रायपुर: शारदीय नवरात्र का सातवां दिन माता कालरात्रि का माना गया है. इस शुभ दिन तांत्रिक तंत्र विद्या अघोर और दक्षिणपंथी साधक माता की विशेष पूजा करते हैं. इस दिन श्मशान में जाकर पूजा करने का विधान है. कालरात्रि के दिन संपूर्ण रात्रि माता की पूजा की जाती है. माता का स्वरूप अपने आप में तेजस्वी, ओजस्वी और भयानक है. माता के हाथ में खड़ग, कटार और अस्त्र शस्त्र हैं. एक हाथ से वर देने वाली अभय मुद्रा भी है. माता गधे पर सवार होकर आती हैं . seventh day of shardiya navratri
माता कालरात्रि का स्वरूप: मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है. सिर के बाल बिखरे हुए हैं. गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं. ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड के जैसे गोल हैं. इनसे बिजली के जैसी चमकीली किरणें हमेशा निकलती रहती है. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मां की नाक के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनका वाहन गर्दभ (गधा) है. माता कालरात्रि ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं. दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है. मां बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का कांटा और नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) लिए हुए हैं.maa kalratri pooja
Bilaspur Bagdaai Devi : पांच पत्थर चढ़ाने से देवी होती हैं प्रसन्न, दशकों से जारी है परंपरा
मां कालरात्रि की कैसे करें पूजा : कालरात्रि माता ने शुंभ, निशुंभ और तीनों लोक में हाहाकार मचाने वाले रक्तबीज नामक राक्षस का संहार किया था. इसलिए माता कालरात्रि मानी गई है. माता सभी भक्तों की कामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है. इस शुभ दिन मणिपुर चक्र की पूजा की जाती है. तांत्रिक मार्ग के लोग रुद्रयामल की पद्धति को साधते हैं. शुभ दिन अघोर पंथी संपूर्ण रात्रि श्मशान में यज्ञ तंत्र साधना तांत्रिक प्रयोग करते हैं. इस दिन माता का अनुग्रह प्राप्त करते हैं. कालरात्रि माता की सात्विक पूजा भी की जाती है. महामाया काली दुर्गा के मंदिर में सात्विक पूजा (Workship method of Maa Kalratri) की जाती है. यह पूजन भी देर रात्रि से सुबह तक किया जाता है.worship method of kaalratri
मां कालरात्रि की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.
मंत्र:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता | लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी || वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा | वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि ||
स्तुति:
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः ।।
मां कालरात्रि की पूजा विधि: मां कालरात्रि की पूजा में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ नैवेद्य अर्पित किया जाता है. इस दिन गुड़ का विशेष महत्व माना गया है. मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है. सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर में आसन पर बैठ जाएं. फिर माता का आवाहन करें. इसके बाद मां कालरात्रि की षोडषोपचार (आवाहन, आसन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, उपवस्त्र, गंध, पुष्प, धूम, दीप, नैवेद्य, आरती, नमस्कार, पुष्पांजलि) से पूजा करें. पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करें.