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जानिए क्या है गोधन न्याय योजना, जिसका जिक्र प्रियंका गांधी ने यूपी चुनाव के घोषणापत्र में किया - क्या है गोधन न्याय योजना

यूपी चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी हो चुका है. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में यूपी में गोधन न्याय योजना (Godhan Nyay Yojana )लागू करने की बात कही है.

Congress manifesto for UP elections 2022
यूपी चुनावों में गोधन न्याय योजना
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Published : Feb 9, 2022, 3:40 PM IST

रायपुर: यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी (Congress manifesto for UP elections 2022 ) कर दिया है. इस घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ के गोधन न्याय योजना का भी जिक्र है. कांग्रेस महासचिव ने घोषणापत्र जारी करने के दौरान कहा कि यूपी में भी गोधन न्याय योजना की शुरुआत की जाएगी. आइए आपको बताते हैं कि गोधन न्याय योजना क्या है.

गोधन न्याय योजना (What is Godhan Nyay Yojana )

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में 20 जुलाई 2020 से छत्तीसगढ़ में गोबर को गोधन बनाने की दिशा में कदम उठाते हुये गोधन न्याय योजना लागू की गई. इस योजना के तहत पशुपालकों से गोबर खरीदी करके गौठानों में वर्मी कंपोस्ट और दूसरे उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है.

गौठानों के जरिए योजना का संचालन

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का संचालन सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में निर्मित गौठानों के जरिए किया जा रहा है. गौठानों में पशुओं के चारे और स्वास्थ्य की देखभाल के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं. इन्हीं गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट टंकियों का निर्माण किया गया है. जिनमें स्व सहायता समूहों की महिलाएं जैविक खाद का निर्माण कर रही हैं.

गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ के गोधन न्याय योजना की झांकी

गौठान समितियों के जरिए गोबर खरीदी

गोबर की खरीदी गौठान समितियों के माध्यम से 2 रुपए किलो की दर से की जाती है. अब तक गोबर विक्रेता किसानों, पशुपालकों और संग्राहकों को कई किस्तों में राशि का भुगतान किया जा चुका है. फिलहाल 7 हजार 841 स्व-सहायता समूह गौठान की गतिविधि संचालित कर रहे हैं. इन समूहों के लगभग 60 हजार सदस्यों को वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर से दीया निर्माण जैसी विभिन्न गतिविधियों से 942 लाख की आय मिल रही है. गौठान योजना के लिये साल 2021-22 के बजट में 175 करोड़ का प्रावधान रखा गया था.

जैविक खाद की बिक्री

स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित जैविक खाद के विक्रय के लिए छत्तीसगढ़ में 10 रुपए प्रति किलो की दर तय की गई है. राज्य में वन, उद्यानिकी, कृषि समेत सभी शासकीय विभागों द्वारा आवश्यकतानुसार स्व-सहायता समूहों से जैविक खाद की खरीद की जाती है. किसानों द्वारा भी जैविक खाद खरीदा जा रहा है. गोधन न्याय योजना से भूमिहीन कृषि श्रमिकों को भी नियमित आय हो रही है.

छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन से जैविक खेती और गौ-पालन को बढ़ावा, पशु पालकों को आर्थिक लाभ, रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो रहा है. सरकार की इस पहल को भारत सरकार और दूसरे राज्यों द्वारा भी सराहा जा रहा है.

गोधन न्याय योजना की प्रियंका गांधी ने की तारीफ

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना शुरू करने के बाद प्रियंका गांधी ने इसकी तारीफ की थी. शायद यही वजह है कि यूपी चुनावों में कांग्रेस के मेनिफेस्टो में इसे जगह दी गई है.

लोकसभा में भी हो चुकी है तारीफ

लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने भी छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना की थी. समिति ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि किसानों से मवेशियों के गोबर खरीद की ऐसी ही योजना पूरे देश के लिए शुरू की जानी चाहिए.

