बिलासपुर: कानन पेंडारी में एक बार फिर नर भालू की मौत हो गई. भालू की तबीयत खराब होने पर कानन जू प्रबंधन ने उसे केज से अस्पताल शिफ्ट किया था. गुरुवार सुबह उसकी मौत हो गई. मौत का कारण अभी साफ नहीं हुआ है लेकिन बताया जा रहा है कि भालू की मौत संक्रमण से हो सकती है. कानन जू प्रबंधन ने भालू के बिसरा को बरेली वाइल्ड लाइफ लेबोरेटरी भेजा है. जहां जांच के बाद मौत के सही कारण की जानकारी हो सकेगी.
बिलासपुर के कानन पेंडारी जू में लगातार जंगली जानवरों की मौत हो रही है. फरवरी और मार्च के महीने में यह चौथी बार जंगली जानवर की मौत हुई है. कुछ दिनों पहले हिप्पोपोटामस की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. इसके पहले बाघ की मौत और पिछले पखवाड़े भालू की मौत हुई थी. गुरुवार को उसी भालू के भाई की मौत हुई है. मामले में कानन जू प्रबंधन ने वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और डॉक्टर इलियाराज से संपर्क किया तो उन्होंने आशंका जताई है कि भालू की मौत केनाइन हेपोटीटी संक्रमण से हो सकती है.
सूरजपुर से रेस्क्यू किए गए थे तीन भालू
गुरुवार को जिस भालू की मौत हुई थी. उस भालू के भाई की फरवरी के अंतिम सप्ताह में मौत हो गई थी. 4 साल पहले सूरजपुर के जंगल से वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर तीन भालू के बच्चों को कानन पेंडारी लाई थी. जिनमें दो नर और एक मादा भालू थी. लावारिस हालत में मिले तीनों भालु के बच्चों का कानन पेंड्री जू प्रबंधन ने पालन पोषण किया. तीनों भालू 4 साल के हो गए थे. एक नर भालू पहले ही मर चुका था. गुरुवार को दूसरे नर भालू की भी मौत हो गई. मादा भालू बची है.
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कानन पेंडारी में वेटरनरी डॉक्टरों की कमी
लगातार कानन जू जंगली जानवरों की कब्रगाह बनता जा रहा है. बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं होना सबसे बड़ा कारण माना जा सकता है. क्योंकि हर महीने एक जानवर की यहां मौत हो जाती है. हर बार प्रबंधन किसी न किसी बहाने से खुद को बचा लेता है. वेटरनरी डॉक्टर की कमी जंगली जानवरों को मौत के मुंह तक पहुंचा रहा है.