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सीएम भूपेश बघेल ने लोकवाणी के जरिए जनता को किया संबोधित, न्याय योजना पर की बात

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Published : Aug 9, 2020, 3:23 PM IST

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रेडियो वार्ता कार्यक्रम लोकवाणी की आज नौंवी कड़ी का प्रसारण हुआ. उन्होंने अगस्त क्रांति दिवस और विश्व आदिवासी दिवस का विशेषरूप से उल्लेख करते हुए इसके महत्व पर चर्चा की.

Chief Minister Bhupesh Baghel
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोकवाणी कार्यक्रम के जरिए जनता से मुखातिब हुए. इस मौके पर उन्होंने अगस्त क्रांति दिवस और विश्व आदिवासी दिवस का विशेषरूप से उल्लेख करते हुए इनके महत्व पर चर्चा की. उन्होंने प्रदेशवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं भी दीं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आज के ही दिन वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की घोषणा की और ‘करो या मरो’ का नारा दिया था. यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ साबित हुई थी. मुख्यमंत्री के इस कड़ी का विषय 'न्याय योजनाएं, नई दिशाएं' था.

पढ़ें-पीएम-किसान योजना : 8.5 करोड़ किसानों के खाते में ₹17,100 करोड़ भेजे गए

मुख्यमंत्री ने रेडियो श्रोताओं से राज्य सरकार के संकल्प को साझा करते हुए कहा कि 'मेरा मानना है कि हमारी आजादी की लड़ाई का हर दौर न्याय की लड़ाई का दौर था. भारत की आजादी ने न सिर्फ भारतीयों की जीवन में न्याय की शुरूआत की, बल्कि दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र की स्थापना और जन-जन के न्याय का रास्ता बनाया. भारत माता को फिरंगियों की गुलामी से मुक्त कराना ही न्याय की दिशा में सबसे बड़ी सोच और सबसे बड़ा प्रयास था. दुनिया ने देखा है कि किस प्रकार हमारा संविधान समाज के हर समुदाय को न्याय देने का आधार बना. आम जनता को समानता के अधिकार, अवसर और गरिमापूर्ण जीवन उपलब्ध कराने के सिद्धांत के आधार पर अन्याय की जंजीरों से मुक्ति दिलाई गई. आज जब कोरोना संकट की वजह से देश और दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में है तब ‘न्याय’ की यही अवधारणा संकटग्रस्त लोगों के जीवन का आधार बन गई है, जिससे लोगों की जेब में सीधे धन राशि जाए और जो ऋण के रूप में नहीं, बल्कि उन्हें सीधे मदद के रूप में हो. राहुल गांधी ने देश और दुनिया के विख्यात अर्थशास्त्रियों से विचार-विमर्श करते हुए ‘न्याय’ की इस अवधारणा को स्थापित किया और इसे जमीन पर उतारने का आह्वान किया. मुझे यह कहते हुए खुशी होती है कि छत्तीसगढ़ में हमने इस न्याय योजना के विविध आयामों पर कार्य करना और एक-एक कर उन्हें जमीन पर उतारना शुरू किया है.'

किसानों से किया वादा निभाया

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को 2500 रूपये प्रति क्विंटल की दर से तत्काल प्रभाव से भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. वर्षों से लंबित 17 लाख 82 हजार किसानों का 8 हजार 755 करोड़ रूपये कृषि ऋण माफ कर दिया गया. हमने 244 करोड़ रूपये का सिंचाई कर माफ कर दिया था. लोहंडीगुड़ा में 1 हजार 700 से अधिक आदिवासी किसानों की 4 हजार 200 एकड़ जमीन वापस कर दी. हमने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक को 2 हजार 500 रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ा कर 4000 रूपये प्रति मानक बोरा कर दिया.

