रायपुर : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सामाजिक जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले संगठनों के प्रमुखों के साथ समन्वय बैठक करने जा रही (RSS BJP focus on Chhattisgarh) है. ये बैठक राष्ट्रीय स्तर पर है. क्योंकि देशभर के बड़े-बड़े पदाधिकारी 3 दिन तक इस बड़ी बैठक में शामिल होंगे. इसके लिए बड़े स्तर में तैयारी की जा रही है. बैठक में चर्चा गोपनीय रखी जाएंगी. बैठक के 3 दिनों तक प्रमुख पदाधिकारी बाहर नहीं निकलेंगे. बैठक में डॉ. मोहन भागवत (Dr Mohan Bhagwat), दत्तात्रेय होसबोले सहित संघ के पांचों सह सरकार्यवाह प्रमुख पदाधिकारी शामिल (RSS meeting in Raipur )होंगे.
कौन-कौन होंगे बैठक में शामिल : इस बैठक में भारतीय मजदूर संघ के हिरण्यमय पंड्या और बी सुरेंद्रन, विश्व हिंदू परिषद के आलोक कुमार और मिलिंद परांडे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आशीष चौहान और निधि त्रिपाठी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा (BJP National President JP Nadda) और बी एल संतोष, भारतीय किसान संघ के दिनेश कुलकर्णी, विद्या भारती के रामकृष्ण राव और जीएम काशीपती, राष्ट्र सेविका समिति से वंदनीया शांताक्का और अन्नदानम् सीताक्का, वनवासी कल्याण आश्रम के रामचंद्र खराड़ी और अतुल जोग सहित कुल 36 संगठनों के प्रमुख बैठक में शामिल हो रहे (RSS BJP election strategy in raipur) है.
क्या है बैठक को लेकर तैयारी : अखिल भारतीय समन्वय बैठक की तैयारी छत्तीसगढ़ भाजपा ने शुरू कर दी है. रायपुर के भाजपा प्रदेश कार्यालय कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई गई. जिसमें 10 से 12 सितंबर तक चलने वाली बैठक की तैयारी पर चर्चा हुई. साथ ही पदाधिकारियों को अलग-अलग जवाबदारी सौंपी गई।अखिल भारतीय समन्वय बैठक के पहले ही छत्तीसगढ़ की राजनीति गरमा गई है .लगातार कांग्रेस इस बैठक को लेकर भाजपा और आरएसएस पर हमला बोल रही है.कयास लगाया जा रहा है कि इस बैठक के दौरान आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति भी तैयार की होगी. खासकर आरएसएस की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
बैठक को लेकर कांग्रेस का तर्क : प्रदेश में आरएसएस की बढ़ती भूमिका को देखते हुए कांग्रेस सतर्क हो गई है. लगातार एक के बाद एक RSS पर हमला बोला जा रहा है. आगामी दिनों में होने वाली बैठक के दौरान आरएसएस के द्वारा चुनावी रणनीति बनाने के सवाल पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि '' वह तो सांस्कृतिक संगठन है, उसे चुनाव से क्या लेना देना, वह आगामी विधानसभा चुनाव 2023 की रणनीति क्यों बनाएगी.'' कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भी भाजपा सहित RSS पर जोरदार हमला बोला है. सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि '' भाजपा के स्थानीय नेता जनता का भरोसा खो चुके हैं. यही वजह है कि एक के बाद एक अब भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का छत्तीसगढ़ प्रवास हो रहा है. यहां तक की छत्तीसगढ़ में होने वाले आंदोलन में भी भाजपा के राष्ट्रीय नेता शामिल हो रहे हैं. सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अब भाजपा के राष्ट्रीय नेता आ रहे हैं. RSS भी आ रही है. जो अपने आप को गैर राजनीतिक संगठन बताती है. ऐसे में भाजपा और आरएसएस कितनी भी कोशिश कर ले, छत्तीसगढ़ में उनकी कोशिश फिजूल साबित होगी.''
क्या RSS की बैठक पर राजनीति विशेषज्ञ की राय : वहीं वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा का कहना है कि ''आरएसएस की भाजपा में प्रत्यक्ष रूप से कोई भूमिका नहीं होती है. लेकिन समय-समय पर आरएसएस के नेता कार्यकर्ता भाजपा में जाते रहे हैं.यह सही है कि अभी जो नियुक्तियां हुई है वो नेता प्रतिपक्ष हो या फिर प्रदेश अध्यक्ष उनकी पृष्ठभूमि संघ की रही है. ऐसे में कहा जा सकता है कि संघ के नेताओं को इस बार भाजपा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है.लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि संघ आगामी चुनाव को लेकर भाजपा को मार्ग दिखाएगा या फिर पार्टी का नेतृत्व करेगा. भाजपा और संघ दोनों अलग-अलग हैं. चुनाव में संघ कुछ नहीं करता, लेकिन यह जरूर है कि संघ के नेता अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा को चुनाव में मदद करते हैं. शशांक शर्मा ने कहा कि चुनाव के दौरान संघ के लोग सिर्फ भाजपा का ही बल्कि दूसरे राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों का भी सहयोग करते हैं और कर सकते हैं.''
