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जांजगीर-चांपा : हत्या के मामले में बीमा कंपनी का क्लेम देने से इनकार, उपभोक्ता फोरम ने पीड़िता को दिलाया न्याय - Consumer Forum in Janjgir Champa provided justice to the victim

जांजगीर-चांपा में उपभोक्ता फोरम (Janjgir Consumer Forum) ने हत्या के मामले में पीड़िता को क्लेम राशि दिलवाई है. बीमा कंपनी ने हत्या को दुर्घटना नहीं मानते हुए बीमा राशि देने से इनकार किया था.

उपभोक्ता फोरम ने पीड़िता को दिलाया न्याय
उपभोक्ता फोरम ने पीड़िता को दिलाया न्याय
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Published : Mar 25, 2022, 7:14 PM IST

जांजगीर-चांपा : भारतीय स्टेट बैंक पामगढ़ में एक खाता धारक की हत्या होने के बाद बीमा की रकम नहीं देने के मामले में फोरम ने फैसला सुनाया है. इस मामले में खाताधारक के बैंक खाते से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 12 रुपए की राशि कटी थी. जिसमे नॉमिनी उसकी पत्नी को बनाया गया था. लेकिन खाताधारक की हत्या हो जाने के बाद बीमा कंपनी ने हत्या को दुर्घटना की श्रेणी में नहीं माना (Murder not treated as accident) और बीमा राशि देने से इनकार किया. जिसके बाद पीड़ित पक्ष ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में फोरम ने बीमा कंपनी को राशि भुगतान करने के निर्देश (Instructions to the insurance company to pay the amount) दिए हैं.

क्या है पूरा मामला : जिले के भैंसों गांव निवासी खीखराम निर्मलकर का खाता भारतीय स्टेट बैंक पामगढ़ में था. इस खाते से 31 मई 2019 को 12 रुपये प्रीमियम की राशि काटकर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत दुर्घटना बीमा (Accident insurance under Pradhan Mantri Suraksha Bima Yojana) किया गया. इस खाते में खीखराम की पत्नी चित्रेखा नॉमिनी थी. इसके कुछ दिन बाद 26 जून 2019 को खीखराम की किसी ने हत्या कर दी. पति के मौत के बाद पत्नी ने बीमा की राशि के लिए बैंक में आवेदन दिया. लेकिन बैंक और नेशनल इंश्योरेंस बीमा कंपनी ने ये कहते हुए बीमा राशि देने से मना किया कि पॉलिसी होल्डर की मौत एक्सीडेंट में नहीं हुई है. इसलिए बीमा का दावा खारिज किया जाता है.

ये है पूरा मामला : मंदिर में घंटी की चोरी, ग्रामीणों ने आरोपियों के गले में घंटी बांधकर घुमाया

उपभोक्ता फोरम से मिला न्याय : बैंक के फैसले के बाद पीड़िता ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद पेश (Victim filed complaint in consumer forum) किया. जहां उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष तजेश्वरी देवी देवांगन, सदस्य मनरमण सिंह, मंजू लता राठौर ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद पाया कि समय में प्रीमियम काटने के बाद भी बैंक और बीमा कंपनी ने बीमा राशि का भुगतान नहीं किया. जो सेवा में कमी की श्रेणी में आता है. इसके साथ ही हत्या को भी दुर्घटना की श्रेणी (Murder was also considered in the category of accident) में मानते हुए आयोग ने बीमा की रकम 2 लाख आवेदक को 45 दिनों के भीतर 9 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ भुगतान करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही आवेदक को 10 हजार मानसिक क्षतिपूर्ति और 2 हजार वाद व्यय स्वरूप भुगतान करने का फैसला सुनाया गया है.

जांजगीर-चांपा : भारतीय स्टेट बैंक पामगढ़ में एक खाता धारक की हत्या होने के बाद बीमा की रकम नहीं देने के मामले में फोरम ने फैसला सुनाया है. इस मामले में खाताधारक के बैंक खाते से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 12 रुपए की राशि कटी थी. जिसमे नॉमिनी उसकी पत्नी को बनाया गया था. लेकिन खाताधारक की हत्या हो जाने के बाद बीमा कंपनी ने हत्या को दुर्घटना की श्रेणी में नहीं माना (Murder not treated as accident) और बीमा राशि देने से इनकार किया. जिसके बाद पीड़ित पक्ष ने उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में फोरम ने बीमा कंपनी को राशि भुगतान करने के निर्देश (Instructions to the insurance company to pay the amount) दिए हैं.

क्या है पूरा मामला : जिले के भैंसों गांव निवासी खीखराम निर्मलकर का खाता भारतीय स्टेट बैंक पामगढ़ में था. इस खाते से 31 मई 2019 को 12 रुपये प्रीमियम की राशि काटकर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत दुर्घटना बीमा (Accident insurance under Pradhan Mantri Suraksha Bima Yojana) किया गया. इस खाते में खीखराम की पत्नी चित्रेखा नॉमिनी थी. इसके कुछ दिन बाद 26 जून 2019 को खीखराम की किसी ने हत्या कर दी. पति के मौत के बाद पत्नी ने बीमा की राशि के लिए बैंक में आवेदन दिया. लेकिन बैंक और नेशनल इंश्योरेंस बीमा कंपनी ने ये कहते हुए बीमा राशि देने से मना किया कि पॉलिसी होल्डर की मौत एक्सीडेंट में नहीं हुई है. इसलिए बीमा का दावा खारिज किया जाता है.

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उपभोक्ता फोरम से मिला न्याय : बैंक के फैसले के बाद पीड़िता ने उपभोक्ता फोरम में परिवाद पेश (Victim filed complaint in consumer forum) किया. जहां उपभोक्ता आयोग की अध्यक्ष तजेश्वरी देवी देवांगन, सदस्य मनरमण सिंह, मंजू लता राठौर ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद पाया कि समय में प्रीमियम काटने के बाद भी बैंक और बीमा कंपनी ने बीमा राशि का भुगतान नहीं किया. जो सेवा में कमी की श्रेणी में आता है. इसके साथ ही हत्या को भी दुर्घटना की श्रेणी (Murder was also considered in the category of accident) में मानते हुए आयोग ने बीमा की रकम 2 लाख आवेदक को 45 दिनों के भीतर 9 प्रतिशत की ब्याज दर के साथ भुगतान करने का आदेश दिया है. इसके साथ ही आवेदक को 10 हजार मानसिक क्षतिपूर्ति और 2 हजार वाद व्यय स्वरूप भुगतान करने का फैसला सुनाया गया है.

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