31 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनांचल में रहने वाले लोगों को कोरोना संकट काल में राहत देने के लिए प्रदेश में 7 से बढ़कर 31 वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी -वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम-2006 एक मील का पत्थर था, लेकिन छत्तीसगढ़ में 12 वर्षों में इसकी जो उपेक्षा की गई वह किसी से छिपी नहीं है. निरस्त दावों का पहाड़ लगा दिया गया था. हमने न्याय को बहुत व्यापक रूप से समझा और पूर्व सरकार के निरस्त वन अधिकार पट्टों की समीक्षा का फैसला लिया. इस प्रकार अब बड़ी संख्या में व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पट्टे दिये जा रहे हैं.

जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की मुक्ति का निर्णय

सीएम ने कहा कि सामाजिक न्याय देने के लिए जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की मुक्ति का निर्णय लिया. झीरम घाटी में हुए हत्याकांड में शहीद परिवारों को न्याय दिलाने का फैसला लिया और इस फैसले को अंजाम तक पहुंचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस तरह हमने समाज के हर वर्ग को शोषण और अन्याय से मुक्त कराने की दिशा में कार्य किया है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरूआत

हमारी सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू करने की घोषणा की. हमारी मंशा थी कि किसानों को कर्ज से नहीं लादा जाये बल्कि उनकी जेब में नकद राशि डाली जाए. इस तरह सभी परिस्थितियों पर विचार करते हुए हमने सिर्फ धान ही नहीं बल्कि मक्का और गन्ना के किसानों को भी बेहतर दाम दिलाने की बड़ी सोच के साथ ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरू की. इसके माध्यम से धान, मक्का और गन्ना के 21 लाख से अधिक किसानों को 5 हजार 700 करोड़ रूपए का भुगतान उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से किया जाना है. हमने तय किया 5 हजार 700 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान 4 किस्तों में करेंगे,जिसकी पहली किस्त 1500 करोड़ 21 मई को किसानों के खाते में डाल दी गई है. 20 अगस्त को राजीव गांधी के जन्मदिन पर दूसरी किस्त की राशि भी किसानों के खाते में डाल दी जायेगी.

गोधन न्याय योजना

न्याय योजनाओं के क्रम में गोधन न्याय योजना को ग्रामीण जन-जीवन, लोक आस्था ही नहीं बल्कि सीधे आजीविका और समृद्धि का माध्यम बनाने का निर्णय लिया. सीएम ने कहा कि गोधन न्याय योजना को हमने छत्तीसगढ़ के हर गांव में गौठान बनाने की योजना के साथ जोड़ा है. किसानों से गोबर खरीदने की सरकारी दर 2 रूपये प्रति किलो तय की गई है. गौठानों को गोबर खरीदी के लिए सुविधा सम्पन्न बनाया जायेगा. गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी.प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति और लैम्प्स के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट को 8 रूपये प्रति किलो की दर से किसानों को बेचा जायेगा.

अल्पकालीन कृषि ऋण के अंतर्गत सामग्री घटक में जैविक खाद के रूप में वर्मी कम्पोस्ट शामिल करने का निर्णय लिया जा चुका है. अभी तक 5300 गौठान स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से लगभग 2800 गौठानों का निर्माण पूर्ण हो चुका है. गोधन न्याय योजना से गौ पालन, गौ सुरक्षा, खुली चराई पर रोक, जैविक खाद का उपयोग, इससे जमीन की उर्वरता और पवित्रता में वृद्धि, रसायन मुक्त खाद्यान्न के उत्पादन में तेजी, गोबर संग्रह में तेजी से स्वच्छता का विकास, जैसे अनेक लक्ष्य हासिल होंगे. संग्रहित गोबर से जैविक खाद के अलावा अन्य रसायन मुक्त उपयोगी सामग्रियों के निर्माण से ग्रामीण अंचल की विभिन्न प्रतिभाओं को नवाचार का अवसर मिलेगा.

