महासमुंद: जिले के पुरातत्विक नगरी सिरपुर में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सिरपुर बौद्ध महोत्सव का शुभारंभ हुआ. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जापान के भदंत नागार्जुन सुरई ससई ने बौद्ध प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित किया. तीन दिनों तक चलने वाले सिरपुर बौद्ध महोत्सव में शामिल होने के लिए देश के कई राज्यों से वक्ता और करीब 70 शोधकर्ता आए हुए हैं. महोत्सव संगोष्ठी का विषय सिरपुर की प्रासंगिकता पर केंद्रित है. विषय का मुख्य बिन्दू , कला-स्थापत्य, शिक्षा, सांस्कृतिक, साहित्य, समाज और इतिहास है.
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समारोह में मुख्य वक्ताओं के रूप में देश के जाने-माने ये लोग शामिल रहेंगे
- इतिहासकार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रतन लाल
- दलित दस्तक के संपादक
- जामिया मिलिया विश्वविद्यालय से हिंदी विभाग के HOD प्रोफेसर हेमलता महेश्वर
- वरिष्ठ साहित्यकार प्रोफेसर चौथी राम यादव
- वरिष्ठ पत्रकार एवं दलित चिंतक दिलीप मंडल
- डॉ मधुकर कठाने नागपुर के पुरातत्वेता
- मनु नायक फिल्म निर्माता सामाजिक चिंतक विष्णु बघेल
- तर्कशील परिषद के अध्यक्ष डॉक्टरआरके सुखदेव महेंद्र छाबड़ा
- अध्यक्ष राज्य अल्पसंख्यक आयोग समेत कई लोग शामिल रहे
नि:शुल्क भंडारे का भी आयोजन
समारोह के शुभारंभ के अवसर पर शोधार्थियों के आलेखों के संकलन पर आधारित स्मारिका का भी विमोचन किया गया. महोत्सव को भव्य बनाने के लिए देशभर के बुद्धिजीवी चिंतक गीतकार, साहित्यकार, विषय के जानकार, कला और संगीत के प्रेमियों ने मंच पर अपने विचार साझा किए. पहली बार सिरपुर बौद्ध महोत्सव में सिरपुर की विरासत को 'पुरखा के सुरता' के माध्यम से सहजनी और समेटने का कार्य किया जा रहा है. महोत्सव में साहित्य संस्कृति और भारत के गौरवशाली इतिहास पर आधारित दुर्लभ पुस्तकों की प्रदर्शनी कर बुक बेचने के लिए स्टॉल भी लगाए गए हैं. आयोजन समिति ने महोत्सव में शामिल होने वाले सभी लोगों के लिए भोजन की भी व्यवस्था की है.
महोत्सव में सांस्कृतिक संध्या की बिखरी छटा
यह महोत्सव छत्तीसगढ़ हेरीटेज एंड कल्चर फाउंडेशन के बैनर तले 14 मार्च तक आयोजित होगा. तीन दिवसीय इस महोत्सव और शोध संगोष्ठी के सांस्कृतिक संध्या में पंथी नृत्य, कला जत्था, भीम गीत, बुद्ध वंदना, गेडी नृत्य ,मादरी नृत्य, गौर नृत्य , गोदना आर्ट ,पेंटिंग, क्विज प्रतियोगिता, कबीर भजन, नाटक के साथ लोक गीत और संगीत की छटा बिखरी. आयोजक का कहना है कि सिरपुर बौद्ध की धरती है और यहां हजारों की संख्या में बुद्ध के अवशेष मिले हैं. इसे विश्व धरोहर में शामिल कराने और बुद्ध के संदेशों को लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. वहीं शोधकर्ताओं का कहना है कि बुद्ध के संदेशों पर चलकर बेहतरीन सामाजिक कार्य किया जा सकते हैं.