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health and wellness : गर्मी का मौसम शुरू, जानिए नाक-कान और गले से जुड़ी बीमारियों के लक्षण और बचाव के तरीके

गर्मियां आते ही नाक-कान और गले से जुड़ी बीमारियों में इजाफा हो जाता है. इनसे बचाव के लिए इसके लक्षण और बचाव का तरीका जानना बेहद जरूरी है.

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नाक,कान और गले से जुड़ी बीमारियां
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Published : Mar 12, 2022, 8:29 PM IST

Updated : Mar 13, 2022, 8:06 PM IST

रायपुर : आमतौर पर कान-नाक और गले में इंफेक्शन या बीमारी लंबे समय तक रहती है. अनदेखी करने पर ये बीमारियां किसी के भी लिए घातक साबित हो सकती हैं. कान-नाक और गला शरीर का काफी संवेदनशील हिस्सा माना जाता है. ये अंग एक-दूसरे से संबंधित हैं. जब भी कोई परेशानी कान या नाक में होती है तो उसका असर गले पर भी देखने को मिलता है. नाक और गला शरीर के एंट्री प्वाइंट हैं. कान, नाक और गले की समस्या के लिए प्रदूषण एक बड़ा कारण है. खराब लाइफ स्टाइल के चलते भी लोगों कान-नाक और गले में परेशानी होती है. आइए जानते हैं कान-नाक और गले की बीमारियों के बारे में ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ राकेश गुप्ता क्या कहते हैं.

नाक,कान और गले से जुड़ी बीमारियां
ENT स्पेशलिस्ट डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि कान नाक और गले की बीमारियां (ear throat diseases) आपस में जुड़ी हुई होती हैं. मुख्य रूप से मरीज कान से संबंधित बीमारी को लेकर डॉक्टर के पास आता है. बीमारी में सुनने की क्षमता कम होती है. मरीज के कान से पानी या मवाद बहने की समस्या देखने को मिलती है. यह इंफेक्शन के कारण होता है. 1000 लोगों में लगभग 10 प्रतिशत लोगों को इस तरह की समस्याएं हैं. इसके लिए इलाज के तौर सर्जरी का सहारा लिया जाता है.ये भी पढ़ें-कोरिया में गरीबों को निगम ने भेजा घर से बेदखली का नोटिस, अटल आवास की किस्त के नाम पर मांगे 30 हजार अधिक उम्र के कारण सुनने की क्षमता प्रभावितकई बार अधिक उम्र या फिर उम्रदराज होने के कारण सुनने की क्षमता कमजोर हो जाती है. कई लोगों को दवा के रिएक्शन के कारण भी बीमारी होती है. ऐसे में सर्जरी या फिर श्रवण यंत्र लगाने की सलाह दी जाती है. जो बच्चे जन्मजात बहरेपन (congenital deafness) के शिकार होते हैं, ऐसे बच्चों की परेशानी का जल्द पता लगाकर उनके कानों में कम उम्र में ही श्रवण यंत्र (hearing aids) फिट करके या फिर ऑपरेशन करके इस समस्या से निजात मिल सकती है.

साइनस की गंभीर समस्या और समाधान
नाक में प्रदूषण या इंफेक्शन के कारण साइनस की बीमारी (sinus disease) होती है. कई बार यह बीमारी नाक की बनावट पर भी निर्भर करती है. इसे दवा से या फिर ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है. साइनस का ऑपरेशन करके 90 प्रतिशत मरीजों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें-नवा रायपुर में मृत किसान का शव रखकर प्रदर्शन, लखीमपुरखीरी की तरह मुआवजा देने की मांग

गले की बीमारियां और बचाव
ज्यादातर गले की बीमारियों से खान-पान सही रखकर बचा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि इंफेक्शन से बचा जाए. सही समय पर दवा और इसका उपचार कराया जाए. डॉक्टर बताते हैं कि गले की बीमारी अलग-अलग तरह की होती है. इसमें कैंसर का भी खतरा रहता है. वर्तमान समय में बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू और गुटका के सेवन से भी कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए.

रायपुर : आमतौर पर कान-नाक और गले में इंफेक्शन या बीमारी लंबे समय तक रहती है. अनदेखी करने पर ये बीमारियां किसी के भी लिए घातक साबित हो सकती हैं. कान-नाक और गला शरीर का काफी संवेदनशील हिस्सा माना जाता है. ये अंग एक-दूसरे से संबंधित हैं. जब भी कोई परेशानी कान या नाक में होती है तो उसका असर गले पर भी देखने को मिलता है. नाक और गला शरीर के एंट्री प्वाइंट हैं. कान, नाक और गले की समस्या के लिए प्रदूषण एक बड़ा कारण है. खराब लाइफ स्टाइल के चलते भी लोगों कान-नाक और गले में परेशानी होती है. आइए जानते हैं कान-नाक और गले की बीमारियों के बारे में ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ राकेश गुप्ता क्या कहते हैं.

नाक,कान और गले से जुड़ी बीमारियां
ENT स्पेशलिस्ट डॉ राकेश गुप्ता ने बताया कि कान नाक और गले की बीमारियां (ear throat diseases) आपस में जुड़ी हुई होती हैं. मुख्य रूप से मरीज कान से संबंधित बीमारी को लेकर डॉक्टर के पास आता है. बीमारी में सुनने की क्षमता कम होती है. मरीज के कान से पानी या मवाद बहने की समस्या देखने को मिलती है. यह इंफेक्शन के कारण होता है. 1000 लोगों में लगभग 10 प्रतिशत लोगों को इस तरह की समस्याएं हैं. इसके लिए इलाज के तौर सर्जरी का सहारा लिया जाता है.ये भी पढ़ें-कोरिया में गरीबों को निगम ने भेजा घर से बेदखली का नोटिस, अटल आवास की किस्त के नाम पर मांगे 30 हजार अधिक उम्र के कारण सुनने की क्षमता प्रभावितकई बार अधिक उम्र या फिर उम्रदराज होने के कारण सुनने की क्षमता कमजोर हो जाती है. कई लोगों को दवा के रिएक्शन के कारण भी बीमारी होती है. ऐसे में सर्जरी या फिर श्रवण यंत्र लगाने की सलाह दी जाती है. जो बच्चे जन्मजात बहरेपन (congenital deafness) के शिकार होते हैं, ऐसे बच्चों की परेशानी का जल्द पता लगाकर उनके कानों में कम उम्र में ही श्रवण यंत्र (hearing aids) फिट करके या फिर ऑपरेशन करके इस समस्या से निजात मिल सकती है.

साइनस की गंभीर समस्या और समाधान
नाक में प्रदूषण या इंफेक्शन के कारण साइनस की बीमारी (sinus disease) होती है. कई बार यह बीमारी नाक की बनावट पर भी निर्भर करती है. इसे दवा से या फिर ऑपरेशन से ठीक किया जा सकता है. साइनस का ऑपरेशन करके 90 प्रतिशत मरीजों को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है.

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गले की बीमारियां और बचाव
ज्यादातर गले की बीमारियों से खान-पान सही रखकर बचा जा सकता है. इसके लिए जरूरी है कि इंफेक्शन से बचा जाए. सही समय पर दवा और इसका उपचार कराया जाए. डॉक्टर बताते हैं कि गले की बीमारी अलग-अलग तरह की होती है. इसमें कैंसर का भी खतरा रहता है. वर्तमान समय में बीड़ी, सिगरेट, तंबाकू और गुटका के सेवन से भी कैंसर की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में इन चीजों के सेवन से बचना चाहिए.

Last Updated : Mar 13, 2022, 8:06 PM IST
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