किसान अर्थव्यवस्था के संचालक

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे किसान भाई, बहन तो अर्थव्यवस्था के संचालक हैं, संवाहक हैं, उन्हें बिना वजह ही अर्थव्यवस्था में बाधक कहकर बदनाम किया गया था. वे जानते हैं कि उन्हें मिली राशि समाज के अन्य वर्गों तक किस तरह पहुंचती है, इसलिए वे संग्रह नहीं करते बल्कि जरूरी चीजों पर खर्च करते हैं. किसानों, ग्रामीणों के पैसे से गांव के बहुत से काम-धंधे चलते हैं, हमारी इस सोच और विश्वास को देश के बड़े-बड़े विद्वानों, अर्थशास्त्रियों, स्वतंत्र संस्थाओं ने प्रमाणित किया है. जो लोग पहले किसानों पर, आदिवासियों पर, ग्रामीणों पर, हमारे किये जा रहे खर्च पर आश्चर्य जताते थे, वे अब इस बात पर आश्चर्य जता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था का यह मॉडल पहले क्यों नहीं सूझा था. अब तो यह प्रमाणित हो गया है कि गांवों से निकली राशि से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बचाया और बढ़ाया जा सकता है.

रोजगार की पहल से जरूरतमंदों को मिला न्याय

मुख्यमंत्री ने कहा है कि लॉकडाउन के दौर में जहां देश और दुनिया में बेरोजगारी भयंकर बढ़ी है. तालेबंदी के कारण अर्थव्यवस्था ध्वस्त है वहीं छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 की तुलना में जीएसटी का संग्रह 22 फीसदी बढ़ा है. 2019 की तुलना में भूमि का पंजीयन 17 प्रतिशत बढ़ा है. वाहनों की खरीदी अलग-अलग महीनों में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ी है. रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के समय कृषि और संबंधित कार्यों में तेजी बनी रही. लघु वनोपज संग्रह के लिए पारिश्रमिक देने का मामला हो या मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी भुगतान का, हर मामले में छत्तीसगढ़ आगे रहा है. कुपोषण मुक्ति, मलेरिया नियंत्रण, हाट बाजार में इलाज, कोरोना काल में लगभग 8 माह तक निशुल्क अनाज देने का इंतजाम, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी और उनको रोजगार प्रदान कर हर पहल से अलग-अलग तरह से न्याय मिला है.

कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं

मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता में प्रदेशवासियों को कोरोना संकट से आगाह करते हुए कहा कि कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है, इससे बचाव के लिए सावधानी और सतर्कता जरूरी है. कोविड-19 नियंत्रण के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में है, घर से निकलते समय फेस मास्क, फेस कवर, फेस शील्ड आदि जो संभव हो, वह साधन अपनाएं. फिजिकल दूरी का पालन करें, भीड़ से बचें, साबुन से हाथ धोए बिना घर से बाहर नहीं निकले, बचें और सुरक्षा के हर संभव उपाय करें.

बापू ने स्वतंत्रता संग्राम को दिया निर्णायक मोड़

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगस्त क्रांति दिवस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण प्रसंग है. द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों का साथ देने के बाद भी, जब अंग्रेजों ने आजादी देने में हील-हवाला किया, तब अहिंसा के पुजारी, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 9 अगस्त 1942 से न सिर्फ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की घोषणा की, बल्कि 'करो या मरो' का नारा भी दिया. 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई सत्र में बापू ने स्वतंत्रता संग्राम को निर्णायक मोड़ देते हुए कहा था-'भारत मानवता के इस विशाल सागर को संसार की मुक्ति के कार्य की ओर तब तक कैसे प्रेरित किया जा सकता है, जब तक कि उसे स्वयं स्वतंत्रता की अनुभूति नहीं हो जाती ? यदि भारत की आंखों की चमक को वापस लाना है, तो स्वतंत्रता को कल नहीं बल्कि आज ही आना होगा.' मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कुर्बानियों को याद करते हुए कहा कि हमारी आजादी की लड़ाई का हर दौर न्याय की लड़ाई का दौर था. इसने भारत की आजादी और दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र की स्थापना और जन-जन के न्याय का रास्ता बनाया.

