रायपुर : आमतौर पर कान-नाक और गले में इंफेक्शन या बीमारी लंबे समय तक रहती है. अनदेखी करने पर ये बीमारियां किसी के भी लिए घातक साबित हो सकती हैं. कान-नाक और गला शरीर का काफी संवेदनशील हिस्सा माना जाता है. ये अंग एक-दूसरे से संबंधित हैं. जब भी कोई परेशानी कान या नाक में होती है तो उसका असर गले पर भी देखने को मिलता है. नाक और गला शरीर के एंट्री प्वाइंट हैं. कान, नाक और गले की समस्या के लिए प्रदूषण एक बड़ा कारण है. खराब लाइफ स्टाइल के चलते भी लोगों कान-नाक और गले में परेशानी होती है. आइए जानते हैं कान-नाक और गले की बीमारियों के बारे में ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ राकेश गुप्ता क्या कहते हैं.
साइनस की गंभीर समस्या और समाधान
नाक में प्रदूषण या इंफेक्शन के कारण साइनस की बीमारी (sinus disease) होती है. कई बार यह बीमारी नाक की बनावट पर भी निर्भर करती है. इसे दवा से या फिर ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है. साइनस का ऑपरेशन करके 90 प्रतिशत मरीजों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.
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गले की बीमारियां और बचाव
ज्यादातर गले की बीमारियों से खान-पान सही रखकर बचा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि इंफेक्शन से बचा जाए. सही समय पर दवा और इसका उपचार कराया जाए. डॉक्टर बताते हैं कि गले की बीमारी अलग-अलग तरह की होती है. इसमें कैंसर का भी खतरा रहता है. वर्तमान समय में बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू और गुटका के सेवन से भी कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए.