रायपुर: प्रदेश की राजधानी रायपुर में बीते 25 दिनों से दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं. प्रदर्शनकारियों ने भूपेश सरकार को एक चुनावी ऑफर दिया है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर उन्हें स्थायी और नियमित करती है तो अगले चुनाव में वे उन्हें ही सीएम बनाएंगे. उनके इलाके का हर वोट कांग्रेस सरकार को ही जाएगा. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों ने नियमितीकरण नहीं करने पर इच्छा मृत्यु का आदेश देने की मांग भी सरकार से की है. protest of daily wage workers
आजीवन कांग्रेस की सदस्यता लेने का वादा: कोरबा की दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ की कार्यकारिणी सदस्य बिंदेश्वरी वैष्णव का कहना है कि "सरकार अगर दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी साथियों का स्थायीकरण और नियमितीकरण करती है तो पूरे प्रदेश भर के लगभग 6500 दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे. इसके अलावा आने वाले साल 2023 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में वोट कर भूपेश बघेल को ही सीएम बनवाएंगे. सरकार बजट नहीं होने की बात कह रही है लेकिन छत्तीसगढ़ में अपार खनिज संपदा है. सभी तरह के टैक्स भी सरकार वसूल रही है. इन पैसों से बजट की कमी को दूर किया जा सकता है. " Daily wage workers promised
4 साल बाद भी वादा नहीं हुआ पूरा: दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी अपनी 2 सूत्रीय मांग स्थायीकरण और नियमितीकरण की मांग को लेकर 20 अगस्त से प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. हड़ताल कर रहे दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ का कहना है कि "कांग्रेस सरकार बनने के पहले प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गंगाजल की सौगंध खाकर कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनने के 10 दिनों के भीतर प्रदेश के अनियमित दैनिक वेतन भोगी और संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा लेकिन आज सरकार को बने लगभग 4 साल पूरे होने को है बावजूद इसके स्थायीकरण और नियमितीकरण की मांग पूरी नहीं हो पाई."
रायपुर में अनियमित कर्मियों का अर्धनग्न प्रदर्शन, भूपेश सरकार के खिलाफ लगाए नारे
इच्छामृत्यु दें सरकार: नियमितकरण नहीं तो इच्छा मृत्यु ही दें दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ नारायणपुर की जिला अध्यक्ष प्रियंका शुक्ला का कहना है कि "पिछले 25 दिनों से अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदेश व्यापी अनिश्चितकालीन आंदोलन कर रहे हैं. बावजूद इसके शासन प्रशासन के कोई भी अधिकारी हमारी सुध नहीं ले रहा हैं. ऐसे में सरकार हमें इच्छा मृत्यु का आदेश दे दें जिससे सभी दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी साथी अपना देह त्याग दें. अपना घर परिवार छोड़कर पिछले 25 दिनों से धरना स्थल पर भूखे प्यासे बैठकर अपनी मांग को पूरा करने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे हैं लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा है. " Demand for euthanasia from Bhupesh baghel
सरकार से बहुत उम्मीद: राजनादगांव की दैनिक वेतन वन कर्मचारी संघ की सदस्य महिला कर्मचारी चेमन साहू का कहना है कि "वर्तमान समय में महंगाई भी बढ़ गई है और ऐसे में 9000 रुपए में अपना और अपना परिवार का पालन पोषण कैसे करेंगे. परिवार चलाना काफी मुश्किल है. उधारी और कर्ज लेकर परिवार का पालन पोषण करना पड़ रहा है. सरकार से यही उम्मीद लगाकर बैठे हैं कि सरकार आज नहीं तो कल दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की पुकार और गुहार को जरूर सुनेगी. जो हमारी स्थायीकरण और नियमितीकरण करेगी हम उन्हीं को आने वाले चुनाव में जिताएंगे.
रायपुर में अनियमित कर्मचारियों की बढ़ी मुसीबत, धरना स्थल पर चोरी की घटनाएं
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ दुर्ग के संभाग अध्यक्ष हारून मानिकपुरी ने बताया कि "पिछले 25 दिनों से सरकार के तमाम मंत्री और संसदीय सचिव से अपनी मांग को लेकर बात कर चुके हैं. अनुशंसा पत्र भी मुख्यमंत्री को भेजा जा चुका है. बावजूद इसके सरकार ने इस दिशा में अब तक कोई सकारात्मक पहल नहीं की है. जिसके कारण दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों को सड़क पर उतर कर लड़ाई लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. "
दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग: वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग जिसमें पहला मांग स्थायीकरण और दूसरा मांग नियमितीकरण का है इन कर्मचारियों का कहना है कि जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं उन्हें स्थाई किया जाए और जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए । पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं और इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हज़ार रुपये ही वेतन मिलता है, जो वन विभाग में वाहन चालक कंप्युटर ऑपरेटर रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम देखते हैं.