हर एक के लिए न्याय सुनिश्चित करने का सपना

आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के 14 अगस्त की मध्य रात्रि और 15 अगस्त 1947 की पहली घड़ी में दिए गए ऐतिहासिक भाषण का सीएम ने उल्लेख किया - पंडित नेहरू ने आजादी की पहली किरण के साथ कहा था-‘ये हमारे लिए एक सौभाग्य का क्षण है, एक नये तारे का उदय हुआ है, पूरब में स्वतंत्रता का सितारा. एक नयी आशा कभी धूमिल न हो। हम सदा इस स्वतंत्रता में आनंदित रहें. भविष्य हमें बुला रहा है. हमें किधर जाना चाहिए और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और कामगारों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें. हम गरीबी, अज्ञानता और बीमारियों से लड़ सकें. हम एक समृद्ध, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील देश का निर्माण कर सकें और हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना कर सकें, जो हर एक आदमी-औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके.

मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में कहा कि इसलिए आज जब हम न्याय की बात करते हैं, तब एक पूरी पृष्ठभूमि हमारी नजरों के सामने आती है. हमारे पुरखों का त्याग और बलिदान हमें याद रहता है, जो न्याय की बुनियाद है. इसी हफ्ते हम अपनी देश की आजादी की 73वीं सालगिरह मनाने वाले हैं. ये 73 साल, जन-जन को न्याय दिलाने के लिए उठाये गये कदमों के साक्षी हैं. 9 अगस्त को हम आदिवासी समाज के विकास के संकल्पों के लिए भी याद करते हैं. 9 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 'विश्व आदिवासी दिवस' घोषित किया था. इसके माध्यम से 38 वर्ष पहले आज के दिन दुनिया में अनुसूचित जनजाति के सम्मान और विकास के लिए नए लक्ष्य तय किये गए थे. अब यह देखने और समीक्षा करने का अवसर भी है कि आदिवासी समाज के उत्थान की दिशा और दशा कैसी है. इस ओर कैसे तेजी से प्रगति हो. इस तरह 9 अगस्त हमें न्याय के अनेक स्वरूपों से जोड़ता है. इस दिन के लिए मैं प्रदेश की जनता और विशेष रूप से आदिवासी समाज को बधाई देता हूं.

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लोकवाणी कार्यक्रम के जरिए जनता से मुखातिब हुए. इस मौके पर उन्होंने अगस्त क्रांति दिवस और विश्व आदिवासी दिवस का विशेषरूप से उल्लेख करते हुए इनके महत्व पर चर्चा की. उन्होंने प्रदेशवासियों को विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएं भी दीं. मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आज के ही दिन वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की घोषणा की और ‘करो या मरो’ का नारा दिया था. यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का निर्णायक मोड़ साबित हुई थी. मुख्यमंत्री के इस कड़ी का विषय 'न्याय योजनाएं, नई दिशाएं' था.

पढ़ें-पीएम-किसान योजना : 8.5 करोड़ किसानों के खाते में ₹17,100 करोड़ भेजे गए

मुख्यमंत्री ने रेडियो श्रोताओं से राज्य सरकार के संकल्प को साझा करते हुए कहा कि 'मेरा मानना है कि हमारी आजादी की लड़ाई का हर दौर न्याय की लड़ाई का दौर था. भारत की आजादी ने न सिर्फ भारतीयों की जीवन में न्याय की शुरूआत की, बल्कि दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र की स्थापना और जन-जन के न्याय का रास्ता बनाया. भारत माता को फिरंगियों की गुलामी से मुक्त कराना ही न्याय की दिशा में सबसे बड़ी सोच और सबसे बड़ा प्रयास था. दुनिया ने देखा है कि किस प्रकार हमारा संविधान समाज के हर समुदाय को न्याय देने का आधार बना. आम जनता को समानता के अधिकार, अवसर और गरिमापूर्ण जीवन उपलब्ध कराने के सिद्धांत के आधार पर अन्याय की जंजीरों से मुक्ति दिलाई गई. आज जब कोरोना संकट की वजह से देश और दुनिया आर्थिक मंदी की चपेट में है तब ‘न्याय’ की यही अवधारणा संकटग्रस्त लोगों के जीवन का आधार बन गई है, जिससे लोगों की जेब में सीधे धन राशि जाए और जो ऋण के रूप में नहीं, बल्कि उन्हें सीधे मदद के रूप में हो. राहुल गांधी ने देश और दुनिया के विख्यात अर्थशास्त्रियों से विचार-विमर्श करते हुए ‘न्याय’ की इस अवधारणा को स्थापित किया और इसे जमीन पर उतारने का आह्वान किया. मुझे यह कहते हुए खुशी होती है कि छत्तीसगढ़ में हमने इस न्याय योजना के विविध आयामों पर कार्य करना और एक-एक कर उन्हें जमीन पर उतारना शुरू किया है.'

