रायपुरः प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या अभी काफी कम है लेकिन धीरे-धीरे कर संक्रमित मरीजों की संख्या एक बार फिर प्रदेश में बढ़ने लगी है. वहीं, पोस्ट कोविड मरीजों में कई तरह की समस्या देखने को मिलती है. जिसमें सांस लेने में दिक्कत, मन बेचैन होना, लंबे समय तक सर्दी-खांसी जैसी कई समस्या देखने को मिली है.
इसके अलावा कुछ लोगों में बातें भूलने जैसी बीमारी भी देखने को मिल रही है. इसको ब्रेन फागिंग कहते हैं. 7% से 30% पोस्ट कोविड मरीजों में इस तरह के सिम्टम्स देखने को मिल रहे हैं. आखिर ब्रेन फॉकिंग क्या है? किस तरह से ये लोगों को इफेक्ट कर रहा है और इसे ओवरकम किस तरह से किया जा सकता है? इसको लेकर ईटीवी भारत ने साइकैट्रिस्ट डॉ. सुरभि दुबे से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?
ब्रेन फागिंग है बीमारी का लक्षण
साइकैट्रिस्ट डॉ. सुरभि दुबे ने कहा कि ब्रेन फागिंग (brain fogging) कोई एक बीमारी नहीं है. बल्कि बीमारी का एक लक्षण है. ब्रेन फागिंग में आप कंफ्यूजन महसूस कर सकते हैं. नींद में दिक्कतें महसूस कर सकते हैं. जब भी आपको मानसिक थकावट होने लगे, आप कंफ्यूज होने लगेंगे. जो काम आप पहले बहुत अच्छे से कर पा रहे थे, उसको करने में आप असहज महसूस करेंगे. जैसे कैलकुलेशन मिस्टेक (calculation mistake) होने लगे या छोटी-छोटी बात भूलने लगे. साथ में यह भी हो सकता है कि हल्का चिड़चिड़ापन इन कारणों से देखने को मिले.
7% से 30% लोगों में देखने को मिल रहा ब्रेन फागिंग
पोस्ट कोविड के बाद 7% से 30% लोगों में ब्रेन फागिंग की समस्या देखने को मिली है. पर यह उन लोगों में पाया गया है जिनको सीवीयर कोविड हुआ था. जो मॉडरेट कोविड वाले हैं, साथ में उनको थायराइड, ब्लड प्रेशर की बीमारी, डायबिटीज, जिनकी इम्युनिटी बहुत ज्यादा ड्राप हुई हो, इसके अलावा अगर कोविड की वजह से किसी फैमिली मेंबर की डेथ हुई हो तो उनमे भी ब्रेन फागिंग की समस्या देखने को मिली है. ब्रेन फागिंग एक पोस्ट कोविड सिंड्रोम (post covid syndrome) होता है. इसे हम 7% से 30 परसेंट लोगों में देखना है.
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30 से 50 एज ग्रुप में अधिक समस्या
जो मेंटल इलनेस है, वह लगभग सभी लोगों में देखने को मिलते हैं. उम्र के साथ-साथ यह ज्यादा देखने को मिलते हैं. लेकिन जो युवा वर्ग है, मतलब ब्रेन फॉगिंग 30 से 50 एज ग्रुप की आयु में देखने को ज्यादा मिल रहा है. कोविड का जो वायरस है, वह एंजियोटेनसिन कॉन्वेर्टिंग एनसाइन 2 के सहारे ब्रेन के सेल्स में एंट्री करता है. ब्रेन के सेल्स में एंट्री करके इंफॉर्मेशन या सूजन पैदा करता है. जिससे 1 सेल्स से 2 सेल्स तक इंफॉर्मेशन नहीं पहुंचा पाता. इससे डिसीजन मेकिंग या काउंटिंग में प्रॉब्लम होती है. लोग कंफ्यूज होने लगते हैं. इसी कारण से यह ब्रेन फोग देखने को मिलता है. जो बच्चों की इम्युनिटी रहती है वह ज्यादा अच्छी रहती है. इसलिए जिनको कोविड भी हुआ है, वह युवाओं में बच्चों के मुकाबले ज्यादा देखने को मिला है.
प्रॉपर डाइट और फिजिकल रूटीन है सही ईलाज
इसे ओवर कम किया जा सकता है प्रॉपर एक्सरसाइज, डाइट, फिजिकल एक रूटीन बनाकर, मेंटल कैपेसिटी को बूस्ट करके, मेंटल गेम्स खेल कर या योगा करके हम इसे कम कर सकते हैं. अपने रूटीन प्लेन को ऑर्गेनाइज करके इसमें डाइट बहुत हेल्प करता है. जिसमें प्रोटीन , विटामिन, B12, यह सब चीज की मात्रा अच्छी हो तो यह भी काफी हेल्प करती है.