक्षी दल का ऐसा राजनीतिक मुद्दा रहा है?

जवाब: कभी इस तरह का मुद्दा राजनीति दलों का नहीं रहता. यह तो हमारी पार्टी का अंदरूनी मसला है. पार्टी जिसे चाहे उसे अपना नेता घोषित कर सकती है. यह भी काम राष्ट्रीय नेतृत्व को करना है और इसमें कोई दम नहीं है. केवल इसे हवा देने का काम बीजेपी कर रही है. सिर्फ बाजार गर्म करने का काम ये कर रहे हैं. इसका कोई असर राजनीति में नहीं होगा. यह दावा मैं साफ तौर पर कर सकता हूं.

सवाल: अब कुछ ऐसे विषयों पर चर्चा करना चाहेंगे जो आपकी निजी जिंदगी से जुड़ी हैं. कोई ऐसा वाकिया जो स्कूल कॉलेज के दिनों की हो और जिसे आप हमसे शेयर करना चाहते हों?
जवाब: लंबा अरसा गुजर गया है लेकिन पढ़ाई के दिनों में हम लोग शिक्षकों के प्रति काफी सम्मान भाव रखते थे. कभी ऐसी कोई बात नहीं हुई कि किसी सम्माननीय गुरुजनों को थोड़ा भी अन्यथा लगा हो. गुरुओं के प्रति सम्मान और पार्टी में एक दूसरे के प्रति आदर का भाव यही मेरी धरोहर रही है.

सवाल: फिल्म देखना भी आपका शौक रहा है, और खेल में भी आपकी रुचि रही है?
जवाब : बहुत पहले हम लोग यूनाइटेड क्रिकेट क्लब बनाए थे. उस समय क्रिकेट खेलते थे. उसके बाद जैसे-जैसे सामाजिक दायित्व बढ़ने लगा और राजनीतिक जिम्मेदारियां बढ़ती गईं तो रुझान कमजोर पड़ गया. जहां तक फिल्मों का सवाल है तो वह मैं, मदर इंडिया और नया दौर जैसी फिल्मों को ज्यादा पसंद करता था लेकिन अब कोई शौक नहीं बचा है.

रायपुरः अविभाजित मध्यप्रदेश में मंत्री रह चुके छत्तीसगढ़ के कद्दावर और वरिष्ठ कांग्रेस नेता सत्यनारायण शर्मा से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की जिसमें उन्होंने कई आश्चर्यजनक खुलासे किए. साथ ही बीजेपी पर जमकर निशाना भी साधा (BJP also targeted). शर्मा ने कई विषयों पर खुलकर अपनी राय रखी. वह अविभाजित मध्यप्रदेश में 1985 में विधानसभा में विधायक (MLA in the assembly) चुने गए. जिसके बाद विधायक बनने का सिलसिला आज तक जारी है. इस दौरान इन्होनें कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री (ministers of important ministries) के रूप में भी कार्य किए. वर्तमान में शर्मा रायपुर ग्रामीण क्षेत्र के विधायक हैं. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कुछ कहा?

बीजेपी लोगों को बांटने का काम कर रही है-सत्यनारायण शर्मा
सवाल: आपने अपनी राजनीतिक सफर (political journey) की शुरुआत कैसे की ?जवाब: बचपन से ही इंदिरा जी से काफी प्रभावित हुआ और अल्पायु में ही कांग्रेस के लिए काम करना शुरू कर दिया. फिर कांग्रेस के बड़े नेता अर्जुन सिंह और दिग्विजय सिंह (Big leaders of Congress Arjun Singh and Digvijay Singh) जी के साथ काम करने का अवसर मिला. 1985 में मंदिर हसौद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने मुझे अपना उम्मीदवार बनाया और इसमें मैंने जीत हासिल की. हालांकि पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनीतिक ही रही है. दादाजी, पद्मभूषण से सम्मानित थे. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. जिनसे काफी कुछ सीखने का अवसर मिला और आशीर्वाद भी. लोगों को जोड़ कर रखना हमेशा से ही मेरी कार्यशैली रही है.

सवाल: राजनीति में पहले और अब में आप क्या परिवर्तन देखते हैं?
जवाब : देखिए, हर 20 साल के अंतर पर परिवर्तन जरूर होता है. अब युवाओं को आगे लाने की जरूरत है. हमें नौजवानों को आगे बढ़ाना चाहिए. हम तो सूखे दरख़्त की तरह हैं. नई कोपल को पल्लवित करना हमारा धर्म है. नौजवान देश की सेवा करें. राहुल जी के साथ मिलकर देश में अभी जो विपरीत परिस्थितियां हैं, खुले रूप से भ्रष्टाचार व्याप्त है, आज हर चीज महंगी मिल रही है. जिस पर लगाम लगाने की जरूरत है. इसके लिए सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता (need for strong leadership) है. जिसकी पूर्ति राहुल गांधी कर सकते हैं.

