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छत्तीसगढ़ के प्राथमिक स्कूलों में भाषाई सर्वे की जरूरत क्यों पड़ी ?

Linguistic survey in Chhattisgarh under National Education Policy: छत्तीसगढ़ के प्राथमिक स्कूलों में अब बच्चों के घर में बोले जाने वाली भाषा का सर्वे कर पढ़ाई के लिए योजना तैयार की जाएगी.

Linguistic survey in primary schools of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के प्राथमिक स्कूलों में होगा भाषाई सर्वे
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Published : Feb 21, 2022, 12:26 PM IST

Updated : Feb 21, 2022, 7:07 PM IST

रायपुर: प्रदेश के भी प्राथमिक स्कूलों में अब भाषाई सर्वे किया जाएगा. इस सर्वे के जरिए बच्चों के घर में बोली जाने वाली भाषा की जानकारी लेकर बच्चों की पढ़ाई के लिए नई योजना तैयार की जाएगी. महाप्रबंधक समग्र शिक्षा नरेन्द्र दुग्गा (General Manager Samagra Shiksha Narendra Dugga) ने बताया कि 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हर राज्य को भाषाई सर्वेक्षण (Linguistic survey in Chhattisgarh under National Education Policy ) करने का जिम्मा सौंपा गया है. छत्तीसगढ़ पूरी गंभीरता के साथ यह भाषाई सर्वेक्षण करना चाहता है. इस सर्वेक्षण की मदद से छत्तीसगढ़ में प्राथमिक कक्षाओं की भाषाई विविधता पर आंकड़े जुटा पाएंगे और भाषाई परिदृश्य को भी ठीक से समझ सकेंगे. इसके आधार पर राज्य में आगे की शिक्षा नीति और क्षमता निर्माण की रणनीति में मदद मिलेगी.

सर्वे के आधार पर तैयार होगी बच्चों की पढ़ाने की योजना

छत्तीसगढ़ में बच्चे छत्तीसगढ़ी दोरली, हल्बी, भतरी, धुरवी, गोंडी, सादरी, कमारी, कुडुख, बघेली, सरगुजिया, बैगानी, माड़िया के अलावा अंतर्राज्यीय भाषाओं में उड़िया, बंगला, मराठी और तेलुगु में किताबें पढ़ रहे हैं. कक्षा पहली और दूसरी के बच्चों के लिए स्थानीय भाषा में किताबों का प्रकाशन स्कूल शिक्षा विभाग ने किया है. नई शिक्षा नीति में भी मातृ भाषा और क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की तरफ से तैयार की गई किताब में एक पेज हिन्दी का, दूसरा पेज स्थानीय भाषा में तैयार किया गया है.

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प्राथमिक स्कूलों में होगा भाषाई सर्वे

अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के दौरान यानी 21 फरवरी को सभी प्राथमिक स्कूलों में भाषाई सर्वे किया जाना है. प्रदेश में मूलभूत साक्षरता और गणितीय कौशल विकास अभियान के तहत प्राथमिक स्कूली बच्चों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा की जानकारी जुटाई जाएगी. राज्य स्तर पर सर्वे पूरा करने के लिए सभी प्रधान पाठकों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं. सर्वे की जानकारी के आधार पर बच्चों को उनकी भाषा में अध्ययन के लिए योजना बनाने में सहयोग मिलेगा. स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्कूलों में बच्चों को हिन्दी में पढ़ाया जाता है. लेकिन बच्चे अपनी मातृ भाषा में बात करते हैं. इससे दूरस्थ अंचलों के बच्चों को पढ़ने में कठिनाई होती है. इस कठिनाई को दूर करने के लिए ही राज्य के कई क्षेत्रों में स्थानीय भाषा पर आधारित द्विभाषाई पुस्तकें बच्चों को दी गई है.

रायपुर: प्रदेश के भी प्राथमिक स्कूलों में अब भाषाई सर्वे किया जाएगा. इस सर्वे के जरिए बच्चों के घर में बोली जाने वाली भाषा की जानकारी लेकर बच्चों की पढ़ाई के लिए नई योजना तैयार की जाएगी. महाप्रबंधक समग्र शिक्षा नरेन्द्र दुग्गा (General Manager Samagra Shiksha Narendra Dugga) ने बताया कि 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत हर राज्य को भाषाई सर्वेक्षण (Linguistic survey in Chhattisgarh under National Education Policy ) करने का जिम्मा सौंपा गया है. छत्तीसगढ़ पूरी गंभीरता के साथ यह भाषाई सर्वेक्षण करना चाहता है. इस सर्वेक्षण की मदद से छत्तीसगढ़ में प्राथमिक कक्षाओं की भाषाई विविधता पर आंकड़े जुटा पाएंगे और भाषाई परिदृश्य को भी ठीक से समझ सकेंगे. इसके आधार पर राज्य में आगे की शिक्षा नीति और क्षमता निर्माण की रणनीति में मदद मिलेगी.

सर्वे के आधार पर तैयार होगी बच्चों की पढ़ाने की योजना

छत्तीसगढ़ में बच्चे छत्तीसगढ़ी दोरली, हल्बी, भतरी, धुरवी, गोंडी, सादरी, कमारी, कुडुख, बघेली, सरगुजिया, बैगानी, माड़िया के अलावा अंतर्राज्यीय भाषाओं में उड़िया, बंगला, मराठी और तेलुगु में किताबें पढ़ रहे हैं. कक्षा पहली और दूसरी के बच्चों के लिए स्थानीय भाषा में किताबों का प्रकाशन स्कूल शिक्षा विभाग ने किया है. नई शिक्षा नीति में भी मातृ भाषा और क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया गया है. राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की तरफ से तैयार की गई किताब में एक पेज हिन्दी का, दूसरा पेज स्थानीय भाषा में तैयार किया गया है.

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प्राथमिक स्कूलों में होगा भाषाई सर्वे

अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के दौरान यानी 21 फरवरी को सभी प्राथमिक स्कूलों में भाषाई सर्वे किया जाना है. प्रदेश में मूलभूत साक्षरता और गणितीय कौशल विकास अभियान के तहत प्राथमिक स्कूली बच्चों के द्वारा बोली जाने वाली भाषा की जानकारी जुटाई जाएगी. राज्य स्तर पर सर्वे पूरा करने के लिए सभी प्रधान पाठकों को दिशा-निर्देश दिए गए हैं. सर्वे की जानकारी के आधार पर बच्चों को उनकी भाषा में अध्ययन के लिए योजना बनाने में सहयोग मिलेगा. स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि स्कूलों में बच्चों को हिन्दी में पढ़ाया जाता है. लेकिन बच्चे अपनी मातृ भाषा में बात करते हैं. इससे दूरस्थ अंचलों के बच्चों को पढ़ने में कठिनाई होती है. इस कठिनाई को दूर करने के लिए ही राज्य के कई क्षेत्रों में स्थानीय भाषा पर आधारित द्विभाषाई पुस्तकें बच्चों को दी गई है.

Last Updated : Feb 21, 2022, 7:07 PM IST

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