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वन भूमि उपयोग के लिए परसा कोल ब्लॉक को मिली मंजूरी, विरोध के स्वर भी हुए मुखर

छत्तीसगढ़ सरकार ने वनभूमि उपयोग के लिए परसा कोल ब्लॉक को मंजूरी प्रदान (Parsa coal block got approval)की है. लेकिन इस क्षेत्र में खनन को मंजूरी मिलते ही विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं.

Parsa coal block got approval
परसा कोल ब्लॉक का विरोध
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Published : Apr 13, 2022, 7:48 PM IST

Updated : Apr 14, 2022, 11:33 AM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने परसा ओपन कास्ट कोयला खदान के लिए शर्तों के साथ वनभूमि के उपयोग की स्वीकृति दे (Parsa coal block got approval) दी है . गौर करने वाली बात है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसी कोयला खदान को मंजूरी दिलवाने की बात करने पिछले माह रायपुर आये थे . गहलोत ने इस सिलसिले में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात भी की थी .


राजस्थान के सीएम ने बघेल से की थी मुलाकात : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर प्रवास के दौरान पिछले महीने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जानकारी दी थी कि छत्तीसगढ़ के परसा कोल खदान को वनभूमि उपयोग की मंजूरी न मिलने पर राजस्थान में कोयला संकट खड़ा हो जाएगा और प्रदेश के पॉवर प्लांट्स के लिए कोयले की कमी हो जाएगी . गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) से मुलाकात कर इस विषय में विस्तार से चर्चा भी की थी . छत्तीसगढ़ सरकार के वन विभाग ने इस खदान की वनभूमि उपयोग की मंजूरी कई शर्तो के साथ प्रदान कर दी है , हालांकि परसा कोल खदान के लिए केंद्र सरकार ने 2019 में ही पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान कर दी थी . यह परियोजना 841.33 हेक्टेयर वनभूमि में शुरू होगी .

परसा कोल ब्लॉक को मंजूरी



छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने किया विरोध: छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े एक्टिविस्ट आलोक शुक्ला का, कहना है कि परसा खदान को सरकार द्वारा , वन भूमि उपयोग की स्वीकृति देना, बेहद दुखद है. हम इसका विरोध करते हैं . यह स्वीकृति नियम विरुद्ध है . पर्यावरणीय चिंताओं को दरकिनार करते हुए यह स्वीकृति दी गई है . आलोक शुक्ला का कहना है कि स्थानीय लोग , वनभूमि स्वीकृति का विरोध कर रहे हैं , धरना और पद यात्राएं की जा रही है . प्रभावित लोग लगातार आंदोलन कर रहे है .

ये भी पढ़ें- परसा कोल ब्लॉक में उत्खनन शुरू करने की तैयारी, इस वजह से हुआ था विवाद

फर्जी ग्राम सभाओं के लिए भी पत्र : पर्यावरण एक्टिविस्ट आलोक शुक्ला ने बताया कि प्रदेश की राज्यपाल के द्वारा, फर्जी ग्राम सभाओं की जांच के लिए पत्र भी लिखा गया है , लेकिन बिना कोई जांच के वन विभाग द्वारा परसा कोल ब्लॉक के लिए स्वीकृति देना गैरकानूनी और कारपोरेट के दबाव में लिया गया फैसला है. शुक्ला ने कहा कि अभी ,परसा कोल ब्लॉक और उसके दूसरे चरण की स्वीकृति दी गई है . आने वाले दिनों में इस क्षेत्र की अन्य कोल ब्लॉक्स के लिए भी ऐसी स्वीकृति दी जा सकती है . ऐसे में जंगलों के उजड़ने का अंदेशा है. आलोक शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन , इसका पुरजोर विरोध करता है . हम इस मामले को लेकर जमीनी संघर्ष के साथ-साथ न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे .

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने परसा ओपन कास्ट कोयला खदान के लिए शर्तों के साथ वनभूमि के उपयोग की स्वीकृति दे (Parsa coal block got approval) दी है . गौर करने वाली बात है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसी कोयला खदान को मंजूरी दिलवाने की बात करने पिछले माह रायपुर आये थे . गहलोत ने इस सिलसिले में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात भी की थी .


राजस्थान के सीएम ने बघेल से की थी मुलाकात : छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर प्रवास के दौरान पिछले महीने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जानकारी दी थी कि छत्तीसगढ़ के परसा कोल खदान को वनभूमि उपयोग की मंजूरी न मिलने पर राजस्थान में कोयला संकट खड़ा हो जाएगा और प्रदेश के पॉवर प्लांट्स के लिए कोयले की कमी हो जाएगी . गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) से मुलाकात कर इस विषय में विस्तार से चर्चा भी की थी . छत्तीसगढ़ सरकार के वन विभाग ने इस खदान की वनभूमि उपयोग की मंजूरी कई शर्तो के साथ प्रदान कर दी है , हालांकि परसा कोल खदान के लिए केंद्र सरकार ने 2019 में ही पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान कर दी थी . यह परियोजना 841.33 हेक्टेयर वनभूमि में शुरू होगी .

परसा कोल ब्लॉक को मंजूरी



छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन ने किया विरोध: छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन से जुड़े एक्टिविस्ट आलोक शुक्ला का, कहना है कि परसा खदान को सरकार द्वारा , वन भूमि उपयोग की स्वीकृति देना, बेहद दुखद है. हम इसका विरोध करते हैं . यह स्वीकृति नियम विरुद्ध है . पर्यावरणीय चिंताओं को दरकिनार करते हुए यह स्वीकृति दी गई है . आलोक शुक्ला का कहना है कि स्थानीय लोग , वनभूमि स्वीकृति का विरोध कर रहे हैं , धरना और पद यात्राएं की जा रही है . प्रभावित लोग लगातार आंदोलन कर रहे है .

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फर्जी ग्राम सभाओं के लिए भी पत्र : पर्यावरण एक्टिविस्ट आलोक शुक्ला ने बताया कि प्रदेश की राज्यपाल के द्वारा, फर्जी ग्राम सभाओं की जांच के लिए पत्र भी लिखा गया है , लेकिन बिना कोई जांच के वन विभाग द्वारा परसा कोल ब्लॉक के लिए स्वीकृति देना गैरकानूनी और कारपोरेट के दबाव में लिया गया फैसला है. शुक्ला ने कहा कि अभी ,परसा कोल ब्लॉक और उसके दूसरे चरण की स्वीकृति दी गई है . आने वाले दिनों में इस क्षेत्र की अन्य कोल ब्लॉक्स के लिए भी ऐसी स्वीकृति दी जा सकती है . ऐसे में जंगलों के उजड़ने का अंदेशा है. आलोक शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन , इसका पुरजोर विरोध करता है . हम इस मामले को लेकर जमीनी संघर्ष के साथ-साथ न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाएंगे .

Last Updated : Apr 14, 2022, 11:33 AM IST
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