रायगढ़: कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से हर कोई डरा हुआ है. खुद को इस संक्रमण की चपेट में आने से बचाने के लिए लोग हरसंभव प्रयास कर रहे हैं. लोगों ने सार्वजनिक स्थानों से दूरी बना ली है. यहां तक कि अब सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट का भी लोगों ने उपयोग कम कर दिया है. इस बीच जहां बस संचालकों की हालत खस्ता है, तो वहीं सेकेंड हैंड गाड़ियों का कारोबार बढ़ने लगा है.
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कोरोना काल में लोग कहीं भी आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा अपनी गाड़ियों के इस्तेमाल को ही प्राथमिकता दे रहे हैं. इस दौरान निजी वाहनों की मांग बढ़ने लगी है. नई गाड़ियां हर किसी के बजट में नहीं हैं, इस वजह से लोग किफायती वाहनों की ओर बढ़ने लगे हैं. इस स्थिति में जो यूज्ड गाड़ियां होती हैं, उनकी डिमांड बढ़ गई है. बीते 3 महीनों में पुरानी गाड़ियों की खरीदी-बिक्री में काफी बढ़ोतरी हुई है.
कार की बढ़ रही डिमांड
सेकेंड हैंड गाड़ियों के विक्रेताओं की चांदी हो गई है. वे कोरोना काल में खूब मुनाफा कमा रहे हैं. पहले एक महीने में मुश्किल से 30 से 35 गाड़ियां ही वे बेच पाते थे, लेकिन कोरोना काल में आराम से हर महीने 40 से 45 गाड़ियां बेच रहे हैं. पुरानी गाड़ियों की खरीद-बिक्री 20 से 25 फीसदी बढ़ गई है. पुरानी गाड़ियों में ज्यादातर छोटी कार या 5 सीटर कार ज्यादा बिक रही हैं. ऐसी गाड़ियां आसानी से 1 से 2 लाख के बीच मिल जाती है.
आसानी से हो रहा फाइनेंस
सेकेंड हैंड गाड़ी लेने में लोगों को सहूलियत हो रही है. ये कम डाउन पेमेंट में आसानी से फाइनेंस हो रही है. इसकी वजह से लोग नई गाड़ी के बजाय सेकेंड हैंड ही खरीदना पसंद कर रहे हैं. साथ ही जिनके पास पहले से ही गाड़ियां थीं, वे भी अपनी पुरानी गाड़ियों को बेच रहे हैं. सेकेंड हैंड गाड़ियों के कारोबारी ने बताया कि मेंटेनेंस और इमरजेंसी के समय में लोग ज्यादा से ज्यादा छोटी गाड़ियां खरीदने में रुचि ले रहे हैं. बड़ी गाड़ियों की बिक्री कम हुई है, लेकिन छोटी गाड़ियां पहले के मुकाबले ज्यादा बिक रही हैं.
कोरोना काल ने जहां कई कारोबारों को ठप कर दिया है, तो वहीं इस समय कई व्यवसाय ऐसे हैं, जो खूब फल-फूल रहे हैं. सेकेंड हैंड गाड़ियों की बिक्री से कारोबारियों के साथ ही लोगों को भी राहत मिली है. कम कीमत में आसानी से गाड़ियां मिलने से लोगों की मुसीबतें भी कम हुई हैं. कोरोना काल में लोग आसानी अब अपनी गाड़ी में परिवार के साथ सुरक्षित सफर कर रहे हैं.