किसानों से किया वादा निभाया

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को 2500 रूपये प्रति क्विंटल की दर से तत्काल प्रभाव से भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. वर्षों से लंबित 17 लाख 82 हजार किसानों का 8 हजार 755 करोड़ रूपये कृषि ऋण माफ कर दिया गया. हमने 244 करोड़ रूपये का सिंचाई कर माफ कर दिया था. लोहंडीगुड़ा में 1 हजार 700 से अधिक आदिवासी किसानों की 4 हजार 200 एकड़ जमीन वापस कर दी. हमने तेन्दूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक को 2 हजार 500 रूपये प्रति मानक बोरा से बढ़ा कर 4000 रूपये प्रति मानक बोरा कर दिया.

31 वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी

मुख्यमंत्री ने कहा कि वनांचल में रहने वाले लोगों को कोरोना संकट काल में राहत देने के लिए प्रदेश में 7 से बढ़कर 31 वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी -वन अधिकारों की मान्यता अधिनियम-2006 एक मील का पत्थर था, लेकिन छत्तीसगढ़ में 12 वर्षों में इसकी जो उपेक्षा की गई वह किसी से छिपी नहीं है. निरस्त दावों का पहाड़ लगा दिया गया था. हमने न्याय को बहुत व्यापक रूप से समझा और पूर्व सरकार के निरस्त वन अधिकार पट्टों की समीक्षा का फैसला लिया. इस प्रकार अब बड़ी संख्या में व्यक्तिगत और सामुदायिक वन अधिकार पट्टे दिये जा रहे हैं.

जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की मुक्ति का निर्णय

सीएम ने कहा कि सामाजिक न्याय देने के लिए जेल में बंद निर्दोष आदिवासियों की मुक्ति का निर्णय लिया. झीरम घाटी में हुए हत्याकांड में शहीद परिवारों को न्याय दिलाने का फैसला लिया और इस फैसले को अंजाम तक पहुंचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस तरह हमने समाज के हर वर्ग को शोषण और अन्याय से मुक्त कराने की दिशा में कार्य किया है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरूआत

हमारी सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू करने की घोषणा की. हमारी मंशा थी कि किसानों को कर्ज से नहीं लादा जाये बल्कि उनकी जेब में नकद राशि डाली जाए. इस तरह सभी परिस्थितियों पर विचार करते हुए हमने सिर्फ धान ही नहीं बल्कि मक्का और गन्ना के किसानों को भी बेहतर दाम दिलाने की बड़ी सोच के साथ ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ शुरू की. इसके माध्यम से धान, मक्का और गन्ना के 21 लाख से अधिक किसानों को 5 हजार 700 करोड़ रूपए का भुगतान उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से किया जाना है. हमने तय किया 5 हजार 700 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान 4 किस्तों में करेंगे,जिसकी पहली किस्त 1500 करोड़ 21 मई को किसानों के खाते में डाल दी गई है. 20 अगस्त को राजीव गांधी के जन्मदिन पर दूसरी किस्त की राशि भी किसानों के खाते में डाल दी जायेगी.

गोधन न्याय योजना

न्याय योजनाओं के क्रम में गोधन न्याय योजना को ग्रामीण जन-जीवन, लोक आस्था ही नहीं बल्कि सीधे आजीविका और समृद्धि का माध्यम बनाने का निर्णय लिया. सीएम ने कहा कि गोधन न्याय योजना को हमने छत्तीसगढ़ के हर गांव में गौठान बनाने की योजना के साथ जोड़ा है. किसानों से गोबर खरीदने की सरकारी दर 2 रूपये प्रति किलो तय की गई है. गौठानों को गोबर खरीदी के लिए सुविधा सम्पन्न बनाया जायेगा. गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण की व्यवस्था होगी.प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति और लैम्प्स के माध्यम से वर्मी कम्पोस्ट को 8 रूपये प्रति किलो की दर से किसानों को बेचा जायेगा.

