रायपुर: लॉकडाउन में बहुत से व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. इस दौरान ट्रांसपोर्ट बिजनेस पर भी खासा प्रभाव पड़ा है. बसों के पहिए थम गए हैं. यात्रियों पर निर्भर रहने वाले बस संचालक, ड्राइवर, कंडक्टर के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इंटर डिस्ट्रिक्ट बस संचालन की अनुमति दे दी है, बावजूद इसके बस संचालक अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. जब तक इनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक बसों का संचालन कर पाना फिलहाल छत्तीसगढ़ में मुश्किल है. 19 मार्च से लेकर अब तक प्रदेश में बस संचालकों को 300 करोड़ रुपए का नुकसान सहना पड़ा है.
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पूरे प्रदेश में लगभग 12 हजार बसें संचालित होती हैं और इन बसों में काम करने वाले ड्राइवर, कंडक्टर, मुंशी और हेल्पर की संख्या लगभग डेढ़ लाख है. उसके बाद बस के स्टाफ को सरकार से किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिली है और न ही बस संचालकों ने चालकों और परिचालकों को किसी तरह की कोई सहायता दी है.
संचालक कर रहे किराया बढ़ाने की मांग
बस संचालन को लेकर अभी भी छत्तीसगढ़ में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सरकार ने 3 महीने का टैक्स माफ कर दिया है, लेकिन बस संचालकों का कहना है कि 16.50 करोड़ रुपए जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने का टैक्स सरकार माफ करे. साथ ही डीजल के दाम बढ़ने की वजह से बस संचालकों का यह भी कहना है कि यात्री किराया बढ़ाया जाए. बस संचालकों का कहना है कि वर्तमान में प्रति किलोमीटर का किराया 1 रुपया है, जिस पर 35% किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. संचालक अपनी बसों को सरकार के नियम और शर्तों के तहत 50% सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करते हुए चलाने को तैयार हैं.
- पायल ट्रैवल्स की 70 बसें
- रायपुर बस सर्विस की 60 बसें
- मनीष ट्रैवल्स की 50 बसें
- दुर्ग रोडवेज की 45 बसें
- नवीन ट्रांसपोर्ट की 30 बसें
- वृंदा ट्रैवल्स की 20 बसें
- जिया ट्रैवल्स की 20 बसें
- सुमित ट्रैवल्स की 10 बसें
- जय भोले ट्रैवल्स की 10 बसें
- दीवान ट्रैवल्स की 8 बसें और
- चहल ट्रैवल्स की 8 बसें