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Hareli Tihar Chhattisgarh: परंपराओं को सहेजने की कोशिश है हरेली तिहार - Hareli Tihar Chhattisgarh

Features of Hareli Tihar: छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार के साथ त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है. हरेली के दिन किसान अपने कृषि यंत्रों और पशुधन की पूजा करते हैं. गेड़ी नृत्य होता है. जो अब लुप्त होता जा रहा है. (Gedi Tihar Chhattisgarh)

hareli tihar kab hai
हरेली त्यौहार कब है 2022
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Published : Jul 26, 2022, 6:59 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार को गेड़ी तिहार के नाम से भी जाना जाता है. गेड़ी बांस से बना होता है. जिसका आनंद बच्चों के साथ-साथ बड़े भी लेते हैं. इस दिन किसान खेत के कामों से फुर्सत होकर खेलों का मजा लेते हैं. बड़े गेड़ी पर चढ़ कर एक दूसरे को गिराने की कोशिश करते हैं. जो पहले नीचे गिर जाता है वो हार जाता है. गेड़ी रेस भी बच्चों में बहुत लोकप्रिय है. गेड़ी के साथ ही बड़ों के लिए नारियल फेंक का भी खेल खेला जाता है. (hareli tihar kab hai )

छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार पर स्कूलों में होगा गेड़ी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन

कैसे मनाते हैं हरेली: हरेली इंसानों और प्रकृति के बीच के आपसी रिश्ते को दर्शाता है. यही वो समय होता है जब कृषि कार्य अपने चरम पर होता है. धान रोपाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य को पूरा कर लेते हैं. हरेली सावन महीने की पहली अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन किसान अपने पशुओं को औषधि खिलाते हैं. जिससे वो स्वस्थ रहें और उनका खेती का कार्य अच्छे से हो सके. हरेली के पहले ही किसान बोआई, बियासी का काम पूरा कर पशुओं के साथ आराम करते हैं. छत्तीसगढ़ और यहां का गरियाबंद जिला अपने लोकपर्व के साथ लोक व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है. छत्तीसगढ़ में हरेली के लिए भी कुछ खास व्यंजन पकाए जाते हैं. गुड़ के चीले, ठेठरी, खुरमी और गुलगुला भजिया जैसे व्यंजन बनते हैं.

हरेली तिहार से गौमूत्र खरीदेगी छत्तीसगढ़ सरकार

गेड़ी खेलने की परंपरा: हरेली के दिन सबसे ज्यादा मौज-मस्ती बच्चे करते हैं. बच्चों को साल भर से उस दिन का इंतजार रहता है. जब घर के बड़े बुजुर्ग उन्हें बांस की बनी गेड़िया बनाकर देते हैं. कई फीट ऊंची गेड़ियों पर चढ़कर बच्चे अपनी लड़खड़ाते चाल में पूरे गांव का चक्कर लगाते हैं. मौज मस्ती करते हैं. बड़े बच्चों को देखकर छोटे बच्चे भी उनके साथ गेड़िया चलना सीखते हैं. इस तरह यह परंपरा अगली पीढ़ी तक पहुंचती है. गांव के बड़े बुजुर्ग बच्चों को इस दिन प्रकृति की हरियाली का महत्व बताते हैं. पेड़ पौधों को हमेशा अपने आसपास बनाए रखने की शिक्षा देते हैं.

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार को गेड़ी तिहार के नाम से भी जाना जाता है. गेड़ी बांस से बना होता है. जिसका आनंद बच्चों के साथ-साथ बड़े भी लेते हैं. इस दिन किसान खेत के कामों से फुर्सत होकर खेलों का मजा लेते हैं. बड़े गेड़ी पर चढ़ कर एक दूसरे को गिराने की कोशिश करते हैं. जो पहले नीचे गिर जाता है वो हार जाता है. गेड़ी रेस भी बच्चों में बहुत लोकप्रिय है. गेड़ी के साथ ही बड़ों के लिए नारियल फेंक का भी खेल खेला जाता है. (hareli tihar kab hai )

छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार पर स्कूलों में होगा गेड़ी नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन

कैसे मनाते हैं हरेली: हरेली इंसानों और प्रकृति के बीच के आपसी रिश्ते को दर्शाता है. यही वो समय होता है जब कृषि कार्य अपने चरम पर होता है. धान रोपाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य को पूरा कर लेते हैं. हरेली सावन महीने की पहली अमावस्या को मनाया जाता है. इस दिन किसान अपने पशुओं को औषधि खिलाते हैं. जिससे वो स्वस्थ रहें और उनका खेती का कार्य अच्छे से हो सके. हरेली के पहले ही किसान बोआई, बियासी का काम पूरा कर पशुओं के साथ आराम करते हैं. छत्तीसगढ़ और यहां का गरियाबंद जिला अपने लोकपर्व के साथ लोक व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है. छत्तीसगढ़ में हरेली के लिए भी कुछ खास व्यंजन पकाए जाते हैं. गुड़ के चीले, ठेठरी, खुरमी और गुलगुला भजिया जैसे व्यंजन बनते हैं.

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गेड़ी खेलने की परंपरा: हरेली के दिन सबसे ज्यादा मौज-मस्ती बच्चे करते हैं. बच्चों को साल भर से उस दिन का इंतजार रहता है. जब घर के बड़े बुजुर्ग उन्हें बांस की बनी गेड़िया बनाकर देते हैं. कई फीट ऊंची गेड़ियों पर चढ़कर बच्चे अपनी लड़खड़ाते चाल में पूरे गांव का चक्कर लगाते हैं. मौज मस्ती करते हैं. बड़े बच्चों को देखकर छोटे बच्चे भी उनके साथ गेड़िया चलना सीखते हैं. इस तरह यह परंपरा अगली पीढ़ी तक पहुंचती है. गांव के बड़े बुजुर्ग बच्चों को इस दिन प्रकृति की हरियाली का महत्व बताते हैं. पेड़ पौधों को हमेशा अपने आसपास बनाए रखने की शिक्षा देते हैं.

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