रायपुर: कार्तिक पूर्णिमा पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खारून तट पर दीप जलाने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने महादेव घाट पर खारून नदी में डुबकी लगाई. सीएम भूपेश बघेल के साथ रायपुर पश्चिम के विधायक और संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, महापौर एजाज ढेबर और महंत रामसुंदर दास भी पहुंचे. स्नान के बाद मुख्यमंत्री ने दीपदान किया.
सीएम ने हटकेश्वर महादेव के किए दर्शन
स्नान करने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हटकेश्वर नाथ महादेव के दर्शन भी किए. उन्होंने कार्तिक पूर्णिमा की प्रदेशवासियों को बधाई दी. मुख्यमंत्री ने ठंड के मौसम में अलाव का भी आनंद लिया.
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सीएम ने सबसे पहले प्रदेशवासियों को पुन्नी मेले की बधाई दी. इसके बाद उन्होंने पुन्नी मेले से जुड़ी परपंरा को बताया. उन्होंने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा में 15 दिन तक सूर्योदय से पहले स्नान करने की परंपरा है. स्नान के बाद दीप जलाकर हटकेश्वरनाथ की पूजा अर्चना की जाती है. पुन्नी मेला के पर्व पर उन्होंने दीप जलाकर प्रदेश की खुशहाली की कामना की.
बचपन को किया याद
सीएम ने बीते दिनों को याद करते हुए कहा कि स्कूल-कॉलेज के जमाने में नदी और तालाबों में वे डुबकी लगाया करते थे. भले इस समय रोजाना डुबकी ना लगाएं, लेकिन पुराना अनुभव कहीं ना कहीं काम आता है.
हटकेश्वर मंदिर की मान्यता
हटकेश्वर नाथ महादेव मंदिर के बारे में ऐसी मान्यता है कि 600 साल पहले राजा ब्रह्म देव ने हटकेश्वर नाथ महादेव से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी. मन्नत पूरी होने पर 1428 में खारून नदी के किनारे कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ने अपनी प्रजा को भोज के लिए आमंत्रित किया. हवन-पूजन यज्ञ के बाद ग्रामीणों ने खेल-तमाशे का आनंद लेते हुए भोजन ग्रहण किया. इसके बाद से हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन राजा ग्रामीणों को आमंत्रित करते थे. कालांतर में यह परंपरा मेले के रूप में परिवर्तित हो गई, जिसे पुन्नी मेले के नाम से जाना गया.
मेले का होता है आयोजन
कार्तिक पूर्णिमा मेले का आयोजन सन् 1428 से हो रहा है, जहां पर आसपास के सैकड़ों गांवों से हजारों लोग मेला घूमने आते हैं. वे यहां पवित्र नदी में स्नान करने के साथ ही हटकेश्वर नाथ के मंदिर में दर्शन भी करते हैं. हालांकि इस साल कोरोना के कारण यहां आने वाले भक्तों की संख्या कम रहने कीस संभावना है. वहीं सरकार की गाइडलाइन का पालन करना भी अनिवार्य रहेगा. संक्रमण के डर के कारण कई लोग इस बार मेले में आने से बचेंगे.
माता पार्वती ने किया था कार्तिक स्नान
हटकेश्वरनाथ मंदिर के पुजारी सुरेश गोस्वामी ने बताया कि पुन्नी मेले का आयोजन सन 1428 से किया जा रहा है. यहां पर दूर-दूर के जिलों के लोग इस मेले में आते हैं, लेकिन इस बार कोरोना के चलते मेले में भीड़ कम देखने को मिलेगी. पुन्नी मेले के महत्व के बारे में उन्होंने बताया कि कार्तिक मास में माता गौरी ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए कार्तिक मास में एक महीने तक स्नान किया था, जिसके कारण भी कार्तिक महीने में नदियों में स्नान करने का महत्व है.
भगवान विष्णु की होती है पूजा
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी अर्पित करना लाभदायक होता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन घरों में तुलसी के पौधे के आगे दीपक जलाना और भगवान विष्णु की पूजा करने से लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती है. कार्तिक मास आरोग्य प्रदान करने वाला, रोगविनाशक, सद्बुद्धि प्रदान करने वाला और मां लक्ष्मी की साधना के लिए सर्वोत्तम है.