रायपुर: साल 2019 से प्रारंभ हुआ कोरोना आगामी समय में विकराल रूप में विद्यमान रहेगा. कालसर्प योग जब पूरी तरह से समाप्त होगा, उसके पश्चात ही कोरोना जैसी वैश्विक महामारी नियंत्रण में आएगी. 25 अप्रैल 2022 को बुध ग्रह का आगमन वृषभ राशि में होगा. तब मुख्य रूप से कालसर्प का प्रभाव कम होता चला जाएगा. इसके पश्चात 14 मई 2022 को सूर्य का आगमन वृषभ राशि में होगा.
यह मेष में स्थित राहु को छोड़कर आगे की ओर गतिमान होगा. तब जाकर कोरोना नामक भयानक बीमारी का धीरे-धीरे नाश होता चला जाएगा. यह बीमारी अपने तीसरे चरण में है. शनि ग्रह का अपनी मूल राशि मकर में आने पर इसका प्रभाव बढ़ा है और 29 अप्रैल से शनि का आगमन कुंभ राशि में हो जाएगा. वहां से चीजें कुछ नियंत्रित होती हुई दिखाई देंगी.
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य सबसे प्रमुख ग्रह
ज्योतिष एवं वास्तुशास्त्री पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में सूर्य सबसे प्रमुख ग्रह माना गया है, उसके पश्चात चंद्रमा का भी बहुत बड़ा महत्व है. दैनिक जीवन में सूर्य नमस्कार और चंद्र नमस्कार जैसे आसनों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है. सूर्य नमस्कार करने पर शरीर के सारे अंगों की कसावट और मजबूती प्राप्त होती है. इसी तरह चंद्र नमस्कार के आसनों से भी संपूर्ण शरीर को बल और प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि के संकेत सामने आते हैं.
इसी तरह शरीर में 10 तरह की वायु बहती है. इस वायु को नियंत्रित करने के लिए प्राणायाम बहुत ही हितकारी माना गया है. प्राणायाम का नियमित अभ्यास कोरोना से हमें बचाता है. गुरु प्रधान हल्दी शनि प्रधान चिरायता आदि तत्वों का उचित सेवन करने पर कोरोना पर नियंत्रण पाया जा सकता है. इनका जीवन में अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए. नया सनातन वर्ष प्रारंभ होने के पश्चात धीरे-धीरे यह लहर कमजोर होती चली जाएगी. नूतन सनातन वर्ष 2 अप्रैल 2022 शनिवार से प्रारंभ हो रहा है. 2022 अंग्रेजी वर्ग का भी प्रारंभ शनिवार के दिन से ही हुआ था.
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योगा और आसन से मिल सकती है कोरोना से मुक्ति
इन तथ्यों में शनि ग्रह बहुत ही महत्वपूर्ण है. वह 29 अप्रैल को अपने मूल त्रिकोण अर्थात कुंभ राशि में आएगा. यह ज्योतिषीय दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण घटना है. शनि ग्रह एक मंदचारी ग्रह है. यह ढाई वर्ष में अपना स्थान बदलता है. इसलिए यह बीमारी काफी लंबे समय बाद ही पूरी तरह से समाप्त हो पाएगी. वास्तव में हमारा गलत खान-पान, अनियमित दिनचर्या, व्यायाम का अभाव, योगासनों से दूरी और सात्विक दिनचर्या के अभाव रहने के कारण ही यह बीमारी प्रवेश करती है.
हमें अपने जीवन में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले आहार-विहार, योगासन, वर्जित अभ्यंग का अभ्यास करना चाहिए. शनि शासित सरसों, अलसी या तिल के तेल से शरीर की नियमित मालिश की जानी चाहिए. इस मालिश को ही अभ्यंग कहा जाता है. स्नान करने के पूर्व सूर्य की उपस्थिति में शनि प्रधान तेलों से सूर्य स्नान करने पर शरीर को निश्चित तौर पर लाभ मिलता है.
सूर्य की उपस्थिति में स्नान करें कोरोना ग्रसित जातक
संपूर्ण जीवन नवग्रह से संचालित होते हैं. सूर्य और चंद्रमा का प्रत्यक्ष और प्रमाणित लाभ हमें दिखाई पड़ता है. सूर्य की उपस्थिति में रहने से विटामिन डी, नस-नाड़ियों का जागरण, नस-नाड़ियों का शोधन, आत्मा बल में वृद्धि, मानसिक दशा में सुंदर परिवर्तन होना, इसके प्रमाण माने जाते हैं.