रायपुर: यूपी चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी (Congress manifesto for UP elections 2022 ) कर दिया है. इस घोषणापत्र में छत्तीसगढ़ के गोधन न्याय योजना का भी जिक्र है. कांग्रेस महासचिव ने घोषणापत्र जारी करने के दौरान कहा कि यूपी में भी गोधन न्याय योजना की शुरुआत की जाएगी. आइए आपको बताते हैं कि गोधन न्याय योजना क्या है.

गोधन न्याय योजना (What is Godhan Nyay Yojana )

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में 20 जुलाई 2020 से छत्तीसगढ़ में गोबर को गोधन बनाने की दिशा में कदम उठाते हुये गोधन न्याय योजना लागू की गई. इस योजना के तहत पशुपालकों से गोबर खरीदी करके गौठानों में वर्मी कंपोस्ट और दूसरे उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है.

गौठानों के जरिए योजना का संचालन

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना का संचालन सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में निर्मित गौठानों के जरिए किया जा रहा है. गौठानों में पशुओं के चारे और स्वास्थ्य की देखभाल के साथ-साथ रोजगारोन्मुखी गतिविधियां भी संचालित की जा रही हैं. इन्हीं गौठानों में गोधन न्याय योजना के तहत वर्मी कंपोस्ट टंकियों का निर्माण किया गया है. जिनमें स्व सहायता समूहों की महिलाएं जैविक खाद का निर्माण कर रही हैं.

गणतंत्र दिवस पर छत्तीसगढ़ के गोधन न्याय योजना की झांकी

गौठान समितियों के जरिए गोबर खरीदी

गोबर की खरीदी गौठान समितियों के माध्यम से 2 रुपए किलो की दर से की जाती है. अब तक गोबर विक्रेता किसानों, पशुपालकों और संग्राहकों को कई किस्तों में राशि का भुगतान किया जा चुका है. फिलहाल 7 हजार 841 स्व-सहायता समूह गौठान की गतिविधि संचालित कर रहे हैं. इन समूहों के लगभग 60 हजार सदस्यों को वर्मी खाद उत्पादन, सामुदायिक बाड़ी, गोबर से दीया निर्माण जैसी विभिन्न गतिविधियों से 942 लाख की आय मिल रही है. गौठान योजना के लिये साल 2021-22 के बजट में 175 करोड़ का प्रावधान रखा गया था.

जैविक खाद की बिक्री

स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित जैविक खाद के विक्रय के लिए छत्तीसगढ़ में 10 रुपए प्रति किलो की दर तय की गई है. राज्य में वन, उद्यानिकी, कृषि समेत सभी शासकीय विभागों द्वारा आवश्यकतानुसार स्व-सहायता समूहों से जैविक खाद की खरीद की जाती है. किसानों द्वारा भी जैविक खाद खरीदा जा रहा है. गोधन न्याय योजना से भूमिहीन कृषि श्रमिकों को भी नियमित आय हो रही है.

छत्तीसगढ़ शासन की गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन से जैविक खेती और गौ-पालन को बढ़ावा, पशु पालकों को आर्थिक लाभ, रोजगार के नये अवसरों का सृजन हो रहा है. सरकार की इस पहल को भारत सरकार और दूसरे राज्यों द्वारा भी सराहा जा रहा है.

गोधन न्याय योजना की प्रियंका गांधी ने की तारीफ

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना शुरू करने के बाद प्रियंका गांधी ने इसकी तारीफ की थी. शायद यही वजह है कि यूपी चुनावों में कांग्रेस के मेनिफेस्टो में इसे जगह दी गई है.

लोकसभा में भी हो चुकी है तारीफ

लोकसभा में कृषि मामलों की स्थायी समिति ने भी छत्तीसगढ़ की गोधन न्याय योजना की सराहना की थी. समिति ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया था कि किसानों से मवेशियों के गोबर खरीद की ऐसी ही योजना पूरे देश के लिए शुरू की जानी चाहिए.

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