कोरबा : संसाधनों की कमी के साथ ही स्टाफ की लापरवाही मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए सिरदर्द बना हुआ है. बीती रात से लेकर बीते 24 घंटों में यहां 2 बच्चियों के प्रसव के दौरान परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया (maternity ward of korba district hospital) है. एक बच्ची की मां को प्रसव पीड़ा उठने पर भी बाहर बिठा कर रखा गया. जिसके कारण बच्ची का जन्म टॉयलेट में ही हो गया. वहीं दूसरे मामले में बेड खाली नहीं होने की बात कहते हुए मां को वेटिंग टेबल पर बैठने को कहा गया. जिसके कारण वार्ड के बाहर ही बच्ची का जन्म हो गया.
कहां हुआ पहला मामला : प्रसव में लापरवाही के आरोप का पहला मामला गांव करतला क्षेत्र के गांव कठबितला का है. यहां रहने वाले जयपाल यादव पत्नी ममता यादव को लेकर बीती शाम जिला अस्पताल पहुंचे थे. जयपाल ने बताया कि ''नर्स ने उन्हें बाहर बैठने को कहा. यह भी कहा कि अभी प्रसव का समय नहीं आया है. जिसके बाद पत्नी बार-बार बाथरूम जा रही थी. उसे कुछ तकलीफ थी, छह-सात बार बाथरूम जाने के बाद टॉयलेट में ही उसने बच्चे को जन्म दे (Child delivery inside the toilet in Korba ) दिया. हमें अस्पताल में बेड तक नहीं दिया गया. अभी कहा गया है कि बच्चे का जन्म समय से पहले हुआ है, इसलिए हालत नाजुक है. बच्ची आईसीयू में भर्ती है जिसे ऑक्सीजन पर रखा गया है".
दूसरे मामले में भी लापरवाही : प्रसव में लापरवाही का दूसरा मामला जिले के अंतिम छोर पर स्थित पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के पसान क्षेत्र का है. जिसकी दूरी जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर से भी अधिक है. यहां के गांव धवलपुर से प्रसूता श्यामवती को लेकर मितानिन कतकी बाई जिला अस्पताल पहुंची थी. परिजन भी साथ थे. कतकी बाई ने कि वो बीती रात को ही यहां आ गए थे. जटगा से कटघोरा और फिर वहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया.
महिला की जान पर बनीं : महिला की रिश्तेदार ने कहा कि '' सुबह 3 बजे हम जिला अस्पताल पहुंचे . लिखा पढ़ी कराया गया, इसके बाद प्रसूता को बाहर ही बैठने को कहा गया. यहां नर्स हमें बहुत डांट रही थी, कहा कि बेड खाली नहीं है. वार्ड के बाहर ही श्यामवती की बच्ची का जन्म हो (Child delivery on the table in Korba) गया. जो कि उसके साड़ी से लिपट गई थी, हम उसे संभालने लगे और हिम्मत करके नर्स से कहा कि इस तरह से केस को बिगाड़ना होता तो हम गांव में ही डिलीवरी करवा लेते.''
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दोनों मामले में क्या हुआ कार्रवाई : मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सुपरिटेंडेंट गोपाल सिंह कंवर का कहना है कि ''पहले मामले में महिला ने 26 हफ्ते में बच्चे को जन्म दिया है जबकि 36 हफ्ते बाद ही जन्म होता है. तो यह प्रीमेच्योर डिलीवरी है इसलिए बच्चे की हालत नाजुक है. हालांकि बच्चे का जन्म टॉयलेट में हुआ है. इसकी जांच करेंगे. वहीं दूसरे मामले में भी परिजनों ने शिकायत की है कि बेड नहीं दिया गया. जबकि अस्पताल में बेड की कोई कमी नहीं है. इसकी जांच करेंगे. यदि कोई दोषी पाया गया तो उस पर कार्रवाई होगी.''