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युवाओं में बढ़ रहा चिड़चिड़ापन और सुसाइड टेंडेंसी, जानिए वजह

corona side effect in youth: पिछले 2 सालों में कोविड की वजह से सभी की दिनचर्या में काफी बदलाव हुए हैं. यही वजह है कि घरों में युवाओं और पेरेंट्स के बीच चिड़चिड़ापन और टकराव बढ़ गया है. आखिर किस तरह अपनी आदतों को सही किया जा सकता है और चिड़चिड़ापन, टकराव से बचा जा सकता है. आइये जानते हैं...

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युवाओं में बढ़ रहा चिड़चिड़ापन और सुसाइड टेंडेंसी
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Published : Feb 4, 2022, 2:20 PM IST

Updated : Feb 4, 2022, 4:37 PM IST

रायपुर: कोरोना काल में न सिर्फ युवा बल्कि बच्चे, बुजुर्ग, महिला सभी की दिनचर्या चेंज हुई है. सबसे ज्यादा परेशानी तो छोटे बच्चों को हुई है. महिलाओं पर भी काफी प्रेशर पड़ा है. पहले बच्चा स्कूल या बाहर खेलने चला जाता था. पति ऑफिस चले जाते थे तो घर में काम थोड़ा कम रहता था, लेकिन वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन स्टडी के वजह से सभी लोग घर में हैं. इस वजह से महिलाओं पर भी मेंटल प्रेशर काफी बड़ा है.

युवाओं में बढ़ रहा चिड़चिड़ापन और सुसाइड टेंडेंसी

(corona side effect in youth) युवा वर्ग पहले अपनी ज्यादातर एनर्जी बाहर इन्वेस्ट करता था. यानी घूमना-फिरना, दोस्तों से मिलना, उनसे बातें शेयर करना. कोरोना काल की वजह से घर में रहने से युवा की एनर्जी प्रॉपर खर्च नहीं हो पा रही है. घर वालों से भी वह ज्यादा बातचीत नहीं कर पाते हैं, क्योंकि एक जनरेशन गैप होता है. युवा अपनी सारी बातें अपने माता-पिता को नहीं बताते. मोबाइल का इस्तेमाल भी युवाओं में काफी बढ़ा है. फोन पर भी युवा अपनी सारी बातें शेयर नहीं कर सकते. कहीं ना कहीं वह पूरी एनर्जी और फ्रस्टेशन स्टोर रहता है. यही वजह है कि छोटी-छोटी बातों पर युवा चिड़ने लगे हैं.

जेनरेशन गैप भी बन रहा टकराव की वजह

युवाओं की शिकायत रहती है कि पेरेंट्स उनकी सोच को नहीं समझ सकते. पहले युवा अपने दोस्तों से बातचीत कर अपनी सोच शेयर करते थे. इस वजह से उनमें चिड़चिड़ापन या अग्रेसिव बिहेवियर देखने को नहीं मिलता था. लेकिन आज घर में रहने की वजह से कहीं ना कहीं वह अपने दोस्तों से कट गए हैं. वह अपनी सारी बातें अपने पेरेंट्स से शेयर नहीं कर सकते. इस वजह से उनमें फ्रस्टेशन देखने को मिलता है. पेरेंट्स के स्ट्रिक्ट बिहेवियर की वजह से भी दिक्कत होती है. पैरेंट्स अपने बच्चों से दोस्ती करने में कतराते हैं. अगर जब पूरा परिवार एक साथ है तो एक दूसरे से बात करें, घुल-मिल कर रहें तो इस तरह की समस्या देखने को नहीं मिलेगी.

Corona Side Effect in Children: स्कूली बच्चों के मानसिक स्तर पर आया बदलाव और चिड़चिड़ापन

कई बच्चों और युवाओं में देखने मिली सुसाइड टेंडेंसी

साइकोलॉजिस्ट डॉ जे सी अजवानी ने बताया कि पिछले 2 सालों में स्पेशली कोविड की दूसरी लहर के दौरान बच्चों में फ्रस्टेशन और चिड़चिड़ापन ज्यादा देखने को मिला. कई बच्चे काउंसलिंग के लिए भी आए, जिनमें सुसाइड टेंडेंसी भी देखने को मिल रही थी. हालांकि बाद में वह ठीक हो गए. कोरोना की तीसरी लहर में इस तरह के केसेस देखने को कम मिल रहे हैं. लेकिन कुछ ऐसे बच्चे हैं, जिनमें आगे जाकर ऐसी चीजें देखने को मिल सकती है. ऐसे में पूरे परिवार को बस बच्चों के साथ खड़े रहने की जरूरत है. पेरेंट्स के साथ-साथ साइकैटरिस्ट और साइकोलॉजिस्ट दोनों को ज्यादा से ज्यादा सेमिनार करना चाहिए ताकि जिन बच्चों में ऐसी सोच पनप रही है, उसको दूर किया जा सके.

बच्चे और पेरेंट्स में जेनरेशन गैप कैसे खत्म करें

साइकोलॉजिस्ट डॉ जे सी अजवानी के मुताबिक युवाओ को अपने दिल की बातें अपने परिवार से करनी चाहिए. कोई भी समस्या आती है तो उसे परिवार से बात करके सुलझाना चाहिए. पेरेंट्स की इसमें अहम भूमिका रहती है. पेरेंट्स को घर में एक दोस्ती का माहौल बनाना है, क्योंकि युवाओं में एनर्जी ज्यादा रहती है. वह ज्यादा एक्टिव रहते हैं. ऐसे में अगर पेरेंट्स उनके दोस्त बन जाएं तो युवा अपनी सारी बातें अपने पेरेंट्स से शेयर करेंगे और घर में टकराव की स्थिति पैदा नहीं होगी.