सवाल: आपने अपने उम्र की बात कही, लेकिन सदन के अंदर और आपके हाव-भाव से, आपके चाहने वालों को लगता है कि आप अभी भी नौजवान हैं. आपकी कार्यशैली भी नौजवानों की तरह ही है.
जवाब : राष्ट्रीय नेतृत्व से हमें ऊर्जा मिलती है (We get energy from national leadership). उनकी प्रत्याशा में उन्हें क्या चाहिए, वह काम हम अपने हाथों में लेते हैं और पार्टी के सिद्धांतों के तहत हम उस काम को करते हैं. हालांकि राजनीति में उम्र का कोई सवाल नहीं होता. हम सब मिलकर, एकजुट होकर देश की सेवा करें और अच्छे से काम करने की परंपरा (working tradition) बनाएं. यह हम सबके लिए जरूरी है.

छत्तीसगढ़ में कोविड केसों में फिर उछाल ! महापौर ने कहा रायपुर में नहीं है किसी प्रकार का कोरोना

सवाल: अविभाजित मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Chhattisgarh) के तौर पर आपकी पहचान थी. आम लोगों के बीच यह चर्चा का विषय भी हुआ करता था. क्या आपको लगता है कि राज्य बनने के बाद विकास की अवधारणा (concept of development) को लेकर, जिस छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था, वह विकास दिखाई दे रहा है?
जवाब : देखिए, मुख्यमंत्री तो किसी भी सूबे का एक ही होता है. लेकिन जो काम करता है, उसका नाम भी हो जाता है. मैंने मध्यप्रदेश के समय में जनता की सेवा की. उसका जनता ने मुझे आशीर्वाद दिया और यह उसी का प्रतिफल है कि मैं लगातार चुनाव जीतते आ रहा हूं. छत्तीसगढ़ बनने के बाद विकास की संभावनाएं अच्छी रही हैं. हमारे राज्य में विकास (development in the state) भी हुआ है, लेकिन 15 सालों में जो ठहराव की स्थिति आ गई थी, उस दौरान, किसानों की बातों को अनदेखा किया गया. मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई. नौजवानों के लिए कोई योजनाएं नहीं बनाई गई. महिलाओं के लिए कोई काम नहीं था लेकिन अब कांग्रेस की भूपेश बघेल की सरकार ने लगातार इस दिशा में काम किया और इसी कड़ी में उन्होंने गोधन योजना और गौठान योजना की शुरुआत की. यह सबसे बड़ी सफलता है.

सवाल: आप जैसे अनुभवी विधायक को मंत्री पद (Ministerial post to experienced MLA) देकर प्रदेश के विकास को और गति दिया जा सकता था, लेकिन मंत्रिमंडल में आपको शामिल नहीं किया गया, इसकी क्या वजह मानते हैं?
जवाब : इसके पीछे कोई वजह नहीं है. यह मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है कि वह जिस विधायक से जो काम लेना चाहें, ले सकते हैं. इसमें किसी को, किसी तरह की, एतराज नहीं होनी चाहिए. हम पार्टी के लिए काम करते हैं, और जो भी काम दिया जाएगा करते रहेंगे.

17 साल का हिसाब मांगने वाले अपने 60 सालों का दें हिसाब : भूपेन्द्र सिंह

सवाल: क्या मंत्री पद ना मिलने की बात को लेकर दिल में कोई टीस रहती है?
जवाब : नहीं-नहीं, मैंने इस मामले को लेकर कभी कोई बात नहीं की. ना कभी किसी को बताया और ना ही किसी को एहसास होने दिया. अपने पार्टी की नेताओं के प्रति सम्मान रखना यह मेरी फितरत रही है. मैं अपना काम कर रहा हूं और सब के प्रति स्नेह का भावना मेरे मन में आज भी है.