क्यों RSS पर भाजपा ने जताया है भरोसा : छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 में भाजपा को मिली करारी हार ने पार्टी को चिंता में डाल दिया है . 15 साल तक सत्ता में रहने के बाद 2018 के विधानसभा चुनाव में महज 15 सीटों पर सिमट गई. उसके बाद हुए विधानसभा उपचुनाव, नगरी निकाय चुनाव, पंचायत चुनाव में भी भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है.लगातार हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के दिग्गज नेताओं को किनारे करते हुए आरएसएस के नेताओं पर भरोसा जताया है. यही वजह है कि विधानसभा चुनाव 2023 के लिए इस बार आरएसएस की पृष्ठभूमि से जुड़े नेताओं को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है . हाल फिलहाल में जो भी पार्टी में नियुक्ति की गई है. उनमें RSS बैकग्राउंड वाले लोगों को शामिल किया गया है. भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में भाजपा को सत्ता में वापस लाने की जिम्मेदारी आरएसएस की तिकड़ी राष्ट्रीय सगसंगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के साथ भाजपा के नए प्रदेशाध्यक्ष बिलासपुर के सांसद अरुण साव को सौंपी है. भाजपा इनके भरोसे अपनी चुनावी नैया पार लगाना चाहती है. वहीं सरकार को सदन में घेरने धरमलाल कौशिक के स्थान पर नारायण चंदेल को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है. अब संगठन महामंत्रियों और जिला अध्यक्षों को बदला जाएगा.
क्यों पिछला चुनाव हारी थी भाजपा : पिछले चुनाव में भाजपा में गुटबाजी खुलकर देखने को मिली और यही वजह था कि पार्टी को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. हार के बाद भी पार्टी में गुटबाजी चरम पर है. ऐसे में पार्टी प्रमुखों की नजर ऐसे नेताओं पर है जो पार्टी में रहते हुए पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं खासकर वे बड़े नेता जिनकी वजह से कार्यकर्ताओं में नाराजगी है. उन पर भी पार्टी प्रमुख की पैनी नजर है. इन नेताओं पर नजर रखने की जिम्मेदारी पार्टी ने शिव प्रकाश और डी पुरंदेश्वरी को दी . भाजपा ने एक साल पहले राष्ट्रीय सहसंगठन महामंत्री सौदान सिंह की जगह आरएसएस के शिवप्रकाश को कमान सौंपी. प्रदेश के भाजपा प्रभारी डॉ. अनिल जैन के स्थान पर डी. पुरंदेश्नवरी को जिम्मेदारी सौंपी गई. एक सहप्रभारी नितिन नबीन को बनाया गया. वहीं राष्ट्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश के लिए क्षेत्रीय संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी आरएसएस के अजय जामवाल को सौंपी. जामवाल की नियुक्ति के बाद पहले से तय रणनीति के मुताबिक प्रदेशाध्यक्ष को बदल दिया गया. इसका जिम्मा भी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की पृष्ठभूमि वाले सांसद अरुण साव को सौंपा गया. ऐसे में अब आरएसएस के 3 दिग्गज नेताओं के हाथों में छत्तीसगढ़ भाजपा की कमान आ गई है.
भाजपा के बड़े नेताओं को किनारे करते हुए बदलाव कि तैयारी : छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश की जिम्मेदारी संभाल रहे अध्यक्ष विष्णुदेव साय, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक को बदले जाने के बाद अब प्रदेश संगठन में महामंत्रियों की विदाई तय है. प्रदेश भाजयुमो के साथ जिला संगठनों में बदलाव होगा. इस बदलाव के लिए भाजपा में बैठकों का दौर जारी है. कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द भाजपा में कई और बड़े बदलाव हो सकते हैं. हालांकि इस दौरान किन नेताओं को किनारे किया जाएगा और किसे तवज्जो दी जाएगी. उस पर संशय बरकरार है. लेकिन जिन नेताओं को किनारे किया जा सकता है उसमें प्रदेश के कई दिग्गज नेता हो सकते हैं. वहीं बदलाव के संकेतों को बीच भाजपा में उथल-पुथल जारी है.।