बस्तर: विश्वप्रसिद्ध बस्तर दशहरा में बिरसा उतारनी रस्म के बाद नार फोड़नी रस्म अदा की जाती है. इस रस्म के लिए मोंगरी मछली और बकरे की बलि दी जाती है. विजय रथ के चक्के में एक्सल लगाने के लिए बीच में एक होल किया जाता है. जगदलपुर के सिरहसार भवन के सामने रथ बनाया जा रहा है. पहले रथ के पहिए को धोकर लाई, चना, अंडा अर्पित कर पूजा की गई. पहियों में छेद करने के लिए पारंपरिक औजारों का उपयोग किया गया.
600 वर्षों से चली आ रही परंपरा: नार फोड़नी रस्म के बाद बस्तर दशहरा में चलने वाले रथ के निर्माण की प्रक्रिया तेज हो जाएगी. बस्तर दशहरा में विशालकाय रथ आकर्षण का केंद्र होता है. ये पर्व यहां शक्ति की आराधना के पर्व के रूप में मनाया जाता है. 600 सालों से यह पर्व मनाया जा रहा है. बस्तर का दशहरा किसी एक समाज या धर्म का पर्व नहीं है, बल्कि इसमें सभी धर्म संप्रदायों की सहभागिता होती है.
Bastar Dussehra 2022 : बस्तर दशहरा में रस्मों की परंपरा, 75 दिनों तक चलता है कार्यक्रम
बस्तर दशहरा का विजय रथ: रथ बनाने के लिए 240 वृक्षों की 51 घन मीटर लकड़ियां लगती है. इसे 2 गांवों के लोग 25 दिन की अवधि में बनाते हैं. इसी रथ पर मां दंतेश्वरी के छत्र को सवार कर उनकी परिक्रमा करवाई जाती है. बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से सैकड़ों की संख्या में लोग पैदल ही मुख्यालय जगदलपुर तक पहुंचते हैं. बस्तर दशहरा का पर्व 75 दिनों तक चलता है. इस दौरान पाटजात्रा, डेरी गड़ाई, काछिन गादी, जोगी बिठाई, फूल रथ चालन, नवरात्र पूजा, मावली परघाव, भीतर रैनि और बाहर रैनि रस्म निभाई जाती है.
बस्तर दशहरा के लिए भव्य रथ: इस साल बस्तर दशहरा के लिए 40 फीट लंबा, 20 फीट चौड़ा और 30 फीट ऊंचा विशाल विजय रथ बनाया जा रहा है. झार और बेड़ा उमरगांव के करीब 150 कारीगर रथ बना रहे हैं. यह रथ 5 अक्टूबर विजयादशमी और 6 अक्टूबर एकादशी की शाम भीतर रैनी और बाहर रैनी के रूप में खींचा जाएगा.