रायपुर: कोरोना काल में न सिर्फ युवा बल्कि बच्चे, बुजुर्ग, महिला सभी की दिनचर्या चेंज हुई है. सबसे ज्यादा परेशानी तो छोटे बच्चों को हुई है. महिलाओं पर भी काफी प्रेशर पड़ा है. पहले बच्चा स्कूल या बाहर खेलने चला जाता था. पति ऑफिस चले जाते थे तो घर में काम थोड़ा कम रहता था, लेकिन वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन स्टडी के वजह से सभी लोग घर में हैं. इस वजह से महिलाओं पर भी मेंटल प्रेशर काफी बड़ा है.

युवाओं में बढ़ रहा चिड़चिड़ापन और सुसाइड टेंडेंसी

(corona side effect in youth) युवा वर्ग पहले अपनी ज्यादातर एनर्जी बाहर इन्वेस्ट करता था. यानी घूमना-फिरना, दोस्तों से मिलना, उनसे बातें शेयर करना. कोरोना काल की वजह से घर में रहने से युवा की एनर्जी प्रॉपर खर्च नहीं हो पा रही है. घर वालों से भी वह ज्यादा बातचीत नहीं कर पाते हैं, क्योंकि एक जनरेशन गैप होता है. युवा अपनी सारी बातें अपने माता-पिता को नहीं बताते. मोबाइल का इस्तेमाल भी युवाओं में काफी बढ़ा है. फोन पर भी युवा अपनी सारी बातें शेयर नहीं कर सकते. कहीं ना कहीं वह पूरी एनर्जी और फ्रस्टेशन स्टोर रहता है. यही वजह है कि छोटी-छोटी बातों पर युवा चिड़ने लगे हैं.

जेनरेशन गैप भी बन रहा टकराव की वजह

युवाओं की शिकायत रहती है कि पेरेंट्स उनकी सोच को नहीं समझ सकते. पहले युवा अपने दोस्तों से बातचीत कर अपनी सोच शेयर करते थे. इस वजह से उनमें चिड़चिड़ापन या अग्रेसिव बिहेवियर देखने को नहीं मिलता था. लेकिन आज घर में रहने की वजह से कहीं ना कहीं वह अपने दोस्तों से कट गए हैं. वह अपनी सारी बातें अपने पेरेंट्स से शेयर नहीं कर सकते. इस वजह से उनमें फ्रस्टेशन देखने को मिलता है. पेरेंट्स के स्ट्रिक्ट बिहेवियर की वजह से भी दिक्कत होती है. पैरेंट्स अपने बच्चों से दोस्ती करने में कतराते हैं. अगर जब पूरा परिवार एक साथ है तो एक दूसरे से बात करें, घुल-मिल कर रहें तो इस तरह की समस्या देखने को नहीं मिलेगी.

Corona Side Effect in Children: स्कूली बच्चों के मानसिक स्तर पर आया बदलाव और चिड़चिड़ापन

कई बच्चों और युवाओं में देखने मिली सुसाइड टेंडेंसी

साइकोलॉजिस्ट डॉ जे सी अजवानी ने बताया कि पिछले 2 सालों में स्पेशली कोविड की दूसरी लहर के दौरान बच्चों में फ्रस्टेशन और चिड़चिड़ापन ज्यादा देखने को मिला. कई बच्चे काउंसलिंग के लिए भी आए, जिनमें सुसाइड टेंडेंसी भी देखने को मिल रही थी. हालांकि बाद में वह ठीक हो गए. कोरोना की तीसरी लहर में इस तरह के केसेस देखने को कम मिल रहे हैं. लेकिन कुछ ऐसे बच्चे हैं, जिनमें आगे जाकर ऐसी चीजें देखने को मिल सकती है. ऐसे में पूरे परिवार को बस बच्चों के साथ खड़े रहने की जरूरत है. पेरेंट्स के साथ-साथ साइकैटरिस्ट और साइकोलॉजिस्ट दोनों को ज्यादा से ज्यादा सेमिनार करना चाहिए ताकि जिन बच्चों में ऐसी सोच पनप रही है, उसको दूर किया जा सके.

बच्चे और पेरेंट्स में जेनरेशन गैप कैसे खत्म करें

साइकोलॉजिस्ट डॉ जे सी अजवानी के मुताबिक युवाओ को अपने दिल की बातें अपने परिवार से करनी चाहिए. कोई भी समस्या आती है तो उसे परिवार से बात करके सुलझाना चाहिए. पेरेंट्स की इसमें अहम भूमिका रहती है. पेरेंट्स को घर में एक दोस्ती का माहौल बनाना है, क्योंकि युवाओं में एनर्जी ज्यादा रहती है. वह ज्यादा एक्टिव रहते हैं. ऐसे में अगर पेरेंट्स उनके दोस्त बन जाएं तो युवा अपनी सारी बातें अपने पेरेंट्स से शेयर करेंगे और घर में टकराव की स्थिति पैदा नहीं होगी.

Last Updated : Feb 4, 2022, 4:37 PM IST
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