सवाल: भारतीय जनता पार्टी जिन विषयों को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही है, क्या लगता है कि धर्म आधारित कोई मुद्दा (any issue based on religion) प्रदेश में है?
जवाब: भारतीय जनता पार्टी रस्सी को सांप बनाने की कोशिश कर रही है. जिससे कांग्रेस पार्टी कमजोर हो सके. लेकिन हिन्दू-मुस्लिम, सिख-ईसाई, हम हैं भाई-भाई के पदचिन्हों पर हम चलना जानते हैं. बीजेपी बांटने की राजनीति करती है. हम जोड़ने की बात करते हैं. जो चाल फिरंगियों ने चली थी, वही खेल बीजेपी कर रही है. इसलिए इस प्रदेश में इन्हें कोई जगह नहीं मिलेगी. जनता इन पर विश्वास नहीं करेगी. देश के किसान भी इन पर विश्वास नहीं कर रहे हैं. एमएसपी की मांग जब तक नहीं मानी जाती, तब तक प्रदेश और देश का किसान संतुष्ट नहीं होगा. हमारी पार्टी ने अन्नदाताओं की सेवा की है. हमारे सभी नेता भी इस काम को बखूबी कर रहे हैं.

सवाल: कवर्धा मामले को लेकर पिछले दिनों बीजेपी ने मुख्यमंत्री निवास का घेराव किया था. क्या यह भी राजनीति से प्रेरित है?
जवाब : यह राजनीतिक चालें हैं. बीजेपी हिंदू धर्म की आड़ में विवाद करवाना चाहती है, जिंदा रहना चाहती है. छत्तीसगढ़ में इसका कोई असर नहीं होने वाला. मैं कहना चाहता हूं कि कवर्धा में इतने ज्यादा बाहरी लोगों की जरूरत क्या थी? अगर विवाद था तो दोनों समुदाय के लोग मिल बैठकर उसे सुलझा सकते थे. विधायक ही मामले को निपटा सकते थे. लेकिन तूल देने का बीजेपी का स्वभाव हो गया है. बाकी यह कोई विवाद का मुद्दा ही नहीं था. प्रदेश में न तो धर्मांतरण मामले को कोई जगह है और ना संप्रदायिकता को कोई जगह है. हमारा प्रदेश शांति का टापू है. हर आदमी शांति से रहना चाहता है. उनकी शांति में कोई दखल ना डाले यह हमें देखना पड़ेगा. यह हम सबका काम है और हमारी सरकार इस काम को बखूबी कर रही है.

मंत्री ओपीएस भदौरिया, बोले- PM नहीं चाहते अशांति का माहौल, इसलिए कृषि कानून वापस लिया
सवाल: बीजेपी के पास क्या मुद्दों की कमी है जिसकी वजह से उनके नेता आपकी पार्टी के अंदर क्या हो रहा है, उस पर ज्यादा नजर रखते हैं. कब टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री बनेंगे? कब मुख्यमंत्री पद छोड़ेंगे? क्या कभी, किसी विपक्षी दल का ऐसा राजनीतिक मुद्दा रहा है?

जवाब: कभी इस तरह का मुद्दा राजनीति दलों का नहीं रहता. यह तो हमारी पार्टी का अंदरूनी मसला है. पार्टी जिसे चाहे उसे अपना नेता घोषित कर सकती है. यह भी काम राष्ट्रीय नेतृत्व को करना है और इसमें कोई दम नहीं है. केवल इसे हवा देने का काम बीजेपी कर रही है. सिर्फ बाजार गर्म करने का काम ये कर रहे हैं. इसका कोई असर राजनीति में नहीं होगा. यह दावा मैं साफ तौर पर कर सकता हूं.

सवाल: अब कुछ ऐसे विषयों पर चर्चा करना चाहेंगे जो आपकी निजी जिंदगी से जुड़ी हैं. कोई ऐसा वाकिया जो स्कूल कॉलेज के दिनों की हो और जिसे आप हमसे शेयर करना चाहते हों?
जवाब: लंबा अरसा गुजर गया है लेकिन पढ़ाई के दिनों में हम लोग शिक्षकों के प्रति काफी सम्मान भाव रखते थे. कभी ऐसी कोई बात नहीं हुई कि किसी सम्माननीय गुरुजनों को थोड़ा भी अन्यथा लगा हो. गुरुओं के प्रति सम्मान और पार्टी में एक दूसरे के प्रति आदर का भाव यही मेरी धरोहर रही है.

सवाल: फिल्म देखना भी आपका शौक रहा है, और खेल में भी आपकी रुचि रही है?
जवाब : बहुत पहले हम लोग यूनाइटेड क्रिकेट क्लब बनाए थे. उस समय क्रिकेट खेलते थे. उसके बाद जैसे-जैसे सामाजिक दायित्व बढ़ने लगा और राजनीतिक जिम्मेदारियां बढ़ती गईं तो रुझान कमजोर पड़ गया. जहां तक फिल्मों का सवाल है तो वह मैं, मदर इंडिया और नया दौर जैसी फिल्मों को ज्यादा पसंद करता था लेकिन अब कोई शौक नहीं बचा है.

Last Updated : Nov 26, 2021, 10:56 PM IST
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