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आद्रता के कारण धान की फसल में कीट प्रकोप - Agricultural scientist Gajendra Chandrakar

छत्तीसगढ़ में लगातार बारिश और नमी के कारण धान की फसल में कीट लग गया है. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने कीटनाशक का प्रयोग करने की सलाह दी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन क्षेत्रों में समय से फसल की बुआई हुई है वहां धान की फसल में कीट नहीं लगा है. Insect outbreak in paddy crop due to humidity

Insect outbreak in paddy crop due to humidity
धान की फसल में कीट प्रकोप
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Published : Sep 15, 2022, 6:39 PM IST

Updated : Sep 15, 2022, 8:44 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रदेश के किसान अलग अलग तरीके से धान की फसल की बुवाई करते हैं अधिकांश किसान रोपाई विधि सीधी बुवाई और लेही विधि से बुवाई करते हैं वर्तमान समय में बदली और 80 प्रतिशत से अधिक आद्रता के कारण कई तरह की धान की फसलों में कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है कीट का प्रकोप प्रमुख रूप से ब्लास्ट रोग बैक्टीरियल लीफ लाइट शीत ब्लाइट और तना छेदक जैसी बीमारियां धान की फसल में देखने को मिल रही है सही समय पर धान की बुवाई होने वाले फसलों पर कीट का प्रकोप अपेक्षाकृत कम देखने को मिल रहा है लेकिन कुछ जगहों पर किसानों के द्वारा देरी से धान की बुवाई की गई है उन जगहों पर कीट का प्रकोप ज्यादा दिखाई दे रहा है.Insect outbreak in paddy crop due to humidity

धान की फसल में कीट प्रकोप

80 प्रतिशत आर्द्रता होने के कारण धान में कीट का प्रकोप: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक गजेंद्र चंद्राकर (Agricultural scientist Gajendra Chandrakar) ने बताया कि "मध्यम अवधि वाली धान की किस्में जैसे बमलेश्वरी, समलेश्वरी, महेश्वरी और स्वर्णा जैसी धान की किस्मों में बालियों आने में अभी थोड़ा समय है. प्रदेश में धान की फसल में कीट का प्रकोप बदली के साथ ही 80 प्रतिशत आद्रता होने के कारण कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जिसमें ब्लास्ट रोग, बैक्टीरियल लीफ लाइट और कहीं कहीं पर शीत ब्लाइट की समस्या देखने को मिल रही है. इसके साथ ही धान की फसल में कीड़े लगने की भी समस्या सामने आ रही है. जिसमें प्रमुख रूप से तना छेदक और लिव फोल्डर है. किसानों समय पर खेतों में फसल की बुवाई करते हैं तो उन क्षेत्रों में कीट व्याधि का प्रकोप कम देखने को मिलता है. "

Insect outbreak in paddy crop due to humidity
धान की फसल में कीट प्रकोप

छत्तीसगढ़ में गरज चमक के साथ बारिश के आसार

कीटनाशक का प्रयोग करके कीट पर नियंत्रण: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक गजेंद्र चंद्राकर ने बताया कि "धान की फसल में कीट प्रकोप और व्याधि से बचने के लिए कीटनाशक का प्रयोग करके कीट प्रकोप पर नियंत्रण पाया जा सकता है. धान की फसल में तना छेदक बीमारी होने पर फटेरा नामक कीटनाशक का उपयोग प्रति एकड़ में 4 किलोग्राम पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में पानी ज्यादा भरा हुआ है वहां पर पानी की मात्रा को कम करके दानेदार दवाइयों का छिड़काव करके तना छेदक बीमारी से कीट के प्रकोप से बचा जा सकता है. ब्लास्ट और शीट ब्लाइड प्रॉपिकोनाजोल और हेक्साकोना जोल 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करने से कीट प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है."

रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रदेश के किसान अलग अलग तरीके से धान की फसल की बुवाई करते हैं अधिकांश किसान रोपाई विधि सीधी बुवाई और लेही विधि से बुवाई करते हैं वर्तमान समय में बदली और 80 प्रतिशत से अधिक आद्रता के कारण कई तरह की धान की फसलों में कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है कीट का प्रकोप प्रमुख रूप से ब्लास्ट रोग बैक्टीरियल लीफ लाइट शीत ब्लाइट और तना छेदक जैसी बीमारियां धान की फसल में देखने को मिल रही है सही समय पर धान की बुवाई होने वाले फसलों पर कीट का प्रकोप अपेक्षाकृत कम देखने को मिल रहा है लेकिन कुछ जगहों पर किसानों के द्वारा देरी से धान की बुवाई की गई है उन जगहों पर कीट का प्रकोप ज्यादा दिखाई दे रहा है.Insect outbreak in paddy crop due to humidity

धान की फसल में कीट प्रकोप

80 प्रतिशत आर्द्रता होने के कारण धान में कीट का प्रकोप: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक गजेंद्र चंद्राकर (Agricultural scientist Gajendra Chandrakar) ने बताया कि "मध्यम अवधि वाली धान की किस्में जैसे बमलेश्वरी, समलेश्वरी, महेश्वरी और स्वर्णा जैसी धान की किस्मों में बालियों आने में अभी थोड़ा समय है. प्रदेश में धान की फसल में कीट का प्रकोप बदली के साथ ही 80 प्रतिशत आद्रता होने के कारण कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जिसमें ब्लास्ट रोग, बैक्टीरियल लीफ लाइट और कहीं कहीं पर शीत ब्लाइट की समस्या देखने को मिल रही है. इसके साथ ही धान की फसल में कीड़े लगने की भी समस्या सामने आ रही है. जिसमें प्रमुख रूप से तना छेदक और लिव फोल्डर है. किसानों समय पर खेतों में फसल की बुवाई करते हैं तो उन क्षेत्रों में कीट व्याधि का प्रकोप कम देखने को मिलता है. "

Insect outbreak in paddy crop due to humidity
धान की फसल में कीट प्रकोप

छत्तीसगढ़ में गरज चमक के साथ बारिश के आसार

कीटनाशक का प्रयोग करके कीट पर नियंत्रण: इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक गजेंद्र चंद्राकर ने बताया कि "धान की फसल में कीट प्रकोप और व्याधि से बचने के लिए कीटनाशक का प्रयोग करके कीट प्रकोप पर नियंत्रण पाया जा सकता है. धान की फसल में तना छेदक बीमारी होने पर फटेरा नामक कीटनाशक का उपयोग प्रति एकड़ में 4 किलोग्राम पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इसके साथ ही जिन क्षेत्रों में पानी ज्यादा भरा हुआ है वहां पर पानी की मात्रा को कम करके दानेदार दवाइयों का छिड़काव करके तना छेदक बीमारी से कीट के प्रकोप से बचा जा सकता है. ब्लास्ट और शीट ब्लाइड प्रॉपिकोनाजोल और हेक्साकोना जोल 400 मिलीलीटर प्रति एकड़ खेत में छिड़काव करने से कीट प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है."

Last Updated : Sep 15, 2022, 8:44 PM IST
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