अल्पकालीन कृषि ऋण के अंतर्गत सामग्री घटक में जैविक खाद के रूप में वर्मी कम्पोस्ट शामिल करने का निर्णय लिया जा चुका है. अभी तक 5300 गौठान स्वीकृत हुए हैं, जिसमें से लगभग 2800 गौठानों का निर्माण पूर्ण हो चुका है. गोधन न्याय योजना से गौ पालन, गौ सुरक्षा, खुली चराई पर रोक, जैविक खाद का उपयोग, इससे जमीन की उर्वरता और पवित्रता में वृद्धि, रसायन मुक्त खाद्यान्न के उत्पादन में तेजी, गोबर संग्रह में तेजी से स्वच्छता का विकास, जैसे अनेक लक्ष्य हासिल होंगे. संग्रहित गोबर से जैविक खाद के अलावा अन्य रसायन मुक्त उपयोगी सामग्रियों के निर्माण से ग्रामीण अंचल की विभिन्न प्रतिभाओं को नवाचार का अवसर मिलेगा.

किसान अर्थव्यवस्था के संचालक

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे किसान भाई, बहन तो अर्थव्यवस्था के संचालक हैं, संवाहक हैं, उन्हें बिना वजह ही अर्थव्यवस्था में बाधक कहकर बदनाम किया गया था. वे जानते हैं कि उन्हें मिली राशि समाज के अन्य वर्गों तक किस तरह पहुंचती है, इसलिए वे संग्रह नहीं करते बल्कि जरूरी चीजों पर खर्च करते हैं. किसानों, ग्रामीणों के पैसे से गांव के बहुत से काम-धंधे चलते हैं, हमारी इस सोच और विश्वास को देश के बड़े-बड़े विद्वानों, अर्थशास्त्रियों, स्वतंत्र संस्थाओं ने प्रमाणित किया है. जो लोग पहले किसानों पर, आदिवासियों पर, ग्रामीणों पर, हमारे किये जा रहे खर्च पर आश्चर्य जताते थे, वे अब इस बात पर आश्चर्य जता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था का यह मॉडल पहले क्यों नहीं सूझा था. अब तो यह प्रमाणित हो गया है कि गांवों से निकली राशि से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बचाया और बढ़ाया जा सकता है.

रोजगार की पहल से जरूरतमंदों को मिला न्याय

मुख्यमंत्री ने कहा है कि लॉकडाउन के दौर में जहां देश और दुनिया में बेरोजगारी भयंकर बढ़ी है. तालेबंदी के कारण अर्थव्यवस्था ध्वस्त है वहीं छत्तीसगढ़ में वर्ष 2019 की तुलना में जीएसटी का संग्रह 22 फीसदी बढ़ा है. 2019 की तुलना में भूमि का पंजीयन 17 प्रतिशत बढ़ा है. वाहनों की खरीदी अलग-अलग महीनों में 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ी है. रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छत्तीसगढ़ में लॉकडाउन के समय कृषि और संबंधित कार्यों में तेजी बनी रही. लघु वनोपज संग्रह के लिए पारिश्रमिक देने का मामला हो या मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी भुगतान का, हर मामले में छत्तीसगढ़ आगे रहा है. कुपोषण मुक्ति, मलेरिया नियंत्रण, हाट बाजार में इलाज, कोरोना काल में लगभग 8 माह तक निशुल्क अनाज देने का इंतजाम, प्रवासी मजदूरों की सुरक्षित वापसी और उनको रोजगार प्रदान कर हर पहल से अलग-अलग तरह से न्याय मिला है.

कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं

मुख्यमंत्री ने रेडियोवार्ता में प्रदेशवासियों को कोरोना संकट से आगाह करते हुए कहा कि कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है, इससे बचाव के लिए सावधानी और सतर्कता जरूरी है. कोविड-19 नियंत्रण के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में है, घर से निकलते समय फेस मास्क, फेस कवर, फेस शील्ड आदि जो संभव हो, वह साधन अपनाएं. फिजिकल दूरी का पालन करें, भीड़ से बचें, साबुन से हाथ धोए बिना घर से बाहर नहीं निकले, बचें और सुरक्षा के हर संभव उपाय करें.

बापू ने स्वतंत्रता संग्राम को दिया निर्णायक मोड़

मुख्यमंत्री ने कहा कि अगस्त क्रांति दिवस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण प्रसंग है. द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों का साथ देने के बाद भी, जब अंग्रेजों ने आजादी देने में हील-हवाला किया, तब अहिंसा के पुजारी, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 9 अगस्त 1942 से न सिर्फ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने की घोषणा की, बल्कि 'करो या मरो' का नारा भी दिया. 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुम्बई सत्र में बापू ने स्वतंत्रता संग्राम को निर्णायक मोड़ देते हुए कहा था-'भारत मानवता के इस विशाल सागर को संसार की मुक्ति के कार्य की ओर तब तक कैसे प्रेरित किया जा सकता है, जब तक कि उसे स्वयं स्वतंत्रता की अनुभूति नहीं हो जाती ? यदि भारत की आंखों की चमक को वापस लाना है, तो स्वतंत्रता को कल नहीं बल्कि आज ही आना होगा.' मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कुर्बानियों को याद करते हुए कहा कि हमारी आजादी की लड़ाई का हर दौर न्याय की लड़ाई का दौर था. इसने भारत की आजादी और दुनिया के कई देशों में लोकतंत्र की स्थापना और जन-जन के न्याय का रास्ता बनाया.

हर एक के लिए न्याय सुनिश्चित करने का सपना

आजाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के 14 अगस्त की मध्य रात्रि और 15 अगस्त 1947 की पहली घड़ी में दिए गए ऐतिहासिक भाषण का सीएम ने उल्लेख किया - पंडित नेहरू ने आजादी की पहली किरण के साथ कहा था-‘ये हमारे लिए एक सौभाग्य का क्षण है, एक नये तारे का उदय हुआ है, पूरब में स्वतंत्रता का सितारा. एक नयी आशा कभी धूमिल न हो। हम सदा इस स्वतंत्रता में आनंदित रहें. भविष्य हमें बुला रहा है. हमें किधर जाना चाहिए और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए, जिससे हम आम आदमी, किसानों और कामगारों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें. हम गरीबी, अज्ञानता और बीमारियों से लड़ सकें. हम एक समृद्ध, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील देश का निर्माण कर सकें और हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना कर सकें, जो हर एक आदमी-औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके.

मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में कहा कि इसलिए आज जब हम न्याय की बात करते हैं, तब एक पूरी पृष्ठभूमि हमारी नजरों के सामने आती है. हमारे पुरखों का त्याग और बलिदान हमें याद रहता है, जो न्याय की बुनियाद है. इसी हफ्ते हम अपनी देश की आजादी की 73वीं सालगिरह मनाने वाले हैं. ये 73 साल, जन-जन को न्याय दिलाने के लिए उठाये गये कदमों के साक्षी हैं. 9 अगस्त को हम आदिवासी समाज के विकास के संकल्पों के लिए भी याद करते हैं. 9 अगस्त 1982 को संयुक्त राष्ट्रसंघ ने 'विश्व आदिवासी दिवस' घोषित किया था. इसके माध्यम से 38 वर्ष पहले आज के दिन दुनिया में अनुसूचित जनजाति के सम्मान और विकास के लिए नए लक्ष्य तय किये गए थे. अब यह देखने और समीक्षा करने का अवसर भी है कि आदिवासी समाज के उत्थान की दिशा और दशा कैसी है. इस ओर कैसे तेजी से प्रगति हो. इस तरह 9 अगस्त हमें न्याय के अनेक स्वरूपों से जोड़ता है. इस दिन के लिए मैं प्रदेश की जनता और विशेष रूप से आदिवासी समाज को बधाई